विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S Jaishankar) ने शनिवार को कहा कि यूक्रेन युद्ध (Ukraine War) पर भारत के स्वतंत्र रुख और समझौतों का उल्लंघन करते हुए चीन द्वारा सीमा (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के पास ‘सैनिकों की तैनाती'' किये जाने के बाद उसके(भारत के) दृढ़ रुख की पूरे विश्व ने सराहना की है. ‘भारतीय विदेश नीति : परिवर्तनकारी दशक' विषय पर भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) अहमदाबाद में व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा कि यूक्रेन युद्ध पर स्वतंत्र रुख अपना कर भारत ने कई देशों की भावनाओं को व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि इस तरह की परिस्थितियों में देशों पर कोई एक पक्ष चुनने का भारी दबाव रहता है. उन्होंने कहा, ‘‘यह कि हमने स्वतंत्र रुख अपनाया है, यह कि हमने हमारे लोगों के कल्याण के दृष्टिकोण से जिन फैसलों को सही समझा, वही फैसला लिया है, इस बात की पूरी दुनिया ने सराहना की है.''
जयशंकर ने कहा, ‘‘दो साल पहले महामारी के बीच में चीन ने समझौते का उल्लंघन करते हुए हमारी सीमा के करीब सैनिक तैनात कर दिये. हम अपने रुख पर कायम रहे और दो साल से हम उस पर काम कर रहे हैं, कोई नरमी नहीं बरत रहे हैं और मुझे लगता है कि विश्व ने इसकी (हमारे रुख की) सराहना की है.''उन्होंने कहा कि वैश्विक समुदाय ने देखा कि भारत जमीनी स्तर पर मजबूत और अपने हितों को सामने रखने में मुखर भी हो सकता है. जयशंकर ने कहा कि भारत ने जिस तरह से कोविड-19 महामारी और टीकों का प्रबंधन किया, डिजिटल भारत का उभर कर सामने आना, नवीकरणीय ऊर्जा हब के रूप में उसका उभरना, भारतीय अर्थव्यवस्था का फिर से पटरी पर लौटना, जैसे उसने यूक्रेन में फंसे अपने छात्रों को सुरक्षित बाहर निकाला और स्वच्छ भारत ने देश की छवि सुधारने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया के लिए भारत को सही रूप में समझना आवश्यक है... भारत अब पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और एक दशक पहले हम 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हुआ करते थे... एक डिजिटल भारत, जो महामारी के बाद और मजबूत बनकर सामने आया है, आज दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और यही सच्चाई है.'' विदेश मंत्री ने कहा कि भारत के पास ‘‘जनांकिकीय रुप से चुनौति भरी दुनिया की तमाम कमियों'' को दूर करने की क्षमता और प्रतिभा है और वह ‘‘सभ्य राष्ट्र है जिसकी अपनी विरासत है, अपनी संस्कृति है और अपना अनुभव है.''
जयशंकर ने कहा कि भारत ऐसा लोकतंत्र है जो अपनी समस्याओं पर चर्चा करता है, अपनी जनता की देखभाल कर सकता है और उसके पास ‘‘दुनिया के अन्य लोगों के लिए समय और जगह भी है.'' उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 10 साल में हमने यही ‘ब्रांड इमेज' बनायी है और मेरा मानना है कि इसने देश की छवि बदली है और मेरा मानना है कि काम अभी चल रहा है और मुझे पूरा विश्वास है कि यह अभी चलता ही रहेगा.''