भारत और अमरीका ने रक्षा सहयोग मज़बूत करने के लिए एक दस वर्षीय समझौता किया है. ये समझौता पिछले शुक्रवार कियो किया गया है. कुआलालंपुर में 12वीं आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी सेक्रेट्री ऑफ वॉर पीट हेगसेथ ने इस पर हस्ताक्षर किए. इसके बाद अब दोनों देशों ने अपने रक्षा फ्रेमवर्क पर काम भी शुरू कर दिया है. अमेरिकी इंडो-पैसिफिक कमान मुख्यालय, होनोलूलू में दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग समूह की 22वीं बैठक हुई. जिसमें रक्षा सहयोग को अमलीजामा पहनाने पर बातचीत हुई.
बैठक में भारत के चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित और अमेरिकी इंडो-पैसिफिक कमान के डिप्टी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जोशुआ एम.रड शामिल हुए. अमेरिकी इंडो पैसिफिक कमान ने एक बयान जारी कर बताया कि दोनों देशों ने रक्षा तकनीकों का विकास कर हथियारों के सह-उत्पादन पर चर्चा की. बैठक में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में क्षेत्रीय सुरक्षा समन्वय बढ़ाने पर भी चर्चा हुई. साझा सैन्य प्रशिक्षण, रक्षा क्षेत्र में रसद संबंधी सहयोग, साइबर सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमता और सैन्य दवाओं के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी बात हुई है.
हाल ही में कुआलालंपुर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ के बीच कुआलालंपुर में हुई बैठक के बाद रक्षा सहयोग के समझौते का नवीनीकरण हुआ है. जिसके तहत अमेरिका भारत से उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी साझा करेगा. दोनों देशों के बीच सुरक्षा से जुड़ी जानकारियां साझा होंगी और सैन्य सहयोग बढ़ेगा. रक्षा मंत्रालय ने इस समझौते पर जारी बयान में बताया था कि इस का उद्देश्य दोनों देशों में रक्षा सहयोग गहरा करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण व नीतिगत दिशा प्रदान करना है. दोनों रक्षा मंत्रियों ने मौजूदा रक्षा मुद्दों व चुनौतियों की समीक्षा कर रक्षा उद्योग व प्रौद्योगिकी सहयोग पर विचार-विमर्श किया था. यह समझौता ऐसे समय में आगे बढ़ रहा है जब दोनों देश व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं. भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में तनाव तब आया गया था जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया था. ट्रंप अब भी कह रहे कि भारत रूस से कच्चे तेल खरीदना बंद करे नही तो वह भारत पर और टैरिफ लगा देंगे.
वैसे अमेरिकी इंडो-पैसिफिक कमान मुख्यालय, होनोलूलू में हुई बैठक में दोनों देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक सहयोग बढ़ाने पर भी बातचीत की है. इंडो पैसिफिक कमांड ने यह भी कहा कि वह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति व स्थिरता बढ़ाने, आपात स्थितियों का जवाब देने, आक्रामकता पर अंकुश लगाने और यदि आवश्यकता पड़े तो संघर्ष की सूरत में जीत सुनिश्चित करने के प्रति भी प्रतिबद्ध है.














