Christmas 2025: क्रिसमस सेलिब्रेशन को लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी हैं और तमाम शहरों में वेन्यू बुक हो चुके हैं. क्रिसमस की शाम खूब जश्न मनाया जाता है और रातभर लोग इस ईसाई त्योहार को सेलिब्रेट करते हैं. इस दिन ईसाई लोग चर्च में जाकर प्रार्थना भी करते हैं और यहां कैंडिल जलाते हैं. भारत में भी इस दिन भारी संख्या में लोग चर्च पहुंचते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत का सबसे पुराना चर्च कौन सा है? आइए जानते हैं कि भारत के सबसे पुराने चर्च कौन से हैं और इनकी क्या खासियत है.
सेंट थॉमस चर्च, केरल
केरल के सेंट थॉमस चर्च को भारत का सबसे पुराना चर्च कहा जाता है. बताया जाता है कि इस चर्च की स्थापना 52 ईस्वी में हुई थी. कहा जाता है कि इसकी स्थापना सेंट थॉमस द एपोस्टल ने की थी, हालांकि इसकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है. सेंट थॉमस के पवित्र अवशेष भी यहां रखे गए हैं, जिन्हें इटली से लाया गया था.
बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस, गोवा
गोवा में मौजूद इस खूबसूरत चर्च का निर्माण करीब 400 साल पहले किया गया था. ये चर्च काफी अलग शैली में बना हुआ है, जिसे 'बारोक' कहा जाता है. इस चर्च में सेंट फ्रांसिस जेवियर के अवशेष रखे गए हैं, जिन्हें पुर्तगाल से लाया गया था. यहां आज भी काफी ज्यादा टूरिस्ट आते हैं और क्रिसमस के मौके पर चर्च को सजाया जाता है.
सेंट फ्रांसिस चर्च, कोच्चि
इस चर्च में भारत की खोज में आए वास्को डी गामा को दफनाया गया था. यही वजह है कि इसे वास्को डी गामा पल्ली के नाम से भी जाना जाता है. वास्को डी गामा को 1524 में यहां दफनाया गया था, बाद में कई साल बाद उनके शरीर को लिस्बन ले जाया गया. पुर्तगालियं ने इस चर्च की नींव रखी थी.
इमैकुलेट कॉन्सेप्शन चर्च, गोवा
इस चर्च को 1541 में बनाया गया था, बाद में पुर्तगालियों ने इस चर्च को अपने हिसाब से बनाया. यहां पुर्तगाली-बारोक और गोअन वास्तुकला का शानदार मेल दिखता है. दो ऊंची मीनारों और एक बड़े घंटाघर के साथ ये चर्च काफी खूबसूरत दिखता है.
क्राइस्ट चर्च, शिमला
हिमाचल प्रदेश के शिमला में बने इस चर्च को उत्तर भारत का दूसरा सबसे पुराना चर्च कहा जाता है. इस चर्च को बनाने में 11 साल का वक्त लगा था. ब्रटिश राज में बना ये चर्च 'नियो-गॉथिक' वास्तुकला से तैयार किया गया है और इसकी खूबसूरती काफी मशहूर है, यही वजह है कि इसे कई फिल्मों में भी दिखाया गया है.
सांता क्रूज बेसिलिका, कोच्चि
कोच्चि में बने इस चर्च का निर्माण 1505 में हुआ था. इस चर्च का नाम 'सांता क्रूज' है. 1984 में पोप जॉन पॉल द्वितीय ने इसे बेसिलिका का दर्जा दिया था, यहां पर काफी खूबसूरत पेंटिंग्स हैं, जिन्हें यहां आने वाले लोग काफी पसंद करते हैं.














