उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की हॉट सीटों में से एक रायबरेली (Rae Bareli) से कांग्रेस पार्टी की तरफ से अभी तक उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं हुई है. हालांकि गुरुवार को बीजेपी ने नाम का ऐलान कर दिया. बीजेपी की तरफ से दिनेश प्रताप सिंह को चुनाव मैदान में उतारा गया है. दिनेश प्रताप सिंह 2019 के लोकसभा चुनाव में भी रायबरेली सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. पिछले चुनाव में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से वो चुनाव हार गए थे. सात चरण में हो रहे लोकसभा चुनाव में पांचवे चरण में 20 मई को रायबरेली सीट पर वोट डाले जाएंगे.
- दिनेश प्रताप सिंह उत्तर प्रदेश में बीजेपी के एमएलसी हैं. योगी आदित्यनाथ सरकार में उन्हें मंत्री भी बनाया गया है. पूर्व में वो कांग्रेस रह चुके हैं. साल 2018 में वो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें रायबरेली सीट से उम्मीदवार बनाया गया था.
- 2022 के विधानसभा चुनाव में दिनेश प्रताप सिंह के भाई को रायबरेली की हरचंदपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया था हालांकि उन्हें जीत नहीं मिली थी.
- कांग्रेस में रहते हुए भी दिनेश प्रताप सिंह की पार्टी पर अच्छी पकड़ रही थी. साल 2010 और 2016 में वो कांग्रेस पार्टी के एमएलसी बने थे. 2018 में कांग्रेस छोड़ने के बाद भी वो 2022 में एमएलसी बने.
- कांग्रेस से पहले समाजवादी पार्टी और बसपा में में भी दिनेश प्रताप सिंह रह चुके हैं. साल 2004 में सपा की टिकट पर उन्होंने एमएलसी की चुनाव लड़ा था. 2007 में बसपा की टिकट पर उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा था.
- 2019 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ते हुए दिनेश प्रताप सिंह ने अच्छी टक्कर दी थी. उन्हें लगभग 4 लाख वोट मिले थे. हालांकि वो इस चुनाव में डेढ़ लाख से अधिक मतों से चुनाव हार गए थे.
- राजनीति के जानकारों का मानना है कि ठाकुर मतों को साधने के लिए बीजेपी की तरफ से दिनेश प्रताप सिंह पर दांव खेला गया है. उनके पूरे परिवार की रायबरेली की राजनीति में अच्छी पकड़ मानी जाती है.
- बीजेपी की तरफ से टिकट मिलने के बाद दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि रायबरेली से नकली गांधियों की विदाई तय है. मेरे लिए प्रियंका गांधी और राहुल गांधी महत्व नहीं रखता है. कोई गांधी आए रायबरेली में हार के जाएगा.
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