बिहार के इस गांव में हाथी पर बैठकर आईं थीं इंदिरा गांधी, ऐसे पलट दी थी पूरी बाजी

Bihar Election: बिहार के बेलछी गांव में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले एक बड़ा कांड हुआ, जिसमें कुर्मियों के एक गुट ने बेलछी गांव पर हमला कर दिया और पिछड़ी जाति के 11 लोगों को जिंदा जला दिया गया.

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हाथी पर बैठकर बिहार के गांव पहुंची थीं इंदिरा गांधी

Bihar Election: बिहार आने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर चर्चा में है. फिलहाल बिहार में पक्ष से लेकर विपक्ष तक, हर कोई अपनी जोर आजमाइश में लगा हुआ है. नीतीश कुमार अपनी सरकार के काम गिना रहे हैं तो विपक्ष लगातार वोट चोरी के मुद्दे को बड़ा बनाने की कोशिश कर रहा है. इसी बीच बिहार की एक ऐसी कहानी आपको बताते हैं, जिसने एक झटके में पूरी बाजी पलट दी थी. ये कहानी इंदिरा गांधी की है, जब वो बिहार के एक गांव में हाथी में बैठकर गई थीं. 

मौके की तलाश में थीं इंदिरा

ये कहानी इमरजेंसी के बाद 1977 के दौर की है, इंदिरा गांधी देश की सत्ता से बाहर हो गई थीं और जनता पार्टी की सरकार चल रही थी. इस दौरान मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री पद पर थे. उस दौर में इंदिरा के खिलाफ एक लहर दौड़ रही थी और वो सत्ता में वापसी के लिए संघर्ष कर रही थीं. इंदिरा को इस दौरान सिर्फ एक मौके की तलाश थी और वो मौका उन्हें बिहार से मिल गया. 

बेलछी गांव में हुआ नरसंहार

बिहार के बेलछी गांव में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले एक बड़ा कांड हुआ, जिसमें कुर्मियों के एक गुट ने बेलछी गांव पर हमला कर दिया और पिछड़ी जाति के 11 लोगों को जिंदा जला दिया गया. इसमें बच्चे भी शामिल थे. इस घटना ने पूरे देश को सन्न कर दिया था और गुस्से की आग भड़कने लगी थी. तब इंदिरा गांधी ने तय किया कि वो इस गांव में जाएंगीं, क्योंकि ये उनके लिए पूरे देश में बड़ा मैसेज देने का मौका था. 

हाथी पर सवार हुईं इंदिरा

इंदिरा गांधी 13 अगस्त 1977 को पहले कार से निकलीं, लेकिन बारिश की वजह से आगे नहीं जा पाईं. इसके बाद ट्रैक्टर में सवार हुईं, लेकिन जलभराव और कीचड़ के चलते आगे नहीं जा पाईं. उनके साथ प्रतिभा पाटिल भी मौजूद थीं. जब बेलछी पहुंचने का कोई और साधन नहीं था, तब इंदिरा ने हाथी पर सवार होकर जाने का फैसला किया. करीब तीन घंटे तक हाथी की सवारी करने के बाद इंदिरा बेलछी पहुंच गईं और यही उनका सबसे बड़ा मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ. 

इंदिरा की बदल गई इमेज

इंदिरा ने बेलछी में दलितों से बातचीत की और उन्हें भरोसा दिया कि वो उनके साथ खड़ी हैं. ये तस्वीरें देशभर ने देखीं और इंदिरा को दलितों का पूरा साथ मिला. साथ ही जो भावनाएं उनके खिलाफ थीं, वो अब उनके साथ खड़ी हो गईं. इसका नतीजा ये रहा कि 1980 में कांग्रेस की वापसी हुई और एक बार फिर इंदिरा सत्ता में लौट गईं. इस तरह बिहार के एक गांव की एक घटना ने इंदिरा के राजनीतिक करियर को संजीवनी देने का काम किया.

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