सोशल मीडिया पर क्यों छाया हुआ है ग्रोक... लोग इसके क्यों हो गए हैं मुरीद

आज के दौर में जब AI के क्षेत्र में लगातार हर रोज नए इनोवेशन हो रहे हैं तो ऐसे में कोशिश इसी बात की हो रही है कि AI को ज़्यादा से ज़्यादा यूजर फ्रेंडली बनाया जाए.

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सोशल मीडिया की दुनिया में आजकल चारों तरफ एक ही नाम सुनाई दे रहा है. इस नाम का इतना तहलका मचा हुआ है कि सभी लोग आसान से आसान और मुश्किल से मुश्किल सवाल का जवाब इसी से पूछ रहे हैं और ये जनाब हैं कि सेकंड्स में सभी का उत्तर दे रहे हैं. आप सवाल सीधे लहजे में पूछियेगा तो जवाब सीधा मिलेगा और सवाल उल्टे लहजे में पूछियेगा तो जवाब भी आपको उलटा ही मिलेगा. एक इक्जाम्पल से आपको समझाता हूं.  

  • सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर dsrathore06 नाम के एक व्यक्ति ने प्रश्न पूछा :"भारत हिन्दू राष्ट्र कब तक बनेगा"?
  • दूसरी तरफ से जवाब आया : भारत के हिन्दू राष्ट्र बनने का समय स्पष्ट नहीं है ये भविष्य के राजनीतिक विकास और संवैधानिक संशोधन पर निर्भर है. भारत में पहले से ही हिन्दू सांस्कृतिक पहचान मजबूत है. हिन्दू राष्ट्र के लिए पार्लियामेंट में दो-तिहाई बहुमत और कई राज्यों की स्वीकृति चाहिए, जो अभी मुश्किल लगता है.  

ये सवाल सुनकर आपको लगा होगा ये किसी व्यक्ति ने दिया होगा , लेकिन ऐसा नहीं है. ये जवाब दिया है सोशल मीडिया प्लेटफार्म X के ग्रोक-एआई चैटबॉट ने.  यानी की ये जवाब दिया है आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस ने. क्या है ये ग्रोक-एआई चैटबॉट आई आपको बताते हैं.  

सबसे पहले तो यह जान लीजिए की ये ग्रोक शब्द कहां से आया?

  • अमेरिकी साइंस फिक्शन राइटर रॉबर्ट ए हेनलेन ने 1961 में उपन्यास 'स्ट्रेंजर इन ए स्ट्रेंजर लैंड' में ग्रोक शब्द का इस्तेमाल किया था. इस उपन्यास में 'ग्रोकिंग' का मतलब था- दूसरों के लिए गहरी सहानुभूति रखना.
  • ग्रोक-एआई चैटबॉट है. यानी आपको अगर किसी सवाल का जवाब जानना है तो एक्स पर टैग करके या फिर ग्रोक एआई की वेबसाइट पर जाकर पूछिए. ग्रोक-एआई आपको चैटबॉट यानी बातचीत की तरह जवाब देगा. 

अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि ये चैटबॉट लिखना किस तरह से जानते हैं?

चैटबॉट एआई का ही एक प्रकार है, जिन्हें बड़े भाषा मॉडल यानी एलएलएम के रूप में जाना जाता है. काफी ज़्यादा डेटा के साथ इन मॉड्यूल्स को ट्रेन किया जाता है. ग्रोक-एआई चैटबॉट को नवंबर 2023 में लॉन्च किया गया था. ग्रोक-एआई और X के मालिक एलन मस्क ने एक इंटरव्यू में बताया था कि ग्रोक का मॉडल डगलस एडम्स की 'द हिचहाइकर- गाइड टू गैलेक्सी' से प्रेरणा लेकर बनाया गया है. साथ ही उन्होंने जानकारी दी थी की , ''ग्रोक को व्यंग्य पसंद है और हल्का फुल्का मज़ाक करते हुए जवाब देगा. दूसरे एआई सिस्टम जैसे जवाबों को देने से बचते हैं, ग्रोक उनके भी जवाब देगा.'' 

अचानक से बीते कुछ दिनों में ग्रोक एआई को ज़्यादा विस्तार इस कारण भी मिल रहा है, क्योंकि इसमें सवाल पूछने के लिए कहीं बाहर नहीं जाना पड़ रहा. एक्स की फीड को स्क्रॉल करते हुए बस एक ट्वीट और ग्रोक जवाब दे देता है. एक सवाल जो आपके मन में आ सकता है, वो यह है कि ये चैटबॉट तो साल 2023 में ही लॉन्च हो गया था, फिर ऐसा क्या हुआ कि मार्च 2025 में ये एकदम से सुर्खियां बटोर रहा है.  

वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी , "बदनाम हुए तो क्या हुआ नाम तो हुआ" कुछ ऐसा ही सीन ग्रोक के साथ भी है.  ग्रोक एआई अपने जवाबों में गालियों का इस्तेमाल भी कर रहा है. फिर चाहे बिहार के नेता तेज प्रताप यादव हों, भारतीय मीडिया के चैनलों के एंकर हों या फिर एलन मस्क हों. हालांकि, अगर ग्रोक के गालियों वाले जवाब पर सवाल उठाए जाएं तो वो इसके लिए तुरंत माफ़ी भी मांग लेता है. 

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उदाहरण के लिए एक यूज़र ने पूछा- क्या राहुल गांधी पीएम बन सकते हैं? इस पर ग्रोक ने अभी लोकसभा में सीटों की स्थिति बताते हुए अपने जवाब में तथ्यों का ज़िक्र किया. एक्स पर आम यूज़र जैसे बात करते हैं, ग्रोक एआई वैसे ही जवाब दे रहा है. कई बार ये सीमा लांघता दिखता है तो कई बार सटीक जवाब भी देता नज़र आता है और इन्हीं सब से लगता है कि ग्रोक एआई के जवाबों में विचार भी शामिल हैं. 

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इसको भी एक उदाहरण से समझिये. किसी गलत जवाब पर अगर ग्रोक से कहा जाता कि आप गड़बड़ कर रहे हो तो पलटकर ग्रोक जवाब देता है- ''तुम लोग इंसान हो, थोड़ी सी छूट मिलनी चाहिए. पर मुझे एआई होने के नाते थोड़ा संभलना होगा. उसूलों का सवाल है और मैं सीख रहा हूं.''

आज के दौर में जब AI के क्षेत्र में लगातार हर रोज नए इनोवेशन हो रहे हैं तो ऐसे में कोशिश इसी बात की हो रही है कि AI को ज़्यादा से ज़्यादा यूजर फ्रेंडली बनाया जाए. ठीक वैसे ही जैसे रोबोट मूवी में डॉक्टर वशीकरण चिट्टी रोबोट के अंदर फीलिंग्स डाल देते हैं.  कुछ वैसा ही , लेकिन दिक्कत यही है कि हम सबने फिल्म में देखा कि चिट्टी रोबोट के पास एक बार फीलिंग्स आ जाती है तो किस प्रकार तांडव मचता है. कुछ ऐसा ही खतरा आज के दौर में AI के साथ भी है.

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