इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर अपने खिलाफ हुई आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट और तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की निष्कासन सिफारिश को रद्द करने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी. जिसपर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस याचिका में उन्होंने अपनी पहचान छिपाते हुए खुद को ‘XXX' के रूप में प्रस्तुत किया है, जो आमतौर पर संवेदनशील मामलों में गोपनीयता बनाए रखने के लिए किया जाता है.
यह मामला 14 मार्च 2025 को दिल्ली स्थित उनके आधिकारिक आवास पर आग लगने की घटना से जुड़ा है. आग बुझाने के दौरान वहां भारी मात्रा में जली हुई नकदी बरामद हुई थी. दिल्ली पुलिस और अग्निशमन विभाग ने इसकी जानकारी दर्ज की, जिसके बाद तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की थी.
जांच समिति में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज अनु शिवरामन शामिल थीं. समिति ने अपनी रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया था और पाया था कि नकदी उनके आवास के स्टोररूम में थी, जिस पर उनका नियंत्रण था.
जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में जांच प्रक्रिया को असंवैधानिक बताया है. उनका कहना है कि उन्हें उचित बचाव का अवसर नहीं दिया गया. इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल हैं, कर रही है.
उधर, संसद में भी इस मामले की गूंज सुनाई दी है. जानकारी के अनुसार 150 से अधिक सांसदों ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं. लोकसभा स्पीकर इस सप्ताह जांच समिति के गठन के लिए नामों की सिफारिश कर सकते हैं.
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