क्या झारखंड में टूट जाएगा NDA, नीतीश कुमार के JDU के इस कदम ने बढ़ाई BJP की बेचैनी

झारखंड में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में अगर सरयू राय और नीतीश कुमार का गबंधन हो जाता है, तो वह बीजेपी के लिए परेशानी का सबब बन जाएगा. बीजेपी के नाराज नेता इस गठबंधन में शामिल हो सकते हैं.

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नई दिल्ली:

केंद्र में लगातार तीसरी बार एनडीए की सरकार बनाने से बीजेपी के हौसले बुलंद हैं.इस बीच आदिवासी बहुल राज्य झारखंड की राजनीतिक हलचल उसे बेचैन कर रही है.एक समय बीजेपी के कद्दावर नेता रहे सरयू राय ने एनडीए की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं.इससे झारखंड में एनडीए को छिन्न-भिन्न हो जाने का खतरा है. 

झारंखड विधानसभा के चुनाव इसी साल प्रस्तावित हैं.इसकी तैयारी में सभी दल लगे हुए हैं.राज्य में रोज नए-नए गठबंधनों को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं.बीजेपी से इस्तीफा देकर भारतीय जनतंत्र मोर्चा (भाजमो) बनाने वाले सरयू राय ने जनता दल (यूनाइटेड) के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की घोषणा की है.

सरयू राय ने कहा क्या है?

पटना में नीतीश कुमार से मिलने के बाद सरयू राय ने 'एक्स' पर लिखा, ''पटना मुख्यमंत्री निवास में नीतीश कुमार से भेंट हुई.झारखंड विधानसभा के आगामी चुनाव में हमारी संभावित भूमिका के बारे में संक्षिप्त परंतु फलदायक चर्चा हुई.साथ में झारखंड विधानसभा चुनाव लड़ने पर सहमति बनी.शेष चुनावी औपचारिकताओं पर जद(यू) नेतृत्व शीघ्र निर्णय लेगा.'' 

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इस गठबंधन को लेकर अभी जेडीयू की ओर से कोई बयान नहीं आया है. लेकिन उसके कुछ नेताओं ने इसको लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है.बीते लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने बिहार में 12 सीटें जीती हैं. वह पिछले काफी समय से बिहार के पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश और झारखंड में अपना आधार बढाना चाहती है.लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिली है. ऐसे में झारखंड में सरयू राय जैसे नेता का साथ उसके लिए फायदेमंद हो सकता है. 

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झारखंड में बढ़ी राजनीतिक सरगर्मी

झारखंड में आकार ले रहा है, नया राजनीतिक समीकरण वहां की राजनीति में हलचल पैदा कर रहा है.आरएसएस की पृष्ठभूमि से आने वाले सरयू राय लंबे समय तक बीजेपी में रहे हैं. वो झारखंड सरकार में मंत्री भी रहे हैं.उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी इस इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने 2019 का विधानसभा चुनाव तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास के खिलाफ जमशेदपुर पूर्वी सीट पर चुनाव लड़ा था.वहां राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघवुर दास बीजेपी के उम्मीदवार थे.राय ने उन्हें हरा दिया था. इसके बाद उन्होंने भारतीय जनतंत्र मोर्चा का गठन किया था. अगर यह मोर्चा नीतीश कुमार के साथ विधानसभा चुनाव लड़ता है तो बीजेपी के नाराज नेता राय का दामन थाम सकते हैं. 

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संवाददाता सम्मेलन करते सरयू राय (दाएं)

सरयू राय के झारखंड मुक्ति मोर्चा से भी अच्छे संबंध हैं. उन्होंने पटना जाने से पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी मुलाकात की थी. उन्होंने सोरेन को हाई कोर्ट से मिली जमानत पर भी इशारे-इशारे में समर्थन कर दिया था.उन्होंने इस फैसले के दूरगामी राजनीतिक प्रभाव पड़ने की उम्मीद जताई थी. वो दुमका में हेमंत सोरेन के समर्थन में चुनाव प्रचार भी कर चुके हैं. 

कहां पर है बीजेपी की नजर

बीजेपी जेडीयू और भाजमो के बीच होने वाले गठबंधन पर नजर बनाए हुए हैं. उसकी चिंता इस गठबंधन के अलावा अपनी सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) की नाराजगी भी है. आजसू ने बीते लोकसभा चुनाव में एक सीट जीती है. लेकिन मोदी मंत्रिमंडल में उसे जगह नहीं मिली है. इससे आजसू नाराज बताई जा रही है. इस नाराजगी को दूर करने के लिए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड बीजेपी के प्रभारी शिवराज सिंह चौहान ने उनसे मुलाकात भी कर चुके हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में आजसू और बीजेपी में गठबंधन नहीं हो पाया था.आजसू के इस समय विधानसभा में तीन विधायक हैं. इससे बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा था.बीजेपी फिर वही गलती नहीं दोहराना चाहती है. 

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन से मिलते सरयू राय.

लोकसभा चुनाव बीजेपी के लिए थोड़ी परेशानी पैदा करने वाले रहे. राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों में से कोई भी सीट बीजेपी नहीं जीत पाई थी. यह आदिवासी बहुल राज्य झारखंड में बीजेपी के लिए खतरे की घंटी थी. पिछले विधानसभा चुनाव में वह अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित केवल दो सीटें ही बीजेपी जीत पाई थी. ऐसे में ये आकंड़े और राज्य का हालिया राजनीतिक घटनाक्रम बीजेपी को परेशान करने वाला है. वह राज्य अपनी सरकार बनाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है. 

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