एआईएडीएमके (AIADMK) के लिए सत्ता में लगातार तीसरी बार काबिज होने के कठिन लक्ष्य के साथ एक और चुनौती पार्टी की प्रतिष्ठापूर्ण सीट आरके नगर (Radha Krishnan Nagar) को वापस पाने की भी है. लंबे समय का मिथक तोड़कर दोबारा एआईएडीएम को सत्ता में लाने वालीं मुख्यमंत्री जयललिता (Jayalalithaa) की दिसंबर 2016 में मौत के बाद पार्टी को गुटबाजी का खामियाजा भुगतना पड़ा.
जयललिता की मौत के बाद उनके करीबी रहे ओ पन्नीरसेल्वम (O Panneerselvam) को मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन एआईएडीएमके पर वर्चस्व कायम करने में जुटीं जयललिता की करीबी शशिकला से मतभेद के कारण उन्हें पद छोड़ना पड़ा. तब ईके पलानीस्वामी (EK Palaniswami) को मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन शशिकला को भ्रष्टाचार के मामले में जेल होने के बाद पलानीस्वामी ने उन्हें हावी होने का मौका नहीं दिया.
जयललिता की विरासत पर काबिज होने की इस जंग में शशिकला के भतीजे टीटीवी दिनाकरन (TTV Dinakaran) को अगस्त 2017 में एआईएडीएमके से निकाल दिया गया, लेकिन अगस्त 2017 में जब राधाकृष्ण नगर यानी आरके नगर से चुनाव हुआ तो दिनाकरन ने खुद यहां से निर्दलीय चुनाव लड़कर बड़े मतों से जीत दर्ज की. फिर दिनाकरन ने जयललिता के नाम पर ही अम्मा मक्कल मुनेत्र कझगम नाम से पार्टी बना ली. जबकि लगातार दो चुनावों से यहां एआईएडीएमके सुप्रीमो जयललिता जीतती आ रही थीं और पहले भी कई बार पार्टी ने यहां विजय पताका फहराई थी. जयललिता ने 2015 में आरके नगर (RK Nagar) से 90 फीसदी वोट हासिल करने के साथ जीत पाई थी.
दिनाकरन ने लोकसभा चुनाव में दिया था झटका
शशिकला (Shahshikala) ने भले ही राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी हो, लेकिन दिनाकरन की पार्टी (AMMK) का डर सत्तारूढ़ एआईएडीएमके को सता रहा है. पिछले लोकसभा चुनाव में 9 फीसदी वोट हासिल कर दिनाकरन ने पलानीस्वामी की पार्टी को तगड़ा नुकसान पहुंचाया. यही वजह थी कि डीएमके गठबंधन ने चुनाव में सूपड़ा साफ करते हुए 39 में से 38 लोकसभा सीटें तमिलनाडु में जीत लीं.
आरके नगर से फिर लड़ सकते हैं दिनाकरन
दिनाकरन और शशिकला पर्दे के पीछे कोशिश में हैं कि विधानसभा चुनाव में एआईएडीएमके के साथ गठबंधन हो जाए. बीजेपी भी इस पक्ष में है. हालांकि पलानीस्वामी-पन्नीरसेल्वम की जोड़ी नहीं चाहती कि अम्मा की विरासत की लड़ाई में दिनाकरन की एएमएमके को दोबारा मजबूत होने का मौका दिया जाए. अगर गठबंधन नहीं होता है तो दिनाकरन फिर से आरके नगर सीट से ताल ठोक सकते हैं. ऐसे में एआईएडीएम को डीएमके और एएमएमके की दोहरी चुनौती से पार पाना आसान नहीं होगा.