गृहमंत्री अमित शाह ने क्यों किया था सीएम नीतीश को फोन? क्या फिर मधुर हो गए संबंध, जानें- इसके पीछे की सच्चाई

इन दोनों नेताओं की बातचीत को लेकर बीते दिनों अलग-अलग मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऐसी खबरें आई थीं कि दोनों नताओं के बीच अब संबंध मधुर हो चुके हैं. बाद में ये खबरें अफवाह ही साबित हुईं.

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गृहमंत्री अमित शाह ने क्यों किया था सीएम नीतीश को फोन? क्या फिर मधुर हो गए संबंध, जानें- इसके पीछे की सच्चाई
गृहमंत्री अमित शाह और सीएम नीतीश कुमार के बीच हुई बातचीत पर हो रही है चर्चा
पटना:

इन दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बीच हुई बातचीत चर्चाओं में है. अटकलों का बाजार गरम है कि आखिर इन दोनों नेताओं के बीच किस मुद्दे पर बात हुई थी. हालांकि, इस बातचीत को लेकर औपचारिक तौर पर गृहमंत्री अमित शाह और सीएम नीतीश कुमार ने कोई बयान जारी नहीं किया है. लेकिन इन दोनों नेताओं की बातचीत को लेकर बीते दिनों अलग-अलग मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऐसी खबरें आई थीं कि दोनों नताओं के बीच अब संबंध मधुर हो चुके हैं. बाद में ये खबरें अफवाह ही साबित हुईं. इस अफवाह को लेकर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. 

उन्होंने इन अफवाहों के बीच रविवार कई ट्वीट किए. इनमें से एक ट्वीट में ललन सिंह ने कहा कि बीजेपी कनफुकवा पार्टी है। इस तरह की सुनियोजित अफ़वाह फैलाना उनकी हताशा को दर्शाता है. भाजपाइयों को 'दिल्ली की सत्ता जाने का भय' सता रहा है. दिल्ली की गद्दी का रास्ता बिहार और यूपी से ही होकर जाता है, जहां से बीजेपी का सफ़ाया होना तय है. 

उन्होने अपने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि 2024 में बिहार से 40 में 40 सीट महागठबंधन को मिलना सुनिश्चित है.@AmitShah जी दो-तीन बार बिहार आकर भांप चुके हैं. महागठबंधन में पूर्ण एकता है, बीजेपी की दाल नहीं गलने वाली है. 

अब जनता दल यूनाइटेड के सूत्रों की माने तो इस खबर में तो सचाई हैं कि पिछले महीने की बारह तारीख़ को तत्कालीन राज्यपाल फागू चौहान की जगह राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर के नाम की घोषणा के पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नीतीश कुमार को फ़ोन कर इस फेरबदल की जानकारी दी थी. लेकिन उन्होंने साथ -साथ पड़ोस के राज्य झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी फ़ोन किया था और वहां से तत्कालीन राज्यपाल रमेश वैश्य के जगह नए राज्यपाल आए.

लेकिन जनता दल यूनाइटेड के नेताओं का कहना हैं कि मीडिया के लोग राजनीतिक टाइम लाइन को भूल जाते हैं कि उसके बाद पच्चीस फ़रवरी को जहां नीतीश कुमार ने पूर्णिया में एक सभा को संबोधित करते हुए खुल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर हमला बोला था.

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उसी दिन केंद्रीय गृह मंत्री ने भी पहले पश्चिम चंपारन के लौरिया और बाद में पटना में नीतीश कुमार की आलोचना में उन्हें झूठा तक कह डाला था. 

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वहीं जनता दल यूनाइटेड के नेताओं का कहना हैं कि नीतीश कुमार ने पूर्णिया की सभा से पूर्व पटना में सीपीएमएल द्वारा आयोजित एक बैठक में खुलकर कहा था कि अब देर ना करें कांग्रेस, एकजुट हुए तो 100 सीट से भी कम पर सिमट जाएगी बीजेपी. 

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लेकिन महागठबंधन के नेताओं का कहना हैं कि फ़िलहाल बीजेपी को चिंता इस बात को लेकर है कि उनके उम्मीदों के विपरीत फ़िलहाल नीतीश - तेजस्वी में सब कुछ बहुत अच्छे से चल रहा है. यहां तक कि चेन्नई की एक मार्च की रैली में नीतीश कुमार ने ही तेजस्वी को वहां जाने के लिए मनोनीत किया था. ऐसे में ऐसी खबर चला कर एक भ्रम की स्थिति पैदा करने की कोशिश हो रही है.  

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