मुगलों के राज में कैसे मनाया जाता था दिवाली का त्योहार? कुछ ऐसे होती थी आतिशबाजी

Diwali During Mughal Era: कई लोगों को लगता है कि दिवाली का त्योहार मुगलों के दौर में नहीं मनाया जाता था, हालांकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. अकबर के दौर में दिवाली धूमधाम से मनाई जाती थी.

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मुगलों के दौर में भी मनाई जाती थी दिवाली

Diwali During Mughal Era: दिवाली का त्योहार भारत में धूमधाम से मनाया जा रहा है, ये एक ऐसा त्योहार है, जिसे लेकर लोग कई दिन पहले से तैयारियां शुरू कर देते हैं. पिछले सैकड़ों सालों से दिवाली पर ऐसे ही पूरा देश एकजुट होता है और मिलकर इस त्योहार को मनाया जाता है. ये त्योहार उस दौर में भी मनाया जाता था, जब भारत पर मुगल राज करते थे. कई मुगल बादशाहों के दरबार में इस त्योहार की झलक देखने को मिलती थी. आइए आज हम आपको बताते हैं कि मुगलों के दौर में कैसे दिवाली का त्योहार मनाया जाता था और इस दिन लोग क्या करते थे. 

अकबर के दरबार में जलाए जाते थे दीप

इतिहासकार बताते हैं कि मुगल बादशाह अकबर के दरबार में भी दिवाली के मौके पर दीप जलाए जाते थे. इसके अलावा इस दिन लोग नए कपड़े पहनते और एक दूसरे को मिठाई भी बांटते थे. बादशाह अकबर के दौर से ही दीपावली के त्योहार को धूमधाम से मनाने की शुरुआत हुई और फिर इसी परंपरा को जहांगीर और शाहजहां ने भी आगे बढ़ाने का काम किया. मुगलों के दौर में दिवाली को  'जश्न-ए-चिरागां' भी कहा जाता था. 

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औरंगजेब के दौर की दिवाली

मुगल बादशाह औरंगजेब एक क्रूर शासक था, उसे अलग-अलग समुदायों के एक साथ मिलकर किसी त्योहार का जश्न मनाने से परहेज था. यही वजह है कि इस दौर में दिवाली का त्योहार उस धूमधाम से नहीं मनाया जाता था. हालांकि तमाम बंदिशों के बावजूद लोग इस त्योहार को मनाते थे और एक दूसरे को मिठाई बांटने का काम करते थे. इस दिन लोगों के घर चरागों से रोशन हुआ करते थे, जो सिलसिला आज भी जारी है.  

दिवाली पर होती थी आतिशबाजी

मुगलकाल में दिवाली के मौके पर आतिशबाजी भी की जाती थी. मुगलों के दौर में पटाखे और आतिशबाजी का खूब इस्तेमाल हुआ और इसके बाद से ही ये चलन में भी आए. हालांकि भारत में पटाखों का इतिहास इससे ज्यादा पुराना बताया जाता है. इस दौर में शाही शादी या फिर किसी और बड़े उत्सव के दौरान भी जमकर आतिशबाजी होती थी. 
 

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