क्या चंडीगढ़ में कानून बनाने का अधिकार सीधे राष्ट्रपति के पास होगा? क्या है केंद्र सरकार की प्लानिंग, पढ़ें

मौजूदा समय में पंजाब के राज्यपाल ही चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक होते हैं. इससे पहले, एक नवंबर 1966 से जब पंजाब का पुनर्गठन हुआ था तब चंडीगढ़ का प्रशासन स्वतंत्र रूप से मुख्य सचिव द्वारा किया जाता था.

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नई दिल्ली:

केंद्र ने संविधान के अनुच्छेद 240 के दायरे में चंडीगढ़ को शामिल करने के लिए एक विधेयक संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में लाने की योजना बना रहा है, जिसके तहत राष्ट्रपति को संघ शासित क्षेत्र के लिए सीधे विनियम और कानून बनाने का अधिकार प्राप्त होता है. सरकार एक दिसंबर से शुरू होने संसद के सत्र में इस संबंध में 131वां संविधान संशोधन विधेयक- 2025 पेश करेगी. विधेयक का उद्देश्य भारत के संविधान के अनुच्छेद 240 के दायरे में केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को शामिल करना है.

यह प्रस्ताव उन अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के अनुरूप है, जहां विधानसभा नहीं है, जैसे अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव. पुडुचेरी भी इस दायरे में तब आता है, जब वहां की विधानसभा भंग या निलंबित हो. इससे चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश को एक स्वतंत्र प्रशासक मिलने की संभावना बनेगी. पहले भी चंडीगढ़ का प्रशासन एक स्वतंत्र मुख्य सचिव देखता था.

मिल रही जानकारी के अनुसार सरकार आगामी सत्र में पेश किए जाने वाले 10 विधेयकों की एक अस्थायी सूची भी पेश की है. संविधान का अनुच्छेद 240 राष्ट्रपति को कुछ केंद्र शासित प्रदेशों के लिए विनियम बनाने का अधिकार देता है, ताकि अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह, लक्षद्वीप, दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव तथा पुडुचेरी में शांति, प्रगति और प्रभावी प्रशासन सुनिश्चित किया जा सके.

हालांकि, इस अनुच्छेद में कहा गया है कि जब किसी केंद्र शासित प्रदेश में अनुच्छेद 239ए के तहत कोई निकाय (जैसे पुडुचेरी में) विधायिका हो तो उस स्थिति में प्रथम सत्र की तिथि से राष्ट्रपति उस केंद्र शासित प्रदेश के लिए कोई विनियम नहीं बना सकेंगे. इसके अलावा, इसमें यह भी प्रावधान है कि राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए ऐसे किसी भी विनियम के माध्यम से संसद द्वारा पारित किसी कानून या उस केंद्र शासित प्रदेश पर लागू किसी अन्य प्रचलित कानून को निरस्त या संशोधित किया जा सकता है. राष्ट्रपति द्वारा जारी किए जाने पर ऐसे विनियम को उस केंद्र शासित प्रदेश में लागू संसद अधिनियम के समान ही प्रभाव और शक्ति प्राप्त होगी. 

मौजूदा समय में पंजाब के राज्यपाल ही चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक होते हैं. इससे पहले, एक नवंबर 1966 से जब पंजाब का पुनर्गठन हुआ था तब चंडीगढ़ का प्रशासन स्वतंत्र रूप से मुख्य सचिव द्वारा किया जाता था. एक जून 1984 से चंडीगढ़ का प्रशासन पंजाब के राज्यपाल द्वारा किया जा रहा है और मुख्य सचिव का पद केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक के सलाहकार में परिवर्तित कर दिया गया था. 

अगस्त 2016 में, केंद्र ने पुरानी व्यवस्था बहाल करने की कोशिश और स्वतंत्र प्रशासक के रूप में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी के. जे. अल्फोंस को नियुक्त किया. हालांकि, तत्कालीन पंजाब के मुख्यमंत्री और तब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल शिरोमणि अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) सहित अन्य दलों के कड़े विरोध के कारण इसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका. 

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चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा दोनों की संयुक्त राजधानी है. पंजाब चंडीगढ़ पर दावा करता है और उसने तत्काल इसे पंजाब को हस्तांतरित करने की मांग की है. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने यह मांग हाल ही में फरीदाबाद में संपन्न हुए उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में भी दोहराई. 

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