अमेरिका में एक भारतीय मूल के शख्स को गिरफ्तार किया गया है और उसे 15 साल की सजा सुनाई जा सकती है. दरअसल मेहुल गोस्वामी नाम के इस शख्स पर आरोप है कि उसने एक परमानेंट नौकरी में रहने के दौरान कॉन्ट्रैक्ट पर दूसरी नौकरी भी की और इससे 40 लाख रुपये कमाए. गोस्वामी न्यू-यॉर्क स्टेट ऑफिस ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सर्विसेज में काम करता था. उस पर मूनलाइटिंग का आरोप है और ऐसा करने पर अब कई साल जेल में गुजर सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि ये मूनलाइटिंग शब्द कहां से आया और इसका इस्तेमाल कब किया जाता है.
क्या होती है मूनलाइटिंग?
जब कोई कर्मचारी अपनी परमानेंट नौकरी के अलावा कमाई के लिए कोई दूसरी नौकरी कर रहा है तो इसे मूनलाइटिंग कहा जाता है. पिछले कुछ सालों में ये कॉन्सेप्ट काफी तेजी से बढ़ा है. हाल ही में देखा गया कि लोग एक या दो नहीं बल्कि एक साथ कई कंपनियों में काम कर रहे थे, जब इसका खुलासा हुआ तो सभी कंपनियों के होश उड़ गए. भारत में ये गैरकानूनी नहीं है, लेकिन कंपनी अपनी शर्तों का उल्लंघन बताते हुए कर्मचारी को तुरंत नौकरी से निकाल सकती है.
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कई लोगों की जा रही है नौकरी
जब भी आप किसी कंपनी के साथ काम करते हैं तो ज्वाइन करते ही आपसे एक कॉन्ट्रैक्ट साइन करवाया जाता है, इस कॉन्ट्रैक्ट में साफ लिखा होता है कि इस नौकरी के साथ आप बिना बताए दूसरी नौकरी नहीं कर सकते हैं. अगर कोई ऐसा करता है तो ये ब्रीच ऑफ कॉन्ट्रैक्ट माना जाता है और कंपनी कर्मचारी पर एक्शन लेती है. इस तरह का काम करने वाले कई लोगों की नौकरी अब तक चली गई है. अक्सर कंपनियां उन्हें सीधे टर्मिनेट कर देती हैं.
क्यों कहा जाता है मूनलाइटिंग?
अब सवाल है कि एक साथ दो नौकरियां करने वाले इस तरीके को मूनलाइटिंग क्यों कहा जाता है और इस शब्द का मतलब क्या होता है. दरअसल मूनलाइटिंग का मतलब रात में नौकरी करने से है, क्योंकि लोग पूरे दिनभर अपनी परमानेंट नौकरी करते हैं और रात में एक्स्ट्रा इनकम के लिए दूसरी नौकरी करने लगते हैं, ऐसे में इसे मूनलाइटिंग का नाम दिया गया है. इस शब्द का इस्तेमाल आयरलैंड में रात के वक्त होने वाली आपराधिक गतिविधियों के लिए किया जाता था. वहीं अब कॉरपोरेट जगत में ये डबल नौकरी करने वालों के लिए इस्तेमाल हो रहा है.














