- अजित डोभाल ने पाकिस्तान के परमाणु रहस्यों का पता लगाने के लिए भिखारी बनकर गुप्त मिशन किया था.
- डोभाल ने कहूटा की गलियों में छुपकर बाल इकट्ठा किए, जिनमें रेडिएशन और यूरेनियम के अंश मिले थे.
- बालों के इन नमूनों की जांच से भारत को पाकिस्तान के नाभिकीय कार्यक्रम की अहम जानकारी मिली थी.
कभी भिखारी तो कभी हेयरकट के बहाने पाकिस्तान के परमाणु सीक्रेट्स के बारे में पता करना, चौंकिए मत आपने ये प्लॉट जेम्स बॉन्ड या दूसरी स्पाई थ्रिलर फिल्मों में काफी देखे होंगे. इन प्लॉट्स किरदार बनकर खुद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल कभी जी चुके हैं. शायद इसलिए ही उन्हें भारत के 'जेम्स बॉन्ड' के तौर पर भी जानते हैं. डोभाल दुश्मन के बीच में इतने माहिर तरह से छिपा लेते थे कि उनकी हकीकत का जरा भी इल्म उसे हो ही नहीं पाया. डोभाल पर आई एक किताब के बाद कई ऐसे राज पर भी पर्दा उठा है जिनके बारे में लोगों को या जो बिल्कुल भी नहीं मालूम था या फिर बहुत कम जानकारी थी.
अपनी जान भी डाली खतरे में
डी देवदत्त की किताब, 'Ajit Doval- On a Mission' के मुताबिक भारत ने साल 1974 में जब पहला परमाणु परीक्षण किया तो दुनिया के साथ ही साथ पाकिस्तान भी हैरान रह गया था. इसके बाद उसने चीन और उत्तर कोरिया के समर्थन से परमाणु क्षमताओं की खोज करनी शुरू कर दी थी. भारत को इस राज से पर्दा उठाना था और जिम्मेदारी सौंपी गई, सुपरकॉप कहे जाने वाले अजीत डोभाल को. यह एक ऐसा मिशन था जिसमें उनकी जान जाने का तो रिस्क था ही लेकिन असलियत सामने आने पर भारत की सुरक्षा भी खतरे में आ जाती. आपको इसी किताब से डोभाल के उस किस्से के बारे में बताते हैं जिसने उस समय दुश्मन के होश उड़ाए और आज आपके उड़ा देंगे.
भिखारी बनकर गए हेयरकट कराने
किताब के अनुसार, डोभाल कई दिनों तक पाकिस्तान की कहूटा की गलियों में भिखारी का भेष रखकर घूमते रहे. आने-जाने वाले लोग उन्हें भीख तक दे जाते थे. लेकिन डोभाल को इस बात से कोई फिक्र नहीं थी. वह बस अपने मिशन पर लगे हुए थे और हर एक्टिविटी को अपनी आंखों में कैद कर लेते थे. अचानक एक दिन, उनका ध्यान एक छोटी सी नाई की दुकान पर गया, जहां खान रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक रोजाना आते थे. किताब में बताया गया है कि डोभाल किसी भी आम भिखारी की तरह बाहर बैठे थे, लेकिन उनका असली ध्यान अंदर फर्श पर बिखरे बालों पर था.
भारत भेजे बालों के रेशे
किताब के मुताबिक डोभाल ने चुपचाप बाल इकट्ठा किए और उन्हें भारत भेज दिया. इन बालों की टेस्टिंग में रेडिएशन और यूरेनियम के कुछ अंश मिले. इससे पाकिस्तान के सीक्रेट न्यूक्लियर प्रोग्राम के बारे में जानकारी मिली. इस एक कदम से उन्होंने पाकिस्तान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं का खाका उजागर कर दिया.
6 साल तक जुटाते रहे जानकारी
डोभाल छह साल तक पाकिस्तान में गुप्त रूप से रहे, जहां लगातार उनकी पहचान सामने आने और जान जाने का खतरा बना रहा. उनके प्रयासों से भारतीय खुफिया एजेंसियों को पाकिस्तान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं की सीमा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली. किताब के मुताबिक उन बालों के रेशों को इकट्ठा करके और यूरेनियम की मौजूदगी साबित करके, उन्होंने ऐसी जानकारी मुहैया कराई जिससे पाकिस्तान की परमाणु परीक्षण करने की क्षमता में करीब 15 साल की देरी हुई. इस मिशन को डोभाल के सबसे साहसी और चालाक खुफिया अभियानों में से एक माना जाता है.