बख्तरबंद SUV छोड़, फॉर्च्यूनर कार में क्यों बैठे PM मोदी और राष्ट्रपति पुतिन, जान लें वजह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रोटोकॉल तोड़कर खुद रूसी राष्ट्रपति पुतिन की अगवानी करने एयरपोर्ट गए और फिर वाइट कलर की फॉर्च्यूनर कार में एकसाथ बैठकर एयरपोर्ट से निकले.

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  • रूसी राष्ट्रपति पुतिन और पीएम मोदी एयरपोर्ट से फॉर्च्यूनर कार में साथ बैठकर पीएम आवास पहुंचे
  • बख्तरबंद गाड़ियों को छोड़कर महाराष्ट्र नंबर की फॉर्च्यूनर कार में दोनों नेताओं के बैठने पर चर्चाएं गरम हैं
  • माना जा रहा है कि टोयोटा कंपनी की फॉर्च्यूनर कार में बैठकर दोनों नेताओं ने कई संदेश देने का प्रयास किया है
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नई दिल्ली:

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार शाम दिल्ली की धरती पर कदम रखा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रोटोकॉल तोड़कर खुद उनकी अगवानी करने एयरपोर्ट गए. लेकिन जिस चीज ने सबसे ज्यादा लोगों का ध्यान खींचा, वो थी वाइट कलर की फॉर्च्यूनर कार. टोयोटा कंपनी की इस कार में पुतिन और मोदी एकसाथ बैठकर एयरपोर्ट से निकले. सबसे ज्यादा सुरक्षा में चलने वाले दुनिया के चुनिंदा नेताओं में शुमार पुतिन और पीएम मोदी आखिर अपनी किले जैसी बख्तरबंद गाड़ियों को छोड़कर इस कार में क्यों बैठे, लोग इस सवाल का जवाब खोजने में जुटे हैं. आइए इसकी वजह बताते हैं. 

दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर उतरे पुतिन का पीएम मोदी ने एयरपोर्ट पर ही स्वागत किया. पहले हाथ मिलाया, फिर गले लगाया. उसके बाद जब दोनों कार की तरफ बढ़ रहे थे, तभी कुछ अधिकारियों ने उन्हें रोका और दूसरी तरफ जाने का इशारा किया. इसके बाद दोनों नेता MH01EN5795 नंबर की फॉर्च्यूनर कार में सवार हुए और प्रधानमंत्री आवास पहुंचे.

पीएम मोदी और पुतिन अपनी बख्तरबंद गाड़ियां छोड़कर एक आम कार में क्यों बैठे, इसे लेकर अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है. लेकिन इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं. हो सकता है कि दोनों ने सुरक्षा से ज्यादा, संदेश देने के लिए इस गाड़ी का इस्तेमाल किया हो. पश्चिमी देशों को मैसेज दिया हो कि हम उनकी गाड़ी में नहीं, मेड इन इंडिया गाड़ी की सवारी ज्यादा पसंद करते हैं. 

केवल रूसी राष्ट्रपति ही नहीं, बल्कि रूस के रक्षा मंत्री ने भी इसी गाड़ी की सवारी की. यूक्रेन युद्ध के बाद रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव को देखते हुए यह अहम संदेश हो सकता है. ऐसे में इस बात की संभावना ज्यादा है कि ऐसा संदेश देने के लिए किया गया हो.

दूसरा कारण मेड इन इंडिया कार का संदेश देने का हो सकता है. फॉर्च्यूनर कार को बनाने वाली कंपनी भले ही जापान की हो, लेकिन अब ये गाड़ी भारत में बनती है. कर्नाटक के बिदादी में इसका प्लांट है. यानी यह मेड इन इंडिया कार है. फॉर्च्यूनर कार को देश में वीआईपी मूवमेंट के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है. 

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बताया जा रहा है कि इस फॉर्च्यूनर कार को खासतौर से रूस के राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिहाज से तैयार किया गया था. इस गाड़ी में ऐसे फीचर हैं, जो किसी भी तरह के हमले को आसानी से झेल सकते हैं. इतना ही नहीं, इस कार में पुतिन के बैठने से पहले रूसी सुरक्षा एजेंसियों ने उसे क्लियर किया था. 

इस कार में रूसी राष्ट्रपति के सफर करने का एक संदेश ये भी हो सकता है कि उन्हें भारत की सुरक्षा व्यवस्था में पूरा भरोसा है. बहरहाल पीएम मोदी और पुतिन की यह कार डिप्लोमेसी लोगों के बीच चर्चा की विषय बनी हुई है. हालांकि कई लोग इस पर भी हैरानी जता रहे हैं कि दोनों नेताओं को ले जाने के लिए महाराष्ट्र नंबर की कार को क्यों चुना गया.

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