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पश्चिम बंगाल में 'न्याय यात्रा' को लेकर अधीर रंजन ने लगाए आरोप तो टीएमसी ने बताया भाजपा का एजेंट

मालवीय ने कहा, ''लेकिन यह देखना दिलचस्प रहेगा कि कांग्रेस इस सदमे से उबर पाती है या नहीं और क्या ममता बनर्जी से सिर्फ पांच मिनट के लिए यात्रा में शामिल होने के लिए अनुरोध करना जारी रखती है.''

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राहुल गांधी नीत यात्रा को संविधान की रक्षा के लिए एक आंदोलन करार देते हुए अधीर रंजन चौधरी ने दावा किया कि इसका लोकसभा चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है.
सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल):

कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी को राज्य में 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' के दौरान कुछ जनसभाओं के आयोजन को मंजूरी प्राप्त करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. चौधरी के बयान पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस नेता पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के स्वर में स्वर मिलने का आरोप लगाया. यहां सिलीगुड़ी में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए चौधरी ने कहा कि राज्य प्रशासन को बहुत पहले ही यात्रा के कार्यक्रम से अवगत करा दिया गया था.

अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ''कुछ स्थानों पर परीक्षाओं का हवाला देते हुए हमें जनसभाएं करने की मंजूरी नहीं मिल रही है और हमें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. भारत जोड़ो न्याय यात्रा को असम सहित पूर्वोत्तर में दिक्कतों का सामना करना पड़ा है और अब हम टीएमसी शासित पश्चिम बंगाल में भी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं.''

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अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ''हमें सिलीगुड़ी में जनसभा करने की मंजूरी नहीं दी गयी. हम राज्य सरकार से बेहतर सहयोग की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन कोई (बात) नहीं, कुछ बदलावों को छोड़कर यात्रा का मार्ग और कार्यक्रम वही रहेगा.'' राहुल गांधी नीत यात्रा को संविधान की रक्षा के लिए एक आंदोलन करार देते हुए चौधरी ने दावा किया कि इसका लोकसभा चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है.

बृहस्पतिवार रात को इस मुद्दों पर चौधरी ने कहा, ‘हमने सोचा था कि पश्चिम बंगाल में कुछ स्थानों पर हमें जनसभाएं करने के लिए रियायत मिलेगी लेकिन प्रशासन कह रहा है कि वे मंजूरी नहीं दे सकते.' मणिपुर में 14 जनवरी से शुरू हुई राहुल गांधी की अगुवाई वाली यह यात्रा बृहस्पतिवार को पश्चिम बंगाल पहुंची और दो दिनों तक राज्य में रुकी रहेगी. यात्रा 28 जनवरी से शुरू होगी.

वहीं सत्तारूढ़ टीएमसी ने हालांकि दावा किया कि पश्चिम बंगाल में प्रशासन राजनीतिक प्रभाव से मुक्त है. टीएमसी सांसद शांतनु सेन ने कहा, ''विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के पश्चिम बंगाल में टूटने की वजह अधीर चौधरी ही हैं. दूसरी बात, सभी विपक्षी दल राज्य में कार्यक्रम करते हैं, किसी को कोई परेशानी नहीं होती. स्कूलों में बोर्ड परीक्षाएं होने के कारण प्रशासन ने यह फैसला लिया होगा.'' टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने चौधरी पर भाजपा की भाषा बोलने का आरोप लगाया.

कुणाल घोष ने कहा, ''अधीर चौधरी भाजपा के एजेंट हैं और उसी की भाषा बोलते हैं. आज भी वह भाजपा के इशारे पर आरोप लगा रहे हैं. यात्रा की अनुमति से टीएमसी का कोई लेना-देना नहीं है.'' भाजपा ने मुद्दे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस को अपने सहयोगी दल से 'सत्तावाद' का स्वाद मिल रहा है.

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भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा, ''क्या पश्चिम बंगाल पर टीएमसी का स्वामित्व है और क्या वे तय करेंगे कि किसे रैली करने की अनुमति मिलेगी और किसे नहीं? भाजपा की शिकायत करने वाली कांग्रेस को अब अपने ही सहयोगी टीएमसी से सत्तावाद का स्वाद मिल रहा है.''

भाजपा की पश्चिम बंगाल के सह-प्रभारी और आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ''राहुल गांधी की यात्रा की अनुमति देने से इनकार करने का ममता बनर्जी का फैसला विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के ताबूत में आखिरी कील की तरह है. इस फैसले का मकसद कांग्रेस को अपमानित करना है. परीक्षा के मद्देनजर यात्रा को मंजूरी नहीं देना सिर्फ और सिर्फ बहाना है.''

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मालवीय ने कहा, ''ऐसी कोई बाध्यता नहीं है क्योंकि परीक्षाएं दो फरवरी से शुरू हो रही हैं जबकि यात्रा 28 जनवरी को सिलीगुड़ी क्षेत्र में प्रवेश करेगी. ममता बनर्जी घबराई हुईं हैं और इस उम्मीद में यह सब कर रही हैं कि वह पश्चिम बंगाल की सभी सीटों पर चुनाव लड़ सकें और परिणामों के बाद भी सुर्खियों में रहें.''

मालवीय ने कहा, ''लेकिन यह देखना दिलचस्प रहेगा कि कांग्रेस इस सदमे से उबर पाती है या नहीं और क्या ममता बनर्जी से सिर्फ पांच मिनट के लिए यात्रा में शामिल होने के लिए अनुरोध करना जारी रखती है.''

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