क्यों राज्यपाल ने प्राइवेट कंप्लेन पर मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को कारण बताओ नोटिस भेजा?

वाल्मिकी कॉर्पोरेशन घोटाले में सिद्धारमैया सरकार के मंत्री नागेंद्र को इस्तीफा देना पड़ा था और ED ने उन्हें गिरफ्तार किया. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने विधान सभा में माना था की घोटाला हुआ है.

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नई दिल्ली:

MUDA और दूसरे घोटाले को लेकर बीजेपी मैसूर तक की पदयात्रा शनिवार से शुरू कर रही है और कांग्रेस आज से ही इस पदयात्रा को काउंटर करने के लिए जन आंदोलन शुरू कर दिया है. यानी 8 दिनों की बीजेपी की पदयात्रा जिन शहरों को होते हुए गुजरेगी वहा एक दिन पहले कांग्रेस एक जन सभा करेंगी और बीजेपी के कथित घोटाले को जनता के सामने रखेगी.

राज्य के उप मुख्यमंत्री ने बीजेपी की पदयात्रा पर कहा कि "ये इस तरह की पदयात्रा निकालने का समय नहीं है, बेंगलुरु  शहर में पदयात्रा निकालने की हम  इजाजत नहीं देंगे लेकिन शहर के बाहर हम उन्हे (बीजेपी)नही रोकेंगे"

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजेंद्र ने कहा कि " हमारी पदयात्रा बाहरी बेंगलुरु के केंगरी से शुरू होगी और 8 दिनों में 140 किलोमीटर का सफर पूरा कर मैसूर पहुंचेगी. इस यात्रा की शुरुआत बी एस येदियुरप्पा और जे डी एस नेता कुमारस्वामी करेंगे."

वाल्मिकी कॉर्पोरेशन घोटाले में सिद्धारमैया सरकार के मंत्री नागेंद्र को इस्तीफा देना पड़ा था और ED ने उन्हें गिरफ्तार किया. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने विधान सभा में माना था की घोटाला हुआ है और दोषियों के खिलाफ करवाई की जाएगी. इसके बाद बीजेपी के निशानें पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया है. मामला MUDA के कथित स्कैम से जुड़ा है.

कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मुख्य मंत्री सिद्धारमैया को इसी MUDA स्कैम मामले में शो cause notice एक सामाजिक कार्यकर्ता टी के अब्राहम की शिकायत पर दिया है. टी जे अब्राहम का कहना है की मुख्यमंत्री सिद्धारमैया इस घोटाले में सीधे तौर पर शामिल है.

सामाजिक कार्यकर्ता टी जे अब्राहम ने येदियुरप्पा से लेकर सिद्धारमैया सभी मुख्यमंत्रियों के खिलाफ भरष्टाचार या इसी तरह के मुकदमे करते रहते है. मुख्यमंत्री सिधारमैय्य के खिलाफ इन्होंने ही राज्यपाल से शिकायत कर करवाई की मांग की. राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने Show Cause Notice में साफ लिखा है की राज्यपाल  ये नोटिस टी जे अब्राहम की शिकायत पर भेज रहे है की क्यों न भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत उनके खिलाफ करवाई की इजाजत दी जाए.

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टी जे अब्राहम के मुताबिक"Denotification जब हुआ तब सिद्धरमैया उप मुख्यमंत्री थे,लेकिन कहते है की उनकी भूमिका नहीं है, कृषि भूमि जब खरीदी जो की कृषि भूमि थी ही नहीं तब भी वो उप मुख्यमंत्री थे, लेकिन कहते है की उनकी भूमिका नहीं है, जब उनकी पत्नी ने देवेदारी पेश की तब सिद्धारमैया मुख्यमंत्री थे लेकिन लेकिन कहते है की उनकी भूमिका नहीं है,  अजीब हाल है."

यानी टी जे अब्राहम का कहना है कि MUDA ने जब 1998 में  जमीन के उस टुकड़े को de notify कर उसके मालिक को वापस देने का फैसला किया तब सिद्धारमैया जे एच पटेल मंत्रिमंडल में उप मुख्यमंत्री थे.

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इसी प्लॉट को 2004 में सिद्धारमैया की पत्नी के भाई ने खरीदा तब भी सिद्धारमैया राज्य के उपमुख्यमंत्री थे
लेआउट विकसित हो चुका था फिर भी जमीन के एक टुकड़े को कृषि भूमि का नाम देकर उसे कृषिंके लिए अनुपयुक्त भूमि घोषित किया गया तब भी उप मुख्यमंत्री सिधारमैह्या ही थे.

टी जे अब्राहम की इसी दलील को ध्यान में रखकर राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने शो कैसे नोटिस जारी किया। ऐसे में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मंत्रिपरिषद ने लंबी बैठक के बाद राज्यपाल थावरचंद गहलोत को इस नोटिस को वापस लेने की सिफारिश की.
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के कानूनी सलाहकार ए एस पोनन्ना के मुताबिक, Article 163 के मुताबिक राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह के मुताबिक ही काम करना है ये बिलकुल साफ है इसमें किसी तरह की दुविधा नहीं होनी चाहिए."

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Congress का कहना है की सिद्धारमैया की पत्नी को प्लॉट देने का फैसला बीजेपी की बसवराज बोम्मई सरकार ने किया था. अगर कुछ गलत था तो सरकार ने प्लॉट दिए ही क्यों. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी को MUDA ने 14 प्लॉट दिए जो की महंगे इलाके में है। ये प्लॉट MUDA के 50/50 स्कीम के तहत दिए गए.

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