केंद्र सरकार (Modi Govt) ने B.1.617 कोविड वैरिएंट (Corona Variant) को 'भारतीय वैरिएंट' (Indian Variant) के रूप में लेबल करने पर आपत्ति जताई है. केंद्र ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 'भारतीय' शब्द का इस्तेमाल कहीं नहीं किया है. डब्ल्यूएचओ ने भी ट्वीट किया कि वायरस या वैरिएंट की पहचान उन देशों के नामों से नहीं की जानी चाहिए, जहां वे पाए गए. एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ''कई मीडिया रिपोर्टों ने WHO द्वारा B.1.617 को वैश्विक चिंता के रूप में वर्गीकृत करने की खबर को कवर किया है. इनमें से कुछ रिपोर्टों ने कोरोनवायरस के B.1.617 वैरिएंट को 'भारतीय वैरिएंट' करार दिया है. ये मीडिया रिपोर्ट्स निराधार हैं.''
केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया, "यह स्पष्ट करना है कि डब्लूएचओ ने अपने 32 पन्नों के दस्तावेज में कोरोनोवायरस के B.1.617 वैरिएंट के साथ 'भारतीय वेरिएंट' शब्द को संबद्ध नहीं किया है. वास्तव में, 'भारतीय' शब्द का उपयोग इस रिपोर्ट में कहीं भी नहीं किया गया है."
डब्ल्यूएचओ ने ट्वीट कर स्पष्ट किया है कि डब्ल्यूएचओ उन देशों के नामों के साथ वायरस या वैरिएंट की पहचान नहीं करता है, जहां वे पहली बार पाए गए हैं. हम उन्हें उनके साइंटिफिक नामों से संदर्भित करते हैं और सभी से अनुरोध करते हैं कि वे भी ऐसा ही करें.
डब्ल्यूएचओ ने मंगलवार को कहा, कोविड का B.1.617 वैरिएंट जो पहली बार भारत में पिछले अक्टूबर में मिला था वह तेजी से फैल रहा है. यह वैरिएंट 44 देशों में पाया गया है. हम इसे वैश्विक स्तर पर एक चिंता के विषय (variant of concern) के रूप में वर्गीकृत कर रहे हैं. अब तक डब्ल्यूएचओ ने इस वैरिएंट को वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट की श्रेणी में रखा था.
ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में पहली बार पाए गए COVID-19 के तीन अन्य वैरिएंट को पहले से ही "चिंता का विषय" के रूप में वर्गीकृत किया गया है. B.1.617 स्ट्रेन को डबल म्यूटेंट है क्योंकि वायरस के जीनोम में दो बदलावों E484Q और L452R की उपस्थिति का पता चला है.
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