वंदे मातरम से कौन सा हिस्सा हटाया गया था? जिसका पीएम मोदी ने किया जिक्र

Vande Mataram: वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर पीएम मोदी ने इस गीत को याद किया और कहा कि कांग्रेस ने इसे तोड़ने का काम किया था, यही वो चीज थी जिसने देश के विभाजन की नींव रखी.

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Vande Mataram 150 Years: वंदे मातरम से जुड़ी दिलचस्प बात

Vande Mataram 150 Years: भारत के राष्ट्र गीत वंदे मातरम ने 150 साल पूरे कर लिए हैं. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के तमाम बड़े नेताओं ने आजादी की लड़ाई को याद किया और इस गीत के सम्मान में सोशल मीडिया पर कई पोस्ट किए. इस दौरान पीएम मोदी ने राष्ट्रीय स्मरणोत्सव का उद्घाटन किया और बताया कि वंदे मातरम का देश के लिए क्या महत्व है. पीएम मोदी ने अपने भाषण में वंदे मातरम के आधे हिस्से को हटाए जाने का भी जिक्र किया और कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि इसी फैसले ने विभाजन की नींव डाली थी. 

क्या बोले पीएम मोदी?

पीएम मोदी ने वंदे मातरम गीत का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस ने मजहबी आधार पर वंदे मातरम के एक हिस्से को ही हटा दिया. यानी कांग्रेस ने समाज को भी बांटा और अंग्रेजों के एजेंडे को भी आगे बढ़ाया. जिस दिन वंदे मातरम को तोड़ने का फैसला लिया गया, उसी दिन कांग्रेस ने भारत के विभाजन की नींव डाल दी थी. यही बात उन्होंने सरदार पटेल की जयंती पर कही थी. 

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आजादी की लड़ाई में सुनाई दी थी गूंज 

वंदे मातरम को 1875 में बंकिम चंद्र चटोपाध्याय ने वंदे मातरम लिखा था, इसके बाद से ही ये भारत की आजादी का गीत बन गया और मशहूर होने लगा. 1905 में जब ब्रिटिश सरकार ने बंगाल को तोड़ने की साजिश रची थी, तब लाखों भारतीयों की जुबां पर वंदे मातरम गीत था और इसकी गूंज सुनाई दे रही थी. भारत छोड़ो आंदोलन के हर प्रदर्शन में इसी गाने का उद्घोष होता था. यही वजह है कि ब्रिटिश सरकार ने इस गाने पर ही प्रतिबंध लगा दिया. कुल मिलाकर वंदे मातरम भारत की आजादी का एक प्रतीक बन गया था. 

कैसे शुरू हुआ विरोध?

कांग्रेस के अध्यक्ष रहे मौलाना मोहम्मद अली जौहर ने पहली बार वंदे मातरम गीत पर सवाल उठाए थे. कांग्रेस के 1923 में हुए अधिवेशन में महान शास्त्रीय गायक विष्णु दिगंबर पुलस्कर ने इस गीत को गाया था, तब मौलाना जौहर ने इसे रोकने की कोशिश की थी और यहीं से वंदे मातरम को लेकर विवाद शुरू हुआ. 

कौन सा हिस्सा हटाया गया?

साल 1937 में कांग्रेस ने मुस्लिम लीग और मोहम्मद अली जिन्ना के विरोध के बाद वंदे मातरम से कुछ हिस्सा हटाने का फैसला लिया. 22 अक्टूबर 1937 को वंदे मातरम की समीक्षा करने का ऐलान हुआ, जिसके बाद वंदे मातरम गीत से ज्यादातर हिस्सा हटा दिया गया. इस फैसले का विरोध भी हुआ था, लेकिन इसे अनसुना कर दिया गया. राष्ट्र गीत से जिस हिस्से को हटाया गया था, उसमें मां दुर्गा की स्तुति थी. मुस्लिम नेताओं का कहना था कि गीत के पहले दो पदों में भारत माता का जिक्र है, लेकिन बाकी में हिंदू देवी-देवताओं का जिक्र किया गया है. यही वजह है कि इन सभी पदों को हटा दिया गया. 
 

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