बैंक कंगाल या बंद हो जाए तो आपकी FD और सेविंग्स का क्या होगा, नियम क्या हैं?

भारत में बैंकों के डूबने की स्थिति में ग्राहकों के लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस की सुविधा 60 के दशक में शुरू की गई थी. डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन यानि डीआईसीजीसी रिजर्व बैंक के अधीन इस नियम के तहत ग्राहकों की जमा राशि पर इंश्योरेंस कवर देती है.

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RBI ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर लगाई कई पाबंदियां
मुंबई:

बैंक कंगाल या बंद हो जाए, तो ग्राहकों के फिक्‍स डिपोजिट और सेविंग्स का क्या होता है, क्‍या ये रकम भी डूब जाती है? ये सवाल इसलिए, क्‍योंकि भारतीय रिजर्व बैंक(RBI) ने शुक्रवार को मुंबई स्थित न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में खराब मैनेजमेंट का हवाला देते हुए इसके निदेशक मंडल को भंग कर दिया. बैंक पर कई पाबंदियां भी लगाई गई हैं. आरबीआई की पाबंदियों के बाद बैंक की शाखाओं के बाहर ग्राहकों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. ग्राहक अपना पैसा निकालना चाह रहे हैं, लेकिन बैंक को आरबीआई ने सख्‍त आदेश दिया है कि ऐसा नहीं होना चाहिए. ऐसे में ग्राहकों के मन में कई सवाल खड़े हो रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्‍या बैंक डूब गया, तो क्‍या उनका पैसा भी डूब जाएगा?  

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक की महाराष्ट्र और गुजरात में 28 ब्रांच हैं. इस बैंक की स्थापना 1968 में दिवंगत सांसद जॉर्ज फर्नांडीस द्वारा बॉम्बे लेबर को-ऑपरेटिव बैंक के रूप में की गई थी. लेकिन अब इस बैंक पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं और इसके ग्राहकों की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं. बैंक में लगभग 1.3 लाख खाते हैं. क्‍या इन खाताधाराकों को उनका पूरा पैसा वापस मिल पाएगा? भारत में बैंकों के डूबने की स्थिति में ग्राहकों के लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस की सुविधा 60 के दशक में शुरू की गई थी. डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन यानि डीआईसीजीसी रिजर्व बैंक के अधीन इस नियम के तहत ग्राहकों की जमा राशि पर इंश्योरेंस कवर देती है. पहले डिपॉजिट इंश्‍योरेंस सिर्फ एक लाख रुपये था, जिसे मोदी सरकार ने बढ़ा दिया है. 

RBI ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर लगाई ये पाबंदियां

  • मुंबई स्थित न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के निदेशक मंडल को 12 महीने के लिए हटाया गया.
  • पाबंदियां लगने के बाद अब बैंक को नए कर्ज जारी करने से रोका गया है.
  • बैंक द्वारा ग्राहकों के जमा पैसे को छह महीने तक निकालने पर रोक लगा दी गई है. 
  • बैंक की 28 शाखाएं हैं, जिनमें से ज्यादातर मुंबई क्षेत्र में स्थित हैं.

बैंक डूबा, तो ग्राहकों का पैसा कितना इंश्‍योर?

मोदी सरकार ने डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर को एक लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया. इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि अगर कोई बैंक कंगाल हो जाता है, तो बैंक में अकाउंट रखने वाले ग्राहकों की 5 लाख रुपये तक की रकम इंश्योर्ड रहती है. बैंक जिस तारीख को कंगाल या बंद होता है, उस तारीख से ग्राहक के अकाउंट में जो जमा और ब्याज होता है, उसमें से अधिकतम 5 लाख उसे मिल सकता है. इसे एक उदाहरण के रूप में समझिए, अगर रमेश के बैंक खाते में 10 लाख रुपये जमा हैं. कल अगर उसका बैंक बंद हो जाता है, तो उसे सिर्फ 5 लाख रुपये मिल सकते हैं, क्‍योंकि नियम के अनुसार अधिकतम 5 लाख रुपये ही इंश्योर्ड हैं. ये पैसा ग्राहकों को क्‍लेम करने के बाद 90 दिनों के भीतर मिल जाता है. 

  

RBI ने क्‍या कहा?

आरबीआई ने एक बयान में कहा कि उसने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक श्रीकांत को बैंक के मामलों के प्रबंधन के लिए 'प्रशासक' नियुक्त किया है. आरबीआई ने एक बयान में कहा कि मुंबई स्थित न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के निदेशक मंडल को 12 महीने के लिए हटा दिया गया है. बैंक ने अपने प्रशासनिक कार्यों को सही तरीके से और प्रभावी रूप से करने के लिए एक 'सलाहकार समिति' बनाई है. इस सलाहकार समिति में दो सदस्य रवींद्र सपरा (पूर्व महाप्रबंधक, एसबीआई) और अभिजीत देशमुख (चार्टर्ड अकाउंटेंट) शामिल हैं. आरबीआई ने कहा, 'बैंक में खराब मैनेजमेंट से के कारण हुई समस्‍याओं के कारण यह कार्रवाई आवश्यक है.' आरबीआई ने बैंक को यह निर्देश दिया है कि वर्तमान नकदी की स्थिति को देखते हुए वह जमाकर्ताओं के बचत खाते, चालू खाते या किसी भी खाते से पैसे निकालने की अनुमति न दे.

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