Operation Sindoor: बुधवार तड़के भारत ने पाकिस्तान के कई आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की. इस मिशन को बेहद ही खूफिया तरीके से आगे बढ़ाया गया और पूरा किया गया. मिशन पूरा करने के बाद इसकी जानकारी दी गई लेकिन क्या आपको पता है कि इस मिशन को पूरा करने में दो महिलाओं ने बेहद अहम भूमिका निभाई है. उनमें से एक लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरेशी और दूसरी विंग कमांडर व्योमिका सिंह हैं.
सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की वो शख्सियत हैं जिन्होंने इंटरनेशनल मिलिट्री एक्सरसाइज Force 18 में भारत का नेतृत्व किया. नारी शक्ति का परचम हर क्षेत्र में लहर रहा है, और यह केवल किसी मुद्दे का झंडा उठाने से नहीं होता. इसके लिए फौलादी इरादे और आसमान छूने का हौसला चाहिए होता है. ऐसे ही हौसले की जीती-जागती मिसाल हैं भारतीय सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी. उन्होंने साबित किया है कि दृढ़ संकल्प के आगे कोई बाधा टिक नहीं सकती और नारी शक्ति हर चुनौती का सामना कर सकती है, चाहे वह कितनी भी कठिन क्यों न हो.
सोफिया कुरैशी ने बताया कैसे ऑपरेशन सिंदूर को दिया गया अंजाम
सोफिया कुरैशी उस वक्त सुर्खियों में आई थीं जब उन्होंने साल 2016 में थाईलैंड में हुए इंटरनेशनल मिलिट्री एक्सरसाइज ‘Force 18' में भारत की अगुआई की थी. इस एक्सरसाइज में 18 देशों ने हिस्सा लिया था, और पहली बार भारत की तरफ से किसी महिला अधिकारी को दल नायक बनाया गया था और अब एक बार फिर से उनका नाम चर्चा में है.
कौन हैं सोफिया कुरैशी?
लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की एक वरिष्ठ अधिकारी हैं, जिन्होंने इतिहास रचते हुए भारतीय सेना की ओर से किसी अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास की कमान संभालने वाली पहली महिला अधिकारी बनने का गौरव प्राप्त किया. सोफिया कुरैशी भारत के गुजरात राज्य के बड़ौदा (वडोदरा) शहर की रहने वाली हैं. यहीं से उनका प्रारंभिक जीवन और शिक्षा शुरू हुई. सोफिया कुरैशी ने गुजरात के महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी (MSU), बड़ौदा से पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने भारतीय सेना में शामिल होने का सपना देखा और सफलतापूर्वक सेलेक्ट हुईं. सूफिया ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी चेन्नई से पासआउट हुईं जहां सेना के अधिकारी बनने के लिए गहन प्रशिक्षण दिया जाता है. सोफिया कुरैशी सिग्नल कोर में कार्यरत हैं. यह सेना की वह शाखा होती है जो संचार, टेक्नोलॉजी और नेटवर्किंग का काम देखती है.
सोफिया कुरैशी आज सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि प्रेरणा की मिसाल हैं. उनका सफर हर उस लड़की के लिए रौशनी है जो एक अलग रास्ता चुनना चाहती है और दुनिया को दिखाना चाहती है कि देश की सेवा सिर्फ वर्दी पहनने से नहीं होती, बल्कि कंधों पर जिम्मेदारी उठाने से होती है.