आवाम ने तोड़ दिया हुकूमत का गुरूर... अखिलेश के लोकसभा में शायराना अंदाज का बीजेपी सांसद ने दिया ऐसे जवाब

बीजेपी सांसद संतोष पांडेय ने अखिलेश यादव का जवाब देते हुए कहा कि जरा सा कुदरत ने क्या नवाजा, आके बैठे हो फलसफे में, तुम्हारा लहजा बता रहा है. तुम्हारी दौलत नई-नई है...

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सपा सांसद अखिलेश यादव आज लोकसभा में एक खास अंदाज में दिखाई दिए. उन्होंने मोदी सरकार पर शायराना अंदाज में हमला किया और चुनावों में सीटें कम होने और बहुमत की सरकार ना बनने पर तंज कसा. उन्होंने कहा कि आवाम ने तोड़ दिया हुकूमत का गुरूर, दरबार तो लगा है पर, बड़ा गमगीन-बेनूर है, क्यों ऊपर से जुड़ा कोई तार नहीं, नीचे से कोई आधार नहीं, ऊपर से जो है अटकी हुई, यह कोई सरकार नहीं. यही नहीं अखिलेश यादव ने जोर देकर ये भी कहा कि ये चलने वाली नहीं, हारी हुई सरकार है. अखिलेश के भाषण के बाद छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव से बीजेपी सांसद संतोष पांडेय ने अखिलेश यादव का जवाब उसी तरह शायराना अंदाज में पलटवार किया. संतोष पांडेय ने अखिलेश यादव का पर तंज कसते हुए कहा- जरा सा कुदरत ने क्या नवाजा, आके बैठे हो फलसफे में, तुम्हारा लहजा बता रहा है. तुम्हारी दौलत नई-नई है... 

बीजेपी सांसद संतोष पांडेय का जवाब

बता दें कि इसके साथ ही अखिलेश यादव ने अयोध्या में सपा की जीत पर भी बीजेपी को घेरा. उन्होंने कहा कि एक जीत और हुई है, सत्ता पक्ष के लोग समझ गए होंगे, अयोध्या की जीत भारत के मतदाता की परिपक्वता की जीत है. इसके बाद अखिलेश ने एक कविता पढ़ी- 

होई है वही जो राम रचि राखा
यह है उसका फैसला
जिसकी लाठी में नहीं होती आवाज
जो करते से किसी को लाने का दावा
वो हैं खुद किसी के सहारे के लाचार

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संतोष पांडेय ने राहुल गांधी को भी महादेव ऐप घोटाले की याद दिलाई
वहीं संतोष पांडेय ने आज राहुल गांधी पर ही तंज कसा कि आप जो महादेव-महादेव कर रहे थे, छत्तीसगढ़ में आपके मुख्यमंत्री उनके नाम से सट्टा चला रहे थे. संतोष पांडेय ने 'हिन्दू' वाले बयान पर कहा कि कन्हैया लाल हत्याकांड से लेकर जम्मू-कश्मीर तक सवाल किया कि वे किस समाज के हैं. उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की हिन्दू तन मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय भी सुनाई. उन्होंने पूरी कविता नहीं सुनाई बल्कि उसके कुछ हिस्सों को कविता के रूप में सुनाया.

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मैं आदि पुरुष, निर्भयता का वरदान लिए आया भू पर, 
पय पीकर सब मरते आए, मैं अमर हुआ लो विष पीकर
अधरों की प्यास बुझाई है, पीकर मैंने वह आग प्रखर
हो जाती दुनिया भस्मसात, जिसको पल भर में ही छूकर...

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मुझ को मानव में भेद नहीं, मेरे अंतस्थल वर विशाल
जग के टुकराए लोगों को लो मेरे घर का खुला द्वार,
अपना सब कुछ लुटा चुका, फिर भी अक्षय है धनागार...

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होकर स्वतंत्र मैंने कब चाहा कर लूं जग को गुलाम
मैंने तो सदा सिखाया करना अपने मन को गुलाम
गोपाल राम के नामों पर कब मैंने अत्याचार किए
कब दुनिया को हिन्दू करने घर घर में नरसंहार किए...

अखिलेश ने गन्ना किसानों से लेकर अग्निवीर तक कही ये बातें

अखिलेश यादव ने गन्ना किसानों के भुगतान से लेकर पेपर लीक तक सरकार पर प्रहार किया. अखिलेश ने ये भी कहा कि लोग क्योटो की फोटो लेकर उसे गंगाजी तक खोज रहे हैं. शायद गंगाजी एक दिन साफ हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि 4 जून का दिन सांप्रदायिक राजनीति से आजादी का दिन है. तोड़ने वाली राजनीति की हार और जोड़ने वाली राजनीति की जीत हुई है. हमारे लिए संविधान ही संजीवनी है और संविधान के रक्षकों की जीत हुई है. अखिलेश ने ईवीएम का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि अगर मेरी 80 में से 80 सीटें भी आती हैं तो भी मुझे ईवीएम पर भरोसा नहीं है. अखिलेश ने जातिगत जनगणना और आरक्षण का मुद्दा भी उठाया.  उन्होंने दोहराया कि इंडिया अलायंस की सरकार आने पर अग्निवीर योजना को हटा दिया जाएगा.

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