कैसे काम करता है एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम? जिसके बंद होते ही हवा में टकरा सकते हैं कई प्लेन

Delhi Airport Flight Delay: दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एटीसी के एक सॉफ्टवेयर में अचानक खराबी आ गई, जिसके बाद कई फ्लाइट्स को कैंसिल करना पड़ा और सैकड़ों फ्लाइट डिले हो गईं.

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Delhi Airport Flight: दिल्ली एयरपोर्ट पर फ्लाइट्स हुईं डिले

Delhi Airport Flight Delay: दुनिया के सबसे बिजी एयरपोर्ट्स में से एक दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अचानक फ्लाइट्स डिले होने लगीं, लोग परेशान होने लगे और हवा में फ्लाइट्स का जाम लगना शुरू हो गया. एयर ट्रैफिक कंट्रोल के एक हिस्से में गड़बड़ी होने के चलते ऐसा हुआ था. बताया गया कि ऑटोमेटिक मैसेज स्विच सिस्टम (AMSS) में तकनीकी खराबी आई थी, जिससे 12 घंटे तक फ्लाइट ऑपरेशन में परेशानी आई. दिल्ली एयरपोर्ट पर 800 से ज्यादा फ्लाइट्स डिले हो गईं और 20 फ्लाइट्स को कैंसिल करना पड़ा. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम काम कैसे करता है और अगर ये पूरी तरह से ठप हो जाए तो क्या होगा. 

किस चीज में आई थी खराबी?

सबसे पहले ये जान लेते हैं कि दिल्ली एयरपोर्ट पर जिस ऑटोमेटिक मैसेज स्विच सिस्टम (AMSS) में तकनीकी खराबी आई थी, वो क्या है. ये एक नेटवर्क सिस्टम है, जिससे पायलट से लेकर ग्राउंड स्टाफ और बाकी एयरपोर्ट्स से टेक्स्ट मैसेज के जरिए रियल टाइम बातचीत होती है. इसमें फ्लाइट्स का रूट, फ्यूल की जानकारी, ऊंचाई, उड़ान में देरी, मौसम अपडेट, किसी तरह की चेतावनी और लैंडिंग से जुड़ी तमाम जानकारी शामिल होती है. 

जैसे ही पायलट अपना फ्लाइट प्लान भेजते हैं, AMSS तुरंत उस डेटा को चेक करता है और तमाम जगह भेजता है, रूट या मौसम बदलने पर भी सभी को इसके बारे में अपडेट देने का काम करता है. अगर AMSS काम करना बंद कर दे तो ये काम मैनुअली किया जाता है और इसमें काफी ज्यादा टाइम लगता है, जिससे फ्लाइट्स डिले होने लगती हैं. 

कैसे काम करता है ATC?

एयर ट्रैफिक कंट्रोल ही वो चीज है, जिससे हवा में उड़ रहे सैकड़ों विमानों को मैनेज किया जाता है. यानी अगर एटीसी कुछ मिनट के लिए भी बंद हो गया तो हवा में भारी ट्रैफिक जाम लग जाएगा और एक दूसरे से टक्कर होने की संभावना भी बढ़ सकती है. ये हवाई जहाजों के लिए ट्रैफिक पुलिस की तरह काम करता है, यानी कब रेड लाइट होगी, कब ग्रीन सिग्नल मिलेगा और कब लैंडिंग की इजाजत देनी है... सारी जानकारी ATC के जरिए ही फ्लाइट्स को मिलती है. 

  • एटीसी की हर जानकारी 100% सही होनी जरूरी है, छोटी सी गलती से बड़ी दुर्घटना हो सकती है
  • एटीसी सिस्टम तीन लेवल पर काम करता है, पहला ग्राउंड कंट्रोल, दूसरा टावर कंट्रोल  और तीसरा लेवल डिपार्चर कंट्रोल होता है. 
  • एटीसी कंट्रोलर के पास पूरे एयरपोर्ट का नक्शा होता है और हर रनवे उसकी सीट से दिखाई देता है. 
  • कॉकपिट में लगे ट्रांसपॉन्डर से एटीसी को रडार के जरिए फ्लाइट से जुड़ी तमाम जानकारियां मिल जाती हैं. 

बंद हो जाए ATC तो क्या होगा?

दिल्ली एयरपोर्ट पर एटीसी के एक छोटे हिस्से में खराबी आने से इतना ज्यादा हंगामा मच गया, लेकिन अगर पूरा एटीसी हैक हो जाए या कुछ देर के लिए काम करना बंद कर दे तो क्या होगा? ऐसा होने से हजारों लोगों की जान जा सकती है. हवा में मौजूद फ्लाइट्स को ये पता नहीं चल पाएगा कि उन्हें कितनी ऊंचाई पर रहना है और दूसरे प्लेन से कितनी दूरी बनानी है, इसके अलावा लैंडिंग की भी जानकारी नहीं मिल पाएगी. इससे हवा में कई विमानों की टक्कर हो सकती है. 

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