नेपाल और चीन की ओर से मंगलवार को संयुक्त रूप से घोषणा की गई कि विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट की संशोधित ऊंचाई (Mount Everest Height) 8848.86 मीटर है जो कि भारत द्वारा 1954 में मापी गई ऊंचाई से 86 सेंटीमीटर अधिक है. नेपाल सरकार ने एवरेस्ट की सटीक ऊंचाई मापने का निर्णय लिया था क्योंकि 2015 में आए भूकंप तथा अन्य कारणों से चोटी की ऊंचाई में बदलाव की अटकलें लगाई जा रही थीं. चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ से जारी खबर में बताया गया कि चीन और नेपाल ने मंगलवार को घोषणा की है कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8848.86 मीटर है.
नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने काठमांडू में कहा कि नेपाल ने माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई फिर से मापी है जो 8848.86 मीटर है.
इससे पहले भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा 1954 में एवरेस्ट की ऊंचाई 8848 मीटर मापी गई थी जो नई ऊंचाई के मुकाबले 86 सेंटीमीटर कम थी.
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चीन द्वारा पहले किए गए मापन में माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8844.43 मीटर थी जो नेपाल की गणना से चार मीटर कम थी. मीडिया में आई खबरों के अनुसार चीन के सर्वेक्षकों ने माउंट एवरेस्ट पर वैज्ञानिक अनुसंधान किया था और उसकी ऊंचाई 1975 में 8848.13 मीटर और 2005 में 8844.43 मीटर बताई थी.
नेपाल ने खारिज कर दी थी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई संयुक्त रूप से मापने की भारत की पेशकश
अब से तीन साल पहले यानी दिसंबर 2017 में नेपाल ने माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई संयुक्त रूप से मापने की भारत की पेशकश खारिज कर दी थी. तब नेपाल के सर्वेक्षण विभाग के शीर्ष अधिकारी ने कहा था कि 2015 के भूकंप के बाद दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई संयुक्त रूप से फिर से मापने की भारत की पेशकश नेपाल ने खारिज कर दी और वह खुद ही यह काम करेगा.