झारखंड के गिरिडीह जिले के डुमरी थाना क्षेत्र के मधगोपाली पंचायत (दूधपनिया गांव) निवासी प्रवासी श्रमिक विजय कुमार महतो की मौत 24 अक्तूबर को सऊदी अरब में हुई थी. मौत उसके घर से करीब 4 से 5 हजार किलोमीटर दूर हुई. वजह थी गोली लगना. दरअसल, 15 अक्तूबर को सऊदी पुलिस की क्रॉस फायरिंग में विजय को गोली लग गई थी. घटना की सूचना विजय ने वॉइस नोट के जरिए पत्नी बसंती को दी थी.
अभी तक शव भी नहीं मिला
नौ दिन तक इलाज चला, लेकिन 24 अक्तूबर को विजय ने दम तोड़ दिया. मौत के बाद हंगामा हुआ. विधायक जयराम महतो ने लाश मंगवाने और मुआवजा दिलाने की मांग उठाई. लेकिन दो महीने बीतने के बावजूद न तो शव भारत आया और न ही परिवार को कोई सहायता मिली, अब घर में मातम पसरा हुआ है. कमाऊ बेटे की मौत से अधेड़ माता-पिता बुरी तरह टूट चुके हैं, वहीं पत्नी की हालत भी खराब है.
“लाश आए तो अंतिम संस्कार होगा”
विजय के पिता सूर्य नारायण महतो कहते हैं, “हमें सिर्फ आश्वासन मिला है. दूतावास बार-बार एनओसी की बात करता है. धमकी दी जाती है कि एनओसी नहीं देंगे तो शव को सऊदी में ही दफना देंगे, ऐसा कैसे हो सकता है? हमें शव चाहिए ताकि अंतिम संस्कार हो सके. मुआवजे की भी बात होनी चाहिए, लेकिन कोई करता नहीं.”
रोते-रोते टूटी पत्नी
विजय की पत्नी बसंती देवी कहती हैं, “जिनके साथ जीने-मरने की कसमें खाई थीं, वे अब नहीं रहे. घर में तंगी है, बच्चों की स्कूल फीस तीन महीने से नहीं जमा हुई. स्कूल वाले निकालने की धमकी दे रहे हैं, खाने तक की परेशानी है. जिस कंपनी में पति काम करते थे, वे भी कुछ नहीं कर रहे.”
क्या है पूरा मामला?
विजय सऊदी में हुंडई इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करता था. 15 अक्तूबर को उसने पत्नी को वॉइस मैसेज भेजा कि उसे गोली लगी है. अपराधी-पुलिस के बीच मुठभेड़ में वह फंस गया. अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन 24 अक्तूबर को उसकी मौत हो गई.
सरकार का पक्ष
झारखंड सरकार के लेबर सेल की टीम हेड शिखा लकड़ा कहती हैं, “घटना के बाद से सऊदी प्रशासन से लगातार संपर्क में हैं, मामला लोक अभियोजक के पास है. उनकी फाइनल रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई होगी.”














