नई दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी का अगला अध्यक्ष कौन होगा? भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल अगामी 20 जनवरी को समाप्त हो रहा है. लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए ये सवाल बेहद अहम है कि क्या भाजपा को कोई नया अध्यक्ष मिलेगा या फिर जेपी नड्डा दूसरी बार पार्टी की कमान संभालेंगे? सियासी गलियारों में इसे लेकर चर्चा तेज हो गई है. भाजपा के साथ-साथ अन्य पार्टियों के नेताओं में भी इसे लेकर उत्सुकता है. सूत्रों की मानें तो भाजपा के नए अध्यक्ष के नाम पर 17 जनवरी को चर्चा हो सकती है. ऐसा भी हो सकता है कि तभी नाम पर अंतिम मुहर भी लग जाए.
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तय हो सकता है नाम
भाजपा ने पार्टी ने नए अध्यक्ष के चुनाव और अन्य नीतिगत फैसले लेने के लिए 16 और 17 जनवरी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है. इस बैठक में पार्टी के लगभग सभी वरिष्ठ नेता शामिल होंगे. जेपी नड्डा का बतौर अध्यक्ष कार्यकाल अच्छा रहा है. इस दौरान पार्टी ने कई बड़े चुनावों में जीत दर्ज की है. जेपी नड्डा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ट्यूनिंग भी अच्छी है. ऐसे में उनके नाम पर फिर सहमति बन सकती है, लेकिन साल 2014 के बाद से पार्टी में जिस तरह से चौंकाने वाले निर्णय लिए गए हैं, उससे कुछ भी कह पाना बेहद मुश्किल है.
भाजपा अध्यक्ष पद के लिए इन नामों की भी चर्चा
अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद जेपी नड्डा को बीजेपी अध्यक्ष पद की कमान सौंपी गई थी. अगर जेपी नड्डा को दूसरी बार पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाता है, तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी. हालांकि, इस बात की भी चर्चा है कि जेपी नड्डा की मोदी कैबिनेट में वापसी हो सकती है. अगर ऐसा हुआ, तो बीजेपी को नया अध्यक्ष मिल सकता है. ऐसे में भाजपा का अगला अध्यक्ष कौन होगा? सियासी गलियारों में इन दिनों भाजपा अध्यक्ष पद के लिए धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव के नामों की भी चर्चा चल रही है. इन दोनों नेताओं की पार्टी में अच्छी पकड़ है.
बीजेपी में ऐसे होता है अध्यक्ष का चुनाव
भारतीय जनता पार्टी के संविधान के मुताबिक, अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए राष्ट्रीय और प्रदेश परिषद के सदस्यों को मिलाकर एक निर्वाचक मंडल बनाया जाता है. निर्वाचक मंडल के सभी सदस्य मिलकर अध्यक्ष का चयन करते हैं. अध्यक्ष पद के लिए उसका 15 साल से पार्टी का सक्रिय सदस्य होना अनिवार्य है. इसके अलावा कैंडिडेट के समर्थन में निर्वाचक मंडल के करीब 20 सदस्य प्रस्वात रखे. इन प्रस्ताव पर अध्यक्ष पद के कैंडिडेट को हस्ताक्षर करना होता है. अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए कैंडिडेट को उन पांच राज्यों से प्रस्ताव लाना भी जरूरी होता है, जहां राष्ट्रीय परिषद का चुनाव हो चुका हो.
...अब तक सर्वसम्मति से ही हुआ है भाजपा अध्यक्ष पद का चयन
भाजपा के इतिहास में अब तक अध्यक्ष पद के लिए 1980 से लेकर अब तक चुनाव सर्वसम्मति से ही हुआ है. पार्टी हाईकमान में सर्वसम्मति बन जाने के बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इसे पास कराया जाता है. ये औपचारिकता मात्र होता है और नए नाम की घोषणा कर दी जाती है. अब तक बीजेपी में 11 अध्यक्ष बने हैं, जिसमें ज्यादातर संघ के बैकग्राउंड से हैं. इनमें लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कुशाभाऊ ठाकरे, नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा का नाम शामिल है.
कितने वर्ष का होता है भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल?
भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल तीन वर्ष के लिए होता है. 2012 से पहले एक अध्यक्ष लगातार दो बार पद पर नहीं रह सकते थे, लेकिन 2012 में ये नियम बदला गया. अब लगातार 2 बार कोई अध्यक्ष पद पर रह सकता है. लालकृष्ण आडवाणी भाजपा में अध्यक्ष पद पर सबसे लंबे समय तक रहे. उन्होंने तीन टर्म में 11 सालों तक अध्यक्ष का कार्यभार संभाला. वहीं, बंगारू लक्ष्मण सबसे कम दिनों तक अध्यक्ष की कुर्सी पर रहे. वह लगभग 12 महीने तक ही अध्यक्ष रह पाए.