छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की शानदार जीत के पांच दिन बाद भी इस बात पर ‘सस्पेंस' जारी है कि छत्तीसगढ़ का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा. पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, सर्बानंद सोनोवाल और पार्टी महासचिव दुष्यन्त कुमार गौतम को राज्य में विधायक दल का नेता चुनने के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. पार्टी के प्रदेश नेताओं के मुताबिक, विधायक दल का नेता चुनने के लिए शनिवार या रविवार को पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में 54 नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक होने की संभावना है.
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई है. राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 90 में से 54 सीट जीतकर बहुमत हासिल किया है.
राज्य में 2018 में 68 सीट जीतने वाली कांग्रेस 35 सीट पर सिमट गई. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) एक सीट जीतने में कामयाब रही.
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा कि नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक जल्द होगी.
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, “पर्यवेक्षकों के शनिवार को रायपुर पहुंचने की संभावना है जिसके बाद विधायक दल के नेता का चुनाव करने के लिए बैठक शनिवार शाम या रविवार को हो सकती है.”
कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश किए बिना चुनाव लड़ने वाली भाजपा छत्तीसगढ़ में किसी ओबीसी या आदिवासी नेता को बागडोर सौंपने पर विचार कर रही है.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णु देव साय, विधायक चुने जाने के बाद केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने वाली रेणुका सिंह, राज्य के पूर्व मंत्री रामविचार नेताम और लता उसेंडी, विधायक चुने जाने के बाद सांसद पद से इस्तीफा देने वाली गोमती साय मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं.
राज्य की आबादी में आदिवासियों की हिस्सेदारी 32 फीसदी है और भाजपा ने इस बार 90 सदस्यीय राज्य विधानसभा में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित 29 सीट में से 17 पर जीत हासिल की है. साल 2018 में भाजपा ने एसटी वर्ग के लिए आरक्षित केवल तीन सीटों पर जीत हासिल की थी.
आदिवासी बहुल सरगुजा संभाग के सभी 14 विधानसभा क्षेत्रों, जो 2018 में कांग्रेस ने जीते थे, इस बार भाजपा ने जीत लिए और इसे चुनाव में भाजपा के शानदार प्रदर्शन का कारण माना जा रहा है. विष्णुदेव साय, रेणुका सिंह, रामविचार नेताम और गोमती साय इसी संभाग से हैं.
इसके अलावा प्रदेश में पार्टी के अध्यक्ष अरुण साव, जिन्होंने विधायक चुने जाने के बाद सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था, और नौकरशाह से नेता बने ओपी चौधरी, दोनों पिछड़ी जाति से हैं, भी मुख्यमंत्री के दावेदारों में से हैं.
साव, राज्य के प्रभावशाली ओबीसी समुदाय साहू (तेली) से आते हैं जो मुख्य रूप से दुर्ग, रायपुर और बिलासपुर संभाग में रहते हैं। राज्य में करीब 45 फीसदी ओबीसी आबादी है.
ये भी पढ़ें- दिसंबर के अंत तक तैयार होगा अयोध्या हवाई अड्डा : ज्योतिरादित्य सिंधिया
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)