चंपई सोरेन ने झारखंड के नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है. उन्होंने हेमंत सोरेन की जगह राज्य की बागडोर संभाली है. चंपई सोरेन को कुछ दिन पहले ही विधायक दल का नेता चुना गया था. चंपई सोरेन इससे पहले हेमंत सोरेन सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं. उन्हें हेमंत सोरेन परिवार के बेहद करीबी माना जाता है.
आइये जानते हैं कौन हैं चंपई सोरेन जिन्होंने हेमंत सोरेन के बाद संभाली है झारखंड की कमान....
झारखंड आंदोलनकारी रह चुके हैं चंपई सोरेन
चंपई सोरेन ने अलग झारखंड राज्य आंदोलन में लंबी लड़ाई लड़ी थी. झारखंड मुक्ति मोर्चा में कई बार विभाजन के बाद भी वो शिबू सोरेन के साथ डटे रहें थे. पहली बार साल 1991 में वो विधायक बने थे.1991 में उन्होंने निर्दलीय जीत दर्ज की थी बाद में वो जेएमएम में शामिल हो गए. साल 2000 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था लेकिन 2005 के बाद से वो लगातार जीतते रहे हैं. पहली बार बीजेपी और झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन की सरकार में वो मंत्री बने थे. बाद में वो हेमंत सोरेन के पहले कार्यकाल में भी मंत्री बने. साल 2019 के चुनाव में कोल्हान क्षेत्र में जेएमएम की अच्छी जीत में भी उनका बड़ा योगदान माना जाता है.
कोरोना के दौरान जमकर किया काम
कोरोना संकट के दौरान चंपई सोरेन की जमकर चर्चा हुई. सोशल मीडिया के माध्यम से ही उन्होंने अन्य राज्यों में फंसे झारखंड के मजदूरों की मदद की थी. बाद के दिनों में भी झारखंड के किसी भी समस्या के समाधान के लिए लोग चंपई सोरेन के पास फरियाद लगाते रहे हैं. हेमंत सोरेन के कैबिनेट में भी उन्हें संकट मोचक के तौर पर देखा जाता रहा है.
संथाल आदिवासी हैं चंपई सोरेन
चंपई सोरेन भी शिबू सोरेन की ही तरह संथाल आदिवासी है. गौरतलब है कि झारखंड में संथाल आदिवासियों की आबादी सबसे अधिक है. शिबू सोरेन भी संथाल आदिवासी हैं. चंपई सोरेन को पद देकर जेएमएम अपने आधार वोट को बचाने के प्रयास में है. साथ ही अब तक ऐसा माना जाता रहा था कि जेएमएम की राजनीति पर संथाल परगना के क्षेत्र का ही कब्जा् है लेकिन कोल्हान क्षेत्र से आने वाले चंपई सोरेन को पद देकर जेएमएम इस मिथक को तोड़ना चाहती है.