क्‍या नीतीश कुमार की पार्टी होगी PM मोदी की कैबिनेट में शामिल? दो साल के बाद भी हैं मुश्किलें.. 

जेडीयू के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष और नीतीश कुमार के करीब आरसीपी सिंह ने हाल ही में कहा था कि पीएम मोदी जब भी कैबिनेट का विस्‍तार करेंगे, जेडीयू निश्चित रूप से इसमें शामिल होगी.

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सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार ने कहा है कि यह पीएम का विशेषाधिकार है
पटना:

क्‍या नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) की पार्टी, जनता दल यूनाइटेड (JDU) के सांसद, पीएम नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की सरकार में शामिल होंगे? यह इस बात पर निर्भर करता है कि जेडीयू की ओर से जवाब दे कौन रहा है. करीबी सूत्रों के अनुसार बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि यह पीएम का विशेषाधिकार है और फिलहाल इस बारे में कोई चर्चा या प्रस्‍ताव नहीं है. जेडीयू के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष और नीतीश कुमार के करीब आरसीपी सिंह ने हाल ही में कहा था कि पीएम मोदी जब भी कैबिनेट का विस्‍तार करेंगे, जेडीयू निश्चित रूप से इसमें शामिल होगी. जेडीयू संसदीय दल के नेता राजीव रंजन या लल्‍लन सिंह ने भी सीएम के सुर में सुर मिलाते हुए कहा है, 'यह पीएम का विशेषाधिकार है.'

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ये दोनों नेता ही नीतीश कुमार के करीबी हैं और वरिष्‍ठतम नेता होने के नाते इन्‍हें जेडीयू कोटे से पीएम के कैबिनेट में स्‍थान पाने का मजबूत दावेदार माना जा रहा है. 2019 में जब पीएम मोदी दूसरे कार्यकाल के लिए सत्‍ता में आए थे तब नीतीश कुमार ने कैबिनेट में एक मंत्री पद के बीजेपी के प्रस्‍ताव को ठुकरा दिया था. उनका जोर दो पद या फिर 'कुछ भी नहीं' को लेकर था. उन्‍होंने सहयोगी दलों के प्रतिनिधित्‍व के अनुपात के आधार पर यह निर्धारित करने का तर्क दिया था. बीजेपी के दूत और बिहार के लिए बीजेपी के प्रभारी भूपेंद्र यादव ने सीएम को बताया था केवल एक कैबिनेट मंत्री का पद ही सैद्धांतिक या 'टोकन प्रतिनिधित्‍व' के आधार पर संभव है. तब यह माना जा रहा था कि पीएम मोदी को मिले भारी जनादेश के चलते बीजेपी बड़े स्‍तर पर सहयोगियों को कैबिनेट में स्‍थान देने के लिए इच्‍छुक नहीं थी. ऐसे में बिहार के सीएम ने पूरी तरह से केंद्रीय मंत्रिमंडल से बाहर रहने का फैसला‍ लिया था.

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स्थिति अब बदली हुईं हैं. खासकर पश्चिम बंगाल चुनाव में लगे झटके के बाद बीजेपी, सहयोगियों को खुश रखना चाहती है लेकिन नीतीश कुमार के लिए अब कैबिनेट में दो स्‍थान पर्याप्‍त नहीं हैं.जेडी यू नेताओं ने कहा कि नीतीश अपने रुख पर पुनर्विचार करने के लिए तैयार हैं लेकिन पूरी तरह से नहीं. इस समय, उनके लिए दो मंत्रालयों को लेकर समझौता करना कठिन होगा जैसी कि उन्‍होंने 2019 में मांग की थी. सूत्र तो यहां तक कहते हैं कि यदि बीजेपी पूर्व के एक (मंत्रीपद) के ऑफर को बढ़ाकर दो करती है तो नीतीश कम से कम पांच पद चाहते हैं.सीएम को यह भी सुनिश्चित करना है कि उनके मूल वोट बैंक-कुशवाहा, अति पिछड़ी जातियों और महादलित को प्रतिनिधित्‍व मिले. कैबिनेट में स्‍थान के लिए उनके दो प्रमुख उम्‍मीदवार आरसीपी सिंह (जो नीतीश कुमार की कुर्मी जाति से ही हैं) और लल्‍लन सिंह (अपर कास्‍ट) हैं. ऐसे में नीतीश या तो अपने दो खास सिपहसालारोंको अनदेखा कर सकते हैं या उन जातियों का, जिन्‍होंने हमेशा उनका समर्थन किया है. जेडीयू के सूत्रों के अनुसार, बीजेपी चाहे कुछ भी देने को तैयार हो, नीतीश अपनी बात पर कायम हैं.

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