- नितिन नवीन बिहार के कायस्थ समुदाय से हैं और उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है
- बीजेपी ने नितिन नवीन को पद देकर यह संदेश दिया है कि योग्यता और कमिटमेंट जाति या संख्या से ऊपर होते हैं
- नितिन नवीन की नियुक्ति से यह स्पष्ट होता है कि बीजेपी युवा और अनुशासित कार्यकर्ताओं को अवसर देना चाहती है
नितिन नवीन BJP के नये राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बन गए. नितिन नवीन बिहार के रहने वाले हैं और बिहार में ही मंत्री भी हैं. पर क्या नितिन नवीन को बिहार से बाहर कोई जानता था? शायद बीजेपी के देश भर के नेता भी नितिन नवीन को नहीं जानते होंगे. मगर ये फैसला हुआ. क्या कोई और पार्टी में ऐसा फैसला लेने की हिम्मत है. जवाब में लोग बंट सकते हैं, मगर अगर इस फैसले को राजनीतिक कार्यकर्ता की आंखों से नहीं देखें तो पता चलेगा कि ये फैसला कितना बड़ा है. इसका मैसेज कितना बड़ा है. इसके दूरगामी परिणाम होंगे. 2014 के बाद से बीजेपी जिस तरह से फैसले ले रही है, यही कारण है कि कई मामलों में नाराजगी के बावजूद जनता और कार्यकर्ता बीजेपी के साथ खड़े दिख रहे हैं. वरना अमूमन सत्ताधारी पार्टी से जनता तो दूर की बात उनके कार्यकर्ता ही 5-10 साल में दूर हो जाते हैं.
कितना बड़ा फैसला समझिए
BJP के नये राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष का पूरा नाम नितिन नवीन सिन्हा है. जी हां, ये कायस्थ समुदाय से आते हैं. बिहार में कायस्थ समाज की कुल जनसंख्या लगभग 7,85,771 है. ये बिहार की कुल आबादी का लगभग 0.60% है. देशभर में कायस्थ समाज की जनसंख्या के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन स्थिति उससे ज्यादा होने की संभावना नहीं है. ऐसी जाति से आने वाले व्यक्ति को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष का पद देना एक ऐतिहासिक कदम ही कहा जा सकता है. जहां जाति नहीं, योग्यता मुद्दा रखती हो. इस तरह का उदाहरण पिछले कुछ दशकों की राजनीति में तो देखने-सुनने को नहीं मिला.
मैसेज नंबर वन
अब बात इसके मैसेज की. तो कायस्थ समाज बीजेपी का कोर वोटर रहा है. कभी कोई डिमांड नहीं, लेकिन जितने भी वोट हैं, वो थोक के भाव बीजेपी को हर चुनाव में मिलते रहे. ना कभी नाराजगी और ना कभी कोई मांग. ऐसे समाज को बीजेपी ने ये मैसेज दिया है कि वो हर वर्ग का ध्यान रखती है और उसके लिए संख्या से ज्यादा कमिटमेंट मायने रखती है. जो वर्ग उसका समर्थन करेगा, वो उसको उचित प्रतिनिधित्व समय आने पर सूद समेत देगी.
मैसेज नंबर टू
नितिन नवीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनकार बीजेपी ने कार्यकर्ताओं और नेताओं को उम्मीदों से भर दिया है. अब तक कई राज्यों में सीएम के तौर पर नये-नवेले विधायकों को मौका देकर बीजेपी ये करती रही है, लेकिन राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनकार ये संदेश दिया है कि काम करने वालों को बीजेपी की टॉप सीट पर भी जगह मिल सकता है. उसके लिए न तो किसी परिवार में जन्म लेना अनिवार्य है और ना ही किसी कॉकस का हिस्सा बनने की. बस जरूरत है तो एक अनुशासित कार्यकर्ता बनने की.
मैसेज नंबर 3
तीसरा सबसे अहम मैसेज बीजेपी ने ये दिया है वो युवाओं को अब बैक सीट पर नहीं रखना चाहती बल्कि उन्हें सीधे पार्टी चलाने का मौका देना चाहती है. नितिन नवीन का जन्म 1 सितंबर 1980 को हुआ है. ऐसे में उनकी उम्र महज 45 साल की है. राजनीति में 45 साल के व्यक्ति को नया खिलाड़ी अब तक माना जाता था, मगर बीजेपी ने 45 साल के शख्स को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर सीधा मैसेज दिया है कि वो प्रयोग करने में नहीं हिचकती और युवा नेताओं में अगर क्षमता हो तो वो उसे नेतृत्व सौंपने में भी नहीं हिचकेगी.
कौन हैं नितिन नवीन
नितिन नवीन दिग्गज बीजेपी नेता नवीन किशोर सिन्हा के बेटे हैं. वह बांकीपुर से इस बार 5वीं बार विधायक बने हैं. उन्होंने 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में लगभग 84,000 वोटों से जीत हासिल की. पिछले चुनाव में उन्होंने शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा को भारी अंतर से हराया था. पुष्पम प्रिया चौधरी भी इस चुनाव में भारी अंतर से हार गईं. वह भाजयुमो के राष्ट्रीय महासचिव भी थे. 2 मार्च 2017 को, नबीन ने बिहार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता अब्दुल जलील मस्तान के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया और उनकी नागरिकता पर सवाल उठाया. मस्तान ने कथित तौर पर एक रैली में भीड़ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर को जूतों से मारने के लिए कहा था. इस मामले में वो चर्चा में थे. वह भाजयुमो बिहार के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. इस बार नितिन नवीन ने 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में नितिन नवीन आरजेडी प्रत्याशी रेखा कुमारी को 51,936 मतों से पराजित किया है. पहली बार 9 फरवरी 2021 को नीतीश सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हें पथ निर्माण मंत्री बनने का मौका मिला था. दोबारा जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए में शामिल हुए तो 25 मार्च 2024 को नितिन नवीन को फिर से मंत्री बनाया गया. उन्हें शहरी विकास एवं आवास विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी. 24 फरवरी 2025 को मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हें फिर दोबारा पथ निर्माण मंत्री बना दिया गया.














