UPSC Success Story: पिता के अंतिम संस्कार में जाने के पैसे भी नहीं थे, लेकिन हार नहीं मानी... साल 2012 में यूपीएससी परीक्षा क्रैक कर बन गएं IAS ऑफिसर 

IAS Ramesh Gholap: यूपीएससी पास कर आईएएस और आईपीएस बनने वाले हजारों-लाखों लोगों की कहानियां सोशल मीडिया पर खूब वायरल है. इन्हीं में से एक कहानी महाराष्ट्र के रमेश घोलप की है, जो इतने गरीब परिवार से थे कि उनके पास पिता के अंतिम संस्कार में जाने के लिए पैसे भी नहीं थे.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
UPSC Success Story: पिता के अंतिम संस्कार में जाने के पैसे भी नहीं थे, लेकिन हार नहीं मानी...
नई दिल्ली:

UPSC Success Story: यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा को भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है. लाखों उम्मीदवार यूपीएससी की परीक्षा में भाग लेते हैं लेकिन गिनती भर ही सफल हो दूसरे के लिए मिशाल बन जाते हैं. सोशल मीडिया पर यूपीएससी परीक्षा पास करने वाले लोगों की कहानी खूब वायरल है, इन्हीं में से एक कहानी आईएएस रमेश घोलप ( IAS Ramesh Gholap) की है. इंडिया डॉट कॉम  की खबर के मुताबिक महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के महागांव से आने वाले रमेश घोलप (Ramesh Gholap) का जन्म निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था.

उनके पिता की साइकिल रिपेयर की एक छोटी सी दुकान थी. रमेश के चार लोगों के परिवार में उनकी मां विमल घोलप और उनके भाई थे, जिनका भरण-पोषण करने के लिए उनके पिता को कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी. रमेश घोलप के घर का आर्थिक स्थिति तब और खराब हो गई जब शराब की लत के कारण उनके पिता की तबीयत खराब हो गई, जिससे उन्हें अपनी दुकान बंद करनी पड़ी.

भारत का लाल-अकृत प्राण जसवाल, महज 7 साल की उम्र में बना दुनिया का सबसे कम उम्र का सर्जन और 12 साल की उम्र में क्रैक किया IIT 

Advertisement

इसके बाद रमेश की मां विमल ने अपनी जीविका चलाने के लिए आस-पास के गांवों में जाकर चूड़ियां बेचना शुरू कर दिया. रमेश भी इस काम में अपनी मां का हाथ बटांते. अपने बाएं पैर में पोलियो से पीड़ित होने के बावजूद, रमेश ने अपनी मां के साथ मिलकर सड़कों पर चूड़ियां बेचने लगें ताकि परिवार का गुजरा हो सके. 

Advertisement

साल 2005 में रमेश के पैरों तले जमीन चली गईं, जब उनके पिता का निधन हो गया. उस समय वो इतने मजबूर थे कि उनके पास अपने पिता के  अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए बस का किराया देने के भी पैसे नहीं थे. पड़ोसियों की मदद से, किसी तरह पिता के अंतिम संस्कार में शामिल हुएं. इसका उनने जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा और उन्हें एहसास हुआ कि केवल शिक्षा से ही उन्हें और उनके परिवार को गरीबी से छुटकारा मिल सकता है. उसी क्षण से उन्होंने अपने और अपने परिवार के एक बेहतर भविष्य के लिए दृढ़ संकल्प के साथ खुद को पढ़ाई के लिए समर्पित कर दिया.

Advertisement

Rajasthan 4th Grade Vacancy 2025 : चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के लिए 52453 पदों पर निकलेंगी भर्तियां, 10वीं पास कर सकेंगे अप्लाई

Advertisement

रमेश हमेशा से एक होनहार छात्र थे, वो अपने स्कूल में स्टार थे. उन्होंने एक मुक्त विश्वविद्यालय से आर्ट्स में डिग्री की पढ़ाई पूरी की और 2009 में एक शिक्षक के रूप में काम करना शुरू कर दिया. कॉलेजों के दिनों में उनकी मुलाकात एक तहसीलदार से हुई और इस मुलाकात ने उनके अंदर एक नई महत्वाकांक्षा जगा दी.  इस मुलाकात से प्रेरित होकर, उसने अपनी नौकरी छोड़ने और यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने के लिए पुणे जाने का फैसला किया. 

RRB JE CBT 1 Result 2024: आरआरबी जेई सीबीटी 1 रिजल्ट जल्द होगा जारी, 16 से 18 दिसंबर तक चली थी परीक्षा

रमेश ने सिविल सेवा परीक्षा देने से पहले छह महीने तक जमकर सेल्फ स्टडी की. हालांकि उस बार भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया और साल 2010 में उनका पहला प्रयास विफल रहा. इसके बाद अगले दो साल उन्होंने जम कर तैयारी की और साल 2012 में सिविल सेवा परीक्षा क्रैक कर ली. यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में रमेश ने व्यांग कोटे के तहत अखिल भारतीय रैंक (AIR) 287 हासिल की और वो आईएएस ऑफिसर बन गएं. आज आईएएस रमेश घोलप झारखंड ऊर्जा विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत हैं. रमेश की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणादायक है, जो अपनी शारीरिक विकलांगता के लिए किस्मत को कोसते और हार मान कर बैठ जाते हैं. 

Featured Video Of The Day
Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली की लड़ाई, पूर्वांचली वोटों पर आई! | Data Centre
Topics mentioned in this article