चीनी App के जरिये लाखों भारतीयों से करोड़ों रु. ठगे, दो चीनी नागरिकों सहित 12 गिरफ्तार, यूं की जाती थी ठगी..

जांच में पता चला कि जो लिंक वायरल है वो एक वेबसाइट का है इसके साथ लिंक और ऐप आपस में एक चीन के सर्वर से जुड़े हैं,जब इस ऐप की और जांच की गई तो पता चला कि ये संदिग्ध हैं.

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पुलिस की गिरफ्त में आए आरोपी
नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने साइबर ठगी के एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है जिसे चीनी नागरिक चला रहे थे, अनुमान के तहत ये लोग अलग-अलग ऐप  के जरिये ये लोग लाखों लोगों से करोड़ों की ठगी कर चुके हैं. मामले में अभी तक 2 चीनी नागरिकों समेत कुल 12 लोग गिरफ्तार हुए हैं और अलग अलग अकॉउंट से ठगी का 6 करोड़ से ज्यादा रुपया जब्त कर लिया गया है. दिल्ली पुलिस साइबर सेल के डीसीपी अनयेश रॉय के मुताबिक, पुलिस को इस बात की जानकारी दिसम्बर के आखिरी हफ्ते से लगातार मिल रही थी कि लोगों के वॉट्स ऐप  पर अज्ञात नम्बरों से एक तरह के मैसेज आ रहे थे जिसमें एक लिंक भेजकर एक ऐप डाउनलोड करने के लिए कहा जा रहा था. कहा जा रहा था कि इस ऐप  के जरिये केवल 30 मिनट में 3000 तक रुपये कमाए जा सकते हैं. 

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जानकारी के अनुसार, ये मैसेज ISD नम्बर और वर्चुअल नम्बरों से आ रहे थे. इसमें एक एनक्रिप्टेड यूआरएल था,इसे एक संदिग्ध गतिविधि मानते हुए दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने अपनी मालवेयर लैब में इसकी जांच कराई, ऐप की भी जांच कराई. इस जांच में पता चला कि जो लिंक वायरल है वो एक वेबसाइट का है इसके साथ लिंक और ऐप आपस में एक चीन के सर्वर से जुड़े हैं,जब इस ऐप  की और जांच की गई तो पता चला कि ये काफी संदिग्ध हैं और जिस मालवेयर से ये जुड़ा था उसके जरिये जो ये परमिशन ले रहा था उसके तहत अलग-अलग ऐप  डाउनलोड करवा सकता था, जैसे कि इस ऐप  ने एक क्यूक्यू ब्राऊजर को डाउनलोड करवाया ये वही ऐप हैं जो भारत सरकार ने पिछले साल जून में ब्लॉक करवाये थे. इस तरह की संदिग्ध एक्टिविटी ये ऐप  कर रहा था, इसके बाद वेबसाइट और ऐप  की गतिविधि की और जांच की गई तो पता चला कि इस ऐप  के माध्यम से जो यूजर खुद को रजिस्टर्ड करवाता था उसको टास्क दिए जाते थे. ये टास्क होता था कि आप उस ऐप  के टास्क पर क्लिक करेंगे तो आपका फेसबुक ,इंस्टाग्राम या यूट्यूब अकॉउंट खुलेगा और उसमें दिए गए वीडियो को आपको लाइक करना है. ये कहा जाता था कि इस ऐप के माध्यम से आप अगर एक वीडियो को लाइक या फॉलो करेंगे तो आपको 6 रुपये मिलेंगे,फॉलो करने के बाद उसका स्क्रीनशॉट भी शेयर करना होता था. इसमें ये भी कहा गया कि अगर आपको ज्यादा पैसे कमाने हैं तो आपको वीआईपी अकॉउंट लेना पड़ेगा,लेकिन इसके लिए 1000 से लेकर 50 हज़ार तक के अलग-अलग सब्स्क्रिसपन ऑफर हैं,इसमें जो सोशल मीडिया पेज या अकॉउंट पुश कर रहा था जब उनकी जांच की गई तो पता चला कि इन सोशल मीडिया अकॉउंट में ज्यादा जानकारी नहीं है,कुछ अकॉउंट ऐसे थे उन्हें कौन चला रहा है पता नहीं पड़ रहा था.

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इस तरह से हज़ारों सोशल मीडिया अकाउंट ये ऐप चला रहा था जिसको कि इंडियन यूजर्स फॉलो कर रहे थे और लाइक कर रहे थे. फिर इस ऐप की एक और गतिविधि देखी गई कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने के लिए इसने मल्टीलेबल मार्केटिंग का तरीका अपनाया,इसके तहत कहा गया कि अगर आप इस ऐप  या लिंक को और लोगों को  भेजोगे तो आपको उसका यूजर का 3 प्रतिशत से लेकर 50 प्रतिशत तक का कमीशन मिलेगा,इस तरह से ये ऐप  बीते साल 17 दिसम्बर को चालू हुआ और देखते ही देखते करोड़ों लोगों ने इसको डाऊनलोड कर लिया,इसमें जो लोग सब्स्क्रिसपन के लिए पैसा जमा कर रहे थे जांच में पता चला कि वो पैसा 40 सेल कंपनियों में जा रहा था. उन कंपनी के कुछ डायरेक्टर भारतीय मिले जबकि कुछ चीन के थे. इन सेल कंपनीज से पेमेंट अलग-अलग रूट पर जा रही थी.

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जांच के बाद 13 जनवरी को दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में छापेमारी की गई. इसके बाद 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, इनमें दो चीनी महिलाओं 27 साल की चोंचोंग डेंग डॉयोंग और और 54 साल की वू जिज़ही को लाजपत नगर इलाके से गिरफ्तार किया गया. इन दोनों के पास से 25 लाख 42 हज़ार रुपये बरामद हुए. आरोपियों के जिन अकॉउंट के बारे में पता चला उनमें अब तक 6 करोड़ रुपये मिले हैं. सभी अकाउंट को ब्लॉक करा दिया गया है. पुलिस को अब तक 40 हज़ार पीड़ितों के बारे में पता चला है जबकि आशंका है कि करीब 10 करोड़ लोगों ने इस ऐप को डाउनलोड किया है. इस ऐप  के पीछे जो मास्टरमाइंड हैं और जिनके पास पैसे जा रहे हैं वो भी चीनी नागरिक हैं. ये 2 लोग है एक का नाम जोनाथीन और दूसरे का नाम एरिक है.हालांकि ये इंग्लिश नाम हैं जो ये लोग भारत में प्रयोग करते हैं. दोनों लोग विदेश में बैठकर पूरा ऑपरेशन देखते हैं. पुलिस के मुताबिक इस ऐप के जरिये करोड़ो भारतीयों के ऐसे सोशल मीडिया अकाउंट को फॉलो किया जा रहा था जिसके बारे में वो जानते ही नहीं है. इस तरह से अलग-अलग तरह के वीडियो डालकर पब्लिक परसेप्शन बनाया जा रहा था जो कि खतरनाक है. जिन लोगों ने ऐप डाउनलोड किया उन्हें ऐप में ही पैसा आया लेकिन हकीकत में वो कभी उस पैसे को निकाल नहीं सके. ये ऐप और उसका लिंक अलग-अलग नामों से आता था.

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