कहा जाता है कि दिल्ली वालों का दिल बड़ा होता है, लेकिन अब ये भी साबित हो चुका है कि दिल्ली वालों के दिल के अलावा उनका लिवर भी बड़ा है. पिछले तमाम सालों से दिल्ली के लोग हर त्योहार पर एक नया रिकॉर्ड बना रहे हैं, ये रिकॉर्ड किसी अच्छी चीज का नहीं है, बल्कि शराब पीने का है. दिल्ली में दिवाली के दिन करीब 600 करोड़ की शराब बिक गई, यानी दिल्ली के लोग एक ही दिन में लाखों बोतल शराब गटक गए. ऐसे में दिल्ली सरकार का खजाना भी खूब भरा. आइए जानते हैं कि शराब से सरकारों की कितनी कमाई होती है और इस मामले में सबसे ज्यादा कमाने वाला राज्य कौन सा है.
दो चीजों से होती है कमाई
दिल्ली समेत तमाम राज्यों की सरकारें पेट्रोलियम और शराब से सबसे ज्यादा रेवेन्यू जनरेट करती हैं. राज्यों को अधिकार होता है कि वो शराब पर कितना टैक्स वसूलें. यही वजह है कि अलग-अलग राज्यों में शराब के अलग दाम हो सकते हैं. साउथ के कुछ राज्यों में सरकारें शराब पर काफी ज्यादा टैक्स लगाती हैं.
- राज्य सरकार एक्साइज ड्यूटी भी लगाती है, ये शराब के राज्य में प्रोडक्शन और एंट्री पर लगाया जाने वाला टैक्स होता है.
- शराब पर VAT भी लगाया जाता है, जिसका असर शराब की कीमत पर पड़ता है.
- कुछ राज्य सरचार्ज या फिर कोई अन्य शुल्क भी शराब पर लगाते हैं.
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सबसे ज्यादा टैक्स लगाने वाले राज्य
शराब पर सबसे ज्यादा टैक्स लगाने वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्य शामिल हैं. यही वजह है कि यहां शराब की कीमत बाकी राज्यों की तुलना में ज्यादा है. इसके अलावा गोवा और हरियाणा जैसे राज्यों में कीमतें काफी कम हैं. यानी सरकार इस पर कम टैक्स वसूलती है.
शराब से कमाई के मामले में उत्तर प्रदेश का नाम सबसे ऊपर आता है. इसने 2022-23 में शराब से 41 हजार करोड़ से ज्यादा का रेवेन्यू हासिल किया था. इसके बाद कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्य आते हैं. दिल्ली सरकार की बात करें तो यहां हर साल करीब पांच से सात हजार करोड़ तक की कमाई शराब से होती है.














