Parenting Advice: बचपन से ही बच्चों को जो माहौल मिलता है या बच्चों के साथ जिस तरह से माता-पिता बर्ताव करते हैं बच्चे पैरेंट्स की वैसी ही छवि अपने मन में बनाने लगते हैं. कई बार पैरेंट्स को यह तक लगने लगता है कि वे इतने सख्त नहीं हैं जितना बच्चे उनको समझ लेते हैं. खासकर टीनेजर बच्चे पैरेंट्स को बॉसी (Bossy) समझने लगते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि माता-पिता की चिंता बच्चों की सुरक्षा को लेकर उनकी उम्र के साथ-साथ बढ़ती जाती है और उनका व्यवहार भी बदलता है. ऐसे में यहां जानिए साइकोलॉजिस्ट (Psychologist) का इसपर क्या कहना है. यूनाइटेड स्टेट्स में की गई स्टडी में साइकोलॉजिस्ट ने बताया क्यों बच्चों को पैरेंट्स उतने बॉसी लगते हैं जितने वे होते भी नहीं हैं.
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पैरेंट्स को सख्त क्यों समझते हैं बच्चे
पैरेंट्स को सख्त समझने के बच्चों के पास कई तरह के कारण हो सकते हैं. देखा जाए तो बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पैरेंट्स (Parents) के पास तरह-तरह की स्ट्रेटजी होती हैं. वे बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए कई बार बच्चों को ग्राउंडेड भी कर देते हैं यानी कि उनका बाहर-आना जाना कुछ दिनों के लिए बंद हो जाता है. लेकिन, बच्चे यह समझ नहीं पाते कि माता-पिता ऐसा बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए ही करते हैं. पैरेंट्स के सख्ती अपनाने की एक वजह यह भी हो सकती है कि पैरेंट्स खुद यही गलतियां कर चुके हैं और नहीं चाहते कि बच्चे भी ये गलतियां दोहराएं.
साइकोलॉजिस्ट का कहना है कि बच्चों का दिमाग लगातार ग्रो करता रहता है, विकसित होता रहता है. यह दिमाग का सबकोरिटकल रीजन होता है जिससे गुस्सा, एंजाइटी और डिंफेंसिवनेस जैसे इमोशंस जुड़ें हैं. ऐसे में बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं वैसे-वैसे उनमें डिंफेस आने लगता है जिसमें वे देर तक बाहर रुकना चाहते हैं, नियम तोड़ना चाहते हैं और यह नहीं चाहते कि पैरेंट्स उन्हें रोकें.
ऐसे में बच्चों को यह लगता है कि पैरेंट्स उनपर रोक-टोक लगाते हैं और उन्हें मनमर्जी करने से रोकते हैं. लेकिन, यह पैरेंट्स की चिंता और फिक्र है जिसे बच्चे नहीं समझ पाते. बच्चों को लगता है कि पैरेंट्स सख्ती कर रहे हैं और बॉसी हैं जबकि साइकोलॉजिस्ट का कहना है कि माता-पिता इस तरह की स्थिति को किस तरह हैंडल करना है यह समझ नहीं पाते. ऐसे में वे अपनी पहली प्रतिक्रिया ही जता देते हैं. यानी ना सिर्फ बच्चे बल्कि पैरेंट्स भी स्ट्रगल कर रहे होते हैं. ऐसे में बच्चों को अपने पैरेंट्स को बॉसी समझने या सख्त समझने के बजाय उनके पॉइंट ऑफ व्यू को समझने की कोशिश करनी चाहिए.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.