दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे डॉक्टर को गिरफ्तार किया है, जो अब तक फर्जी डिग्री के सहारे 11 अस्पतालों में काम कर चुका है. उसने खुद को डॉक्टर बताकर 2 शादियां भी की. उस पर ठगी के कुल 27 मामले दर्ज हैं. क्राइम ब्रांच के एडिशनल सीपी शिवेष सिंह के मुताबिक, आरोपी मनीष कौल 2019 में दिल्ली पुलिस की कस्टडी से मुंबई से भाग गया था. उसे काफी मशक्कत और जांच के बाद मेरठ के शास्त्री नगर तब गिरफ्तार किया, जब उसने ऑनलाइन खाना ऑर्डर किया. वो मेरठ में एक अस्पताल में डॉक्टर विक्रांत भगत के नाम से काम कर रहा था. हालांकि ठगी के लिए वो लगातार अपने नाम बदलता रहता है, जैसे वरुण कौल, मनीष चड्डा, आशुतोष मारवाह, विशेष धीमान, संजीव चड्डा, एस चौधरी, गौरव सेठी, अनु सेठी और विक्रांत भगत.
पूछताछ में आरोपी ने बताया उसका जन्म अंबाला कैंट के एक अमीर परिवार में हुआ था. उसके पिता राजेन्द्र पाल कौल एक दवा की फैक्ट्री चलाते थे. उसने जालंधर के एक कॉलेज में बैचलर ऑफ यूनानी एंड होम्योपैथी डिप्लोमा में एडमिशन लिया. लेकिन वो भी पूरा नहीं किया, फिर वो अपने पिता की दवा की फैक्ट्री में हाथ बंटाने लगा. लेकिन उसकी कंपनी द्वारा एक डीलर के साथ ठगी के मामले में वो पहली बार गिरफ्तार हुआ. उसके बाद वो 2002 से 2008 तक ठगी के अलग-अलग मामलों में लगातार गिरफ्तार होता रहा. 2007 में वो दिल्ली के पटेल नगर में एक महिला टीचर के संपर्क में आया. उसने खुद को डॉक्टर बताते हुए उस महिला टीचर से शादी कर ली. जिसके बाद इस शादी से मनीष कौल की एक बेटी हुई.
2015 में मनीष कौल ने जीवन साथी डॉट कॉम के जरिये खुद को डॉक्टर बताते हुए दिल्ली के अशोक विहार की रहने वाली एक महिला डॉक्टर से फिर शादी कर ली. जिसके बाद महिला डॉक्टर से एक बेटा हुआ. हालांकि बाद में महिला डॉक्टर को मनीष कौल की सच्चाई पता चल गई और उसने इसके खिलाफ केस दर्ज करा दिया. मनीष को जैसे ही पता चला वो पिस्टल लेकर महिला डॉक्टर को मारने के लिए उसके क्लीनिक पहुंच गया. जिसके बाद महिला डॉक्टर ने पुलिस को फोन कर दिया.
पुलिस के आते ही मनीष फायरिंग करते हुए भागा लेकिन पकड़ा गया, फिर 2019 में वो पुलिस कस्टडी से भाग गया. उसके बाद उसने राजस्थान के पाली में एक मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल खोला. लेकिन वहां 5 महीने बाद पुलिस ने उसके पिता राजेन्द्र पाल कौल को ठगी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. उसके बाद मनीष गुरुग्राम आ गया और मेरठ के एक अस्पताल में डॉक्टर विक्रांत भगत के नाम से काम करने लगा. उसने 8 साल में 11 अलग-अलग अस्पतालों में डॉक्टर के तौर पर काम किया, जबकि उसके पास कोई डिग्री नहीं थी.