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विशाल सिक्का ने सीईओ और एमडी के पद से इस्तीफा दिया
सिक्का ने निजी हमलों को इस्तीफे की मुख्य वजह बताया
पिछले कुछ समय से कंपनी के भीतर चल रही थी खींचतान
1. इंफोसिस के संस्थापकों तथा कंपनी के निदेशक मंडल के बीच इसी फरवरी में विवाद शुक्रवार को खुलकर सामने आया था. उस वक्त कंपनी के सह संस्थापक नारायण मूर्ति ने कार्यकारियों के वेतन तथा कामकाज के संचालन को लेकर सवाल खड़ा किया था.
2. उस वक्त मूर्ति ने कहा था, 'मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि प्रबंधन मुझे चिंतित नहीं कर रहा है. मुझे लगता है कि हम सीईओ सिक्का से खुश हैं. वह अच्छा काम कर रहे हैं. हालांकि हममें से कुछ जैसे कि संस्थापकों, वरिष्ठों तथा इंफोसिस से पूर्व में जुड़े रहे लोगों को यह बात चिंतित कर रही है कि कामकाज के संचालन यानी गवर्नेंस की कुछ चीजें ऐसी हैं जो बेहतर हो सकती थीं.'
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3. उस वक्त ऐसी खबरें आई थीं कि मूर्ति तथा दो अन्य सह-संस्थापकों नंदन नीलेकणि एवं एस गोपालकृष्णन ने कंपनी के निदेशक मंडल को पत्र लिखकर पूछा था कि सिक्का का वेतन क्यों बढ़ाया गया और कंपनी छोड़ने वाले दो शीर्ष अधिकारियों को अलग होने का इतना भारी पैकेज क्यों दिया गया? सिक्का को पिछले साल मूल वेतन, बोनस और लाभ के रूप में 48.7 करोड़ रुपये दिए गए. वहीं 2015 की आंशिक अवधि में उनका मूल वेतन 4.5 करोड़ रुपये था.
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4. मूर्ति ने पूर्व सीएफओ राजीव बंसल को कंपनी से अलग होने के लिए 30 माह के पैकेज के रूप में 23 करोड़ रुपये दिए जाने पर भी सवाल उठाया था. मूर्ति ने एक निजी समाचार चैनल से कहा कि इंफोसिस में दो सीएफओ थे जो कंपनी छोड़ गए थे. बोर्ड में अन्य वरिष्ठ लोग मसलन वरिष्ठ उपाध्यक्ष आदि थे, जिनके पास ऐसी प्रतिस्पर्धी सूचनाएं थीं, लेकिन हमने उन्हें कुछ भुगतान नहीं किया था. इससे कुछ असमंजस की स्थिति पैदा हुई.
VIDEO: इंफोसिस सीईओ सिक्का से खास बातचीत
5. बाजार में उस वक्त ऐसी अटकलें थीं कि बंसल को यह भुगतान इसलिए किया गया क्योंकि उनके पास इंफोसिस को नुकसान पहुंचाने के बारे में सूचना थी, मूर्ति ने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि यह मामला नहीं हो. उन्होंने कहा कि पूर्व कार्यकारियों मोहन दास पई, अशोक वेमुरी, वी बालकृष्णन और बी जी श्रीनिवास को कभी कंपनी से अलग होने के लिए पैकेज नहीं दिया गया.
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