टॉप विषाणु विज्ञानी शाहिद जमील ने क्यों छोड़ा कोविड पैनल? किन बातों पर सरकार से थे मतभेद?

जमील ने सरकारी नीति की आलोचना करते हुए आगे लिखा था, "डेटा के आधार पर निर्णय लेना अभी तक एक और दुर्घटना है, क्योंकि भारत में महामारी नियंत्रण से बाहर हो गई है. हम जिस मानवीय कीमत को झेल रहे हैं, वह एक स्थायी निशान छोड़ जाएगी."

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शाहिद जमील चर्चित अशोका यूनिवर्सिटी के त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज के डायरेक्टर भी हैं.
नई दिल्ली:

देश के मशहूर और वरिष्ठ विषाणु विज्ञानी (Senior virologist) शाहिद जमील (Shahid Jameel) ने देश के जीनोम अनुक्रमण कार्य का समन्वय करने वाले वैज्ञानिक सलाहकार समूह, भारतीय SARS-COV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टिया (INSACOG) के प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया है. वह कोरोना वायरस महामारी की सबसे प्रमुख वैज्ञानिक आवाजों में से एक रहे हैं.

INSACOG इस साल जनवरी में SARS-CoV2 वायरस और इसके कई रूपों के जीनोम अनुक्रमण को बढ़ावा देने और तेज करने के लिए एक वैज्ञानिक निकाय के रूप में अस्तित्व में आया था. कंसोर्टियम ने देश भर से वायरस के नमूनों की जीन अनुक्रमण करने के लिए 10 प्रमुख प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क स्थापित किया था. कंसोर्टियम को शुरू में छह महीने का कार्यकाल दिया गया था, लेकिन बाद में विस्तार मिला. जीनोम अनुक्रमण कार्य, जो बहुत धीमी गति से प्रगति कर रहा था, ने INSACOG के गठन के बाद ही गति पकड़ी थी.

डॉ. शाहिद जमील, एक सम्मानित वैज्ञानिक रहे हैं जो कोरोनावायरस महामारी पर अक्सर बोलते और लिखते रहे हैं. पिछले हफ्ते ही उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस के एक इवेंट में कोविड-19 वायरस के दूसरे लहर के रूप में प्रसार को रोकने में सरकार के प्रयासों की आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि सरकारी अधिकारियों ने समय से पहले यह मानने में गलती की थी कि जनवरी में महामारी खत्म हो गई थी, और कई अस्थायी सुविधाओं को बंद कर दिया गया, जिसे पिछले महीनों में स्थापित की गई थीं.

देश के शीर्ष विषाणु विज्ञानी शाहिद जमील ने सरकार से मतभेद पर कोविड पैनल से दिया इस्तीफा

हाल ही में, उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स में एक लेख भी लिखा था, जिसमें उन्होंने टेस्टिंग और आइसोलेशन  बढ़ाने, अस्पताल में बिस्तरों की संख्या और अधिक अस्थायी सुविधाएं बढ़ाने, सेवानिवृत्त डॉक्टरों और नर्सों की सेवा लेने के लिए उनकी लिस्ट बनाने और ऑक्सीजन समेत महत्वपूर्ण दवाओं की सप्लाई चेन को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया था.

उन्होंने लिखा था, "इन सभी उपायों को अमल में लाने के लिए भारत में मेरे साथी वैज्ञानिकों के बीच व्यापक समर्थन प्राप्त है लेकिन वे साक्ष्य-आधारित नीति निर्माताओं के कड़े प्रतिरोध का सामना कर रहे हैं.”

जमील ने सरकारी नीति की आलोचना करते हुए आगे लिखा था, "डेटा के आधार पर निर्णय लेना अभी तक एक और दुर्घटना है, क्योंकि भारत में महामारी नियंत्रण से बाहर हो गई है. हम जिस मानवीय कीमत को झेल रहे हैं, वह एक स्थायी निशान छोड़ जाएगी." जमील ने ऑक्सीजन की आपूर्ति के प्रबंधन के लिए एक टास्क फोर्स नियुक्त करने के सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले की भी आलोचना की थी.

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शाहिद जमील चर्चित अशोका यूनिवर्सिटी के त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज के डायरेक्टर भी हैं. उन्होंने ऐसे वक्त पर त्याग पत्र दिया है, जब भारत कोरोना की दूसरी लहर के कहर से जूझ रहा है. रोजाना 4 हजार से ज्यादा मौतें देश में हो रही हैं. जबकि कोरोना के मामले रिकॉर्ड चार लाख का आंकड़ा पार करने के बाद अभी भी 3 लाख के आसपास दर्ज हो रहे हैं. सरकार कोरोना की दूसरी लहर को काबू में करने के तौर-तरीकों को लेकर विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों की ओर से आलोचना का सामना कर रही है.

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