करवा चौथ जैसे निर्जला व्रत से बढ़ता है स्ट्रोक का खतरा! डॉक्टरों ने डिहाइड्रेशन को लेकर दी चेतावनी

वॉकहार्ट हॉस्पिटल्स के स्ट्रोक स्पेशलिस्ट डॉ. पवन पाई ने कहा कि डिहाइड्रेशन चाहे वह धार्मिक उपवास हो, कड़ी कसरत हो या बिना देखरेख के इंटरमिटेंट फास्टिंग हो, खून को गाढ़ा कर सकता है और क्लॉट बनने को बढ़ावा दे सकता है, जिससे स्ट्रोक हो सकता है.

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डॉक्‍टरों के मुताबिक, स्‍ट्रोक से बचाव के लिए पर्याप्त पानी पीना और शुरुआती लक्षणों को पहचानना बेहद जरूरी है. (प्रतीकात्‍मक फोटो)
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  • हर साल विश्व में लाखों लोग स्ट्रोक के कारण मृत्यु या गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करते हैं.
  • डॉक्‍टरों ने करवा चौथ जैसे लंबे निर्जला व्रतों में डिहाइड्रेशन से स्ट्रोक का खतरा बढ़ने की चेतावनी दी है.
  • इसके साथ ही डॉक्टरों ने पर्याप्त पानी पीने और स्‍ट्रोक के शुरुआती लक्षणों को पहचान की जरूरत बताई है.
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मुंबई :

दुनिया भर में हर साल लाखों लोगों की मौत स्‍ट्रोक के कारण हो जाती है. साथ ही बड़ी संख्‍या में लोग साधारण रूप से रोजमर्रा का जीवन भी नहीं जी पाते हैं. ऐसे में स्‍ट्रोक को लेकर दुनिया भर में चिंता बढ़ रही है. ऐसे में 29 अक्‍टूबर को हर साल विश्‍व स्ट्रोक दिवस मनाया जाता है. मुंबई के वॉकहार्ट हॉस्पिटल्स ने स्‍ट्रोक को लेकर एक चौंकाने वाली जानकारी साझा की है, जो भारतीय रीति-रिवाजों से जुड़े एक बड़े खतरे की ओर इशारा करती है. अस्पताल ने कहा है कि डिहाइड्रेशन यानी पानी की कमी खासकर करवा चौथ जैसे लंबे उपवास के दौरान स्ट्रोक का एक बड़ा और अनदेखा कारण बन सकता है. 

वॉकहार्ट हॉस्पिटल्स के कंसल्टेंट इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजिस्ट और स्ट्रोक स्पेशलिस्ट डॉ. पवन पाई ने 33 वर्षीय एक महिला का मामला साझा किया और बताया कि इस महिला ने 10 अक्टूबर को करवा चौथ के दिन पूरे दिन निर्जला व्रत रखा था. व्रत तोड़ने से ठीक पहले रात करीब 9:30 बजे महिला को अचानक शरीर के बाईं ओर भयंकर कमजोरी महसूस हुई और वह गिर गईं. 

दिमाग की नस में था बड़ा क्लॉट, सफल रही सर्जरी

महिला को पहले दूसरे अस्पताल ले जाया गया था, जहां थ्रोम्बोलिसिस क्लॉट घोलने वाली दवा दी गई. हालांकि उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ. 

इसके बाद उन्हें तुरंत मीरा रोड स्थित वॉकहार्ट हॉस्पिटल्स ले जाया गया. जांच में पता चला कि उनके दिमाग को खून सप्लाई करने वाली राइट इंटरनल कैरोटिड आर्टरी (ICA) में एक बड़ा क्लॉट जम गया है.

मामले की गंभीरता को देखते हुए डॉ. पाई ने तुरंत एक्शन लिया. सुबह करीब सात बजे आपातकालीन मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी सर्जरी शुरू की गई.

केवल तीन प्रयासों में ही क्लॉट को सफलतापूर्वक निकाल लिया गया और 8:45 बजे तक दिमाग में पूरा रक्त प्रवाह बहाल हो गया.

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डिहाइड्रेशन ही बना मुख्य वजह! डॉक्टर्स ने दी चेतावनी

डॉक्टरों के मुताबिक, यह तेज और सही समय पर हुई सर्जरी ही थी जिसने महिला को स्थायी दिमागी क्षति से बचा लिया. 

सर्जरी के बाद महिला की स्थिति में तेजी से सुधार हुआ और अगले ही दिन वह काफी हद तक चलने-फिरने लगीं. एक सप्ताह के भीतर उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई.

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जांच में पता चला कि महिला में स्ट्रोक का कोई अन्य जोखिम कारक नहीं था, जिससे यह साबित हुआ कि "डिहाइड्रेशन ही स्ट्रोक का मुख्य कारण था."

डॉक्‍टर ने बताया- इन कारणों से बढ़ सकता है स्‍ट्रोक का खतरा

डॉ. पवन पाई ने चेताया, "किसी भी रूप में डिहाइड्रेशन चाहे वह धार्मिक उपवास हो, कड़ी कसरत हो या बिना देखरेख के इंटरमिटेंट फास्टिंग—खून को गाढ़ा कर सकता है और क्लॉट बनने को बढ़ावा दे सकता है, जिससे स्ट्रोक हो सकता है.  

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पर्याप्त मात्रा में पानी पीना और शुरुआती लक्षणों को पहचानना बेहद जरूरी है.

यह मामला एक कड़ा संदेश देता है कि स्ट्रोक से लड़ने के लिए जागरूकता, हाइड्रेशन और समय पर सही इलाज जैसे मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी कितना महत्वपूर्ण है.

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