पूर्व मंत्री के बेटे की ऑडी ने कार को मारी जोरदार टक्कर, क्या मां-बाप को होगी जेल?

Underage Driving Rules: जयपुर के प्रतापनगर थाना इलाके में एक ऑडी चालक ने आगे चल रही कारों को टक्कर मार दी, इसमें कुछ लोग घायल हो गए. अब पुलिस मामले की जांच कर रही है.

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नाबालिग के कार चलाने पर किसे मिलती है सजा

Underage Driving Rules: राजधानी जयपुर के प्रतापनगर थाना इलाके में 21 अक्टूबर को एक तेज रफ्तार ऑडी कार ने दो गाड़ियों को टक्कर मारी. घटना में एक स्विफ्ट गाड़ी में बैठे दो लोगों को चोट आई. गाड़ी चलाने वाला युवक पूर्व मंत्री राजकुमार शर्मा का बेटा युवराज शर्मा है. घटना के बाद जब पीड़ित पुलकित ने ऑडी गाड़ी के ड्राइवर से बात की तो उसने खुद को एमएलए का बेटा बताया. सबसे हैरानी वाली बात ये है कि ऑडी चलाने वाला युवराज शर्मा बालिग भी नहीं है, ऐसे में अब बेटे की इस करतूत का खामियाजा पिता को भुगतना पड़ सकता है. आइए जानते हैं कि नाबालिग के गाड़ी चलाने और एक्सीडेंट होने के मामले में क्या कानून है और किसे कितनी सजा मिलती है. 

नाबालिग के मामले में किसे होती है सजा?

नाबालिग के गाड़ी चलाने का सीधा मतलब ये समझा जाता है कि जो गाड़ी का मालिक है या फिर उसके पिता ने ही इसकी इजाजत दी थी, यही वजह है कि मामला पिता के खिलाफ दर्ज होता है. मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 199(A) के मुताबिक नाबालिग बच्चा अगर कोई एक्सीडेंट करता है तो इसकी जिम्मेदारी वाहन मालिक और उसके परिजनों की होती है. इस मामले में दोषी पाए जाने पर परिजनों को तीन साल तक की जेल और 25 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है.

हालांकि, अगर परिजन और वाहन मालिक ये साबित कर दे कि अपराध उनकी जानकारी के बिना हुआ है, तो सजा नहीं दी जाती है. ऐसे मामले में जुर्माना जरूर लगाया जा सकता है. फिलहाल इस मामले में पूर्व मंत्री को पूछताछ के लए बुलाया जा सकता है. 

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पुलिस के पाले में होती है गेंद 

ऐसे मामलों में सबसे अहम रोल पुलिस जांच का होता है, कुछ मामले ऐसे भी सामने आए हैं जब जांच के बाद ये बताया गया कि गाड़ी कोई और ही चला रहा था, ये कहा जाता है कि आरोपी बगल वाली सीट में बैठा था. ऐसे मामलों में नाबालिग के परिजन सजा से बच जाते हैं और गाड़ी चलाने वाले पर आगे की कार्रवाई होती है. फिलहाल जयपुर वाले मामले की पुलिस जांच कर रही है. 

पूर्व मंत्री ने दी सफाई 

जयपुर की इस घटना पर एनडीटीवी से बात करते हुए पूर्व मंत्री राजकुमार शर्मा ने कहा कि यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है. इसका खेद है लेकिन मेरे बेटे ने किसी को धमकाने या डराने की कोशिश नहीं की. उसने केवल इतना बताया था कि उसके पिता का नाम राजकुमार शर्मा है ताकि गुस्साई भीड़ उस पर हमला न कर दे. उन्होंने बताया कि घटना के बाद बेटा तुरंत पुलिस स्टेशन गया था और करीब तीन घंटे वहीं रहा. बाद में हमने उसका मेडिकल करवाया. उस समय कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई थी, इसलिए उसे घर भेज दिया गया. 

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