क्या आप गोविंदराजन पद्मनाभन को जानते हैं? अधिकतर लोग शायद ही इस नाम से वाकिफ हों. गूगल पर सर्च भी करेंगे तो उनके बारे में बहुत सीमित जानकारियां ही मिलेंगी. सफेद दाढ़ी और और बिखरे बाल वाला यह शख्स देश के 'रत्नों' में शुमार है. गोविंदराजन पद्मनाभन जाने-माने बायो साइंटिस्ट हैं. जिनका मलेरिया पर जबर्दस्त काम है. गोविंदराजन पद्मनाभन (Biochemist Govindarajan Padmanabhan) को सबसे बड़े विज्ञान सम्मान 'विज्ञान रत्न' के लिए चुना गया है. उनको यह सम्मान 23 अगस्त को दिया जाएगा.
सरकार ने बुधवार को 33 राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कारों का ऐलान किया था. जिनमें युवा वैज्ञानिकों के लिए 18 विज्ञान युवा पुरस्कार, 13 विज्ञान श्री पुरस्कार और एक विज्ञान टीम पुरस्कार शामिल है. विज्ञान टीम पुरस्कार 'टीम चंद्रयान-3' को दिया जाएगा. पहले विज्ञान रत्न पुरस्कार (Vigyan Ratna Puraskar) के लिए प्रसिद्ध जीव रसायन वैज्ञानिक गोविंदराजन पद्मनाभन को चुना गया है. सरकार ने विज्ञान के क्षेत्र में दिए जाने वाले इस सर्वोच्च पुरस्कार की शुरुआत इसी साल की है.
कौन हैं गोविंदराजन पद्मनाभन?
गोविंदराजन पद्मनाभन भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के पूर्व डायरेक्टर हैं और वर्तमान में वह IISc बेंगलुरु में मानद प्रोफेसर के तौर कर सेवाएं दे रहे हैं. उनको मलेरिया पैरासाइट पर रिसर्च के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब सराहा गया. उनको पद्म भूषण, पद्म श्री और शांति स्वरुप भटनागर अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है. वह वर्तमान में IISc में जैव रसायन विभाग में मानद प्रोफेसर और तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालय के चांसलर के रूप में सेवाएं दे रहे हैं.
गोविंदराजन पद्मनाभन के बारे में खास बातें
- गोविंदराजन पद्मनाभन का जन्म 20 मार्च 1938 को मद्रास में हुआ था.
- वह मूल रूप से तमिलनाडु के तंजौर जिले के रहने वाले हैं, लेकिन बाद में वह बैंगलोर में रहने लगे.
- उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा भी बेंगलुरु से ही पूरी की. इसके बाद उन्होंने एक इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन ले लिया.
- वह इंजीनियरों के परिवार से ताल्लुक रखते हैं. कहा जाता है कि उनको इंजीनियरिंग में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी.
- उन्होंने रसायन विज्ञान में ग्रेजुएशन करने के बाद मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज में एडमिशन ले लिया.
- साल 1966 में उन्होंने दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से सॉइल केमिस्ट्री में अपना मास्टर्स पूरा किया.
- भारतीय विज्ञान संस्थान ( IISc ) बेंगलुरु से उन्होंने जैव रसायन विज्ञान में पीएचडी की डिग्री ली.
पद्मनाभन की रिसर्च के बारे में
अपनी रिसर्च के शुरुआती सालों में उन्होंने मुख्य रूप से यकृत में यूकेरियोटिक जीन के ट्रांसक्रिप्शनल रेगुलेशन में काम किया. सेलुलर प्रक्रियाओं में हीम की बहुमुखी भूमिका को स्पष्ट करने में उनकी खास रुचि थी. उनकी टीम ने मलेरिया पेरासाइट में हीम-बायोसिंथेटिक मार्ग की खोज की. उनकी रुचि वैक्सीन के क्षेत्र में भी है. उनकी टीम ने साल 2004 में करक्यूमिन के मलेरिया-रोधी गुण और संयोजन चिकित्सा में इसकी प्रभावकारिता को दिखाने का काम किया था.
33 राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कारों का ऐलान
सरकार ने इस साल की शुरुआत में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में शोधकर्ताओं, प्रौद्योगिकीविदों और नवोन्मेषकों के उत्कृष्ट और प्रेरक वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकीय और नवोन्मेषी योगदान को सराहने के लिए 33 राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कारों की घोषणा की थी.
इनको मिलेगा 'विज्ञान श्री' पुरस्कार
विज्ञान श्री पुरस्कार से सम्मानित किए जाने वाले वैज्ञानिकों में खगोल भौतिकविद् अन्नपूर्णी सुब्रमण्यन, कृषि वैज्ञानिक आनंदरामकृष्णन सी, आवेश कुमार त्यागी (परमाणु ऊर्जा), प्रो. उमेश वार्ष्णेय और प्रो. जयंत भालचंद्र उदगांवकर (दोनों जैविक विज्ञान के क्षेत्र में), प्रो. सैयद वजीह अहमद नकवी (पृथ्वी विज्ञान), प्रो. भीम सिंह (इंजीनियरिंग विज्ञान), प्रो. आदिमूर्ति आदि और प्रो. राहुल मुखर्जी (गणित और कंप्यूटर विज्ञान), प्रो. डॉ. संजय बिहारी (चिकित्सा), प्रो. लक्ष्मणन मुथुसामी और प्रो. नबा कुमार मंडल (भौतिकी) और प्रो. रोहित श्रीवास्तव (प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष) शामिल हैं.
इनको मिलेगा 'विज्ञान युवा पुरस्कार'
विज्ञान युवा पुरस्कार पाने वालों में कृष्ण मूर्ति एस एल और स्वरूप कुमार परिदा (कृषि विज्ञान), राधाकृष्णन महालक्ष्मी और प्रो. अरविंद पेनमैत्सा (जैविक विज्ञान), विवेक पोलशेट्टीवार और विशाल राय (रसायन विज्ञान), रॉक्सी मैथ्यू कोल (पृथ्वी विज्ञान), अभिलाष और राधा कृष्ण गंटी (इंजीनियरिंग विज्ञान), पूरबी सैकिया और बप्पी पॉल (पर्यावरण विज्ञान), महेश रमेश काकड़े (गणित और कंप्यूटर विज्ञान), जितेंद्र कुमार साहू और प्रज्ञा ध्रुव यादव (मेडिसिन), उर्बशी सिन्हा (भौतिकी), दिगेंद्रनाथ स्वैन अंतरिक्ष और प्रशांत कुमार (अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी) और प्रभु राजगोपाल (प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष) शामिल हैं.
23 अगस्त को मिलेगा विज्ञान के क्षेत्र में खास सम्मान
ये पुरस्कार हर साल दिए जाएंगे और विज्ञान के विभिन्न विभागों द्वारा दिए जाने वाले 300 से ज्यादा पुरस्कारों की जगह लेंगे. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर ये पुरस्कार प्रदान करेंगी, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रयान-3 के उतरने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है.