Bio-Stimulant क्या है जो आपकी फसल को दोगुना कर सकता है? कृषि वैज्ञानिक ने NDTV को बताया

कृषि मंत्रालय के मुताबिक- बैठक में शिवराज सिंह चौहान ने कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को दिए नए दिशा-निर्देश जारी करते हुए बायोस्टिमुलेंट के संबंध में नियम-कायदे और SOP तय करने को कहा. 

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Bio-Stimulant के नाम पर कई बार बाजार में बहुत तरह की धोखाधड़ी होती है. किसान गलत पदार्थ का इस्तेमाल फसल में करते हैं और इसका उन्हें नुकसान होता है. एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत में वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक और इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (IARI) इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टिट्यूट (ICAR) के डायरेक्टर रहे एके सिंह ने ये महत्वपूर्ण बात कही. बायोस्टिमुलेंट को हिन्दी में 'जैव उत्तेजक' पदार्थ कहा जाता है. यह एक ऐसा पदार्थ है, जिसे पौधों, बीजों या मिट्टी पर लगाया जाता है ताकि पौधों की उत्पादक क्षमता बढ़े, पौधों की वृद्धि (Plant Growth) हो, उनकी पोषक तत्वों के उपयोग और तनाव सहनशीलता में सुधार हो सके. वैज्ञानिकों के मुताबिक- इसके इस्तेमाल से सूखे की स्थिति या खारापन से निपटने की पौधों/फसलों की क्षमता बढ़ती है.    

एके सिंह ने कहा कि भारत सरकार की तरफ से यह निर्णय लिया गया है कि अब सख्ती से बायोस्टिमुलेंट की बिक्री को रेगुलेट किया जाएगा और जरूरी परीक्षण और टेस्ट के बाद ही बाजार में बायोस्टिमुलेंट की बिक्री को मंजूरी दी जाएगी. सरकार बायोस्टिमुलेंट की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए तय मानकों को सख्ती से लागू करेगी.

किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले जैव-उत्तेजक पदार्थों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने जैव-उत्तेजक पदार्थों को उर्वरक (नियंत्रण) आदेश, 1985 के अंतर्गत शामिल किया है. कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को देश में बिना कायदे के बिक रहे पौधों की वृद्धि और विकास को बेहतर बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले बायोस्टिमुलेंट ((Bio Stimulant) को लेकर गंभीर सवाल उठाये थे. कृषि मंत्रालय में बायोस्टिमुलेंट की बिक्री के संबंध में एक महत्वपूर्ण बैठक में शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कुछ बेईमान लोग गड़बड़ियां कर रहे, जिनसे किसानों को बचाना मेरी जवाबदारी है. कृषि विभाग, ICAR किसानों के लिए है या कंपनियों के फायदे के लिए..?

कृषि मंत्रालय के मुताबिक- बैठक में शिवराज सिंह चौहान ने कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को दिए नए दिशा-निर्देश जारी करते हुए बायोस्टिमुलेंट के संबंध में नियम-कायदे और SOP तय करने को कहा. 

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कृषि मंत्रालय की तरफ से जारी रिलीज के मुताबिक, उन्होंने अधिकारियों के प्रति इस बात के लिए काफी नाराजगी व्यक्त की कि कुछ सालों तक 30 हजार बायोस्टिमुलेंट उत्पाद बिकते रहे और अधिकारियों द्वारा इस पर आपत्ति नहीं जताई गई. उन्होंने कहा कि गत 4 साल से करीब 8 हजार बायोस्टिमुलेंट बिकते रहे, जब मैंने इस बारे में सख्ती की तो अब तकरीबन 650 बायोस्टिमुलेंट ही बचे हैं. शिवराज सिंह ने कहा- ऐसी लापरवाही ना बरती जाए, जिससे किसानों को नुकसान हो.

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बैठक में किसान हित में ICAR से बायोस्टिमुलेंट का परीक्षण आवश्यक करने का सवाल भी उठा. कृषि वैज्ञानिक एके सिंह के मुताबिक, किसी भी बायोस्टिमुलेंट को अनुमति देने से पहले कम से कम तीन अलग जगहों पर उनका परीक्षण कर डाटा जेनरेट करना ज़रूरी होगा. जब तक परीक्षण सही तरीके से न हो जाये, उसके संभावित प्रभाव की जांच न हो जाये,  इसको बाजार में बेचने की छूट नहीं दी जानी चाहिए.  

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शिवराज सिंह चौहान हाल ही में देशभर में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान' के दौरान राज्यों में प्रवास कर सैकड़ों गावों और खेतों में गए थे और किसानों से सीधा संवाद किया था. कृषि मंत्रालय के मुताबिक इस दौरान कई गावों में किसानों ने नकली खाद, नकली बीज, नकली उर्वरक, बायोस्टिमुलेंट तथा नैनो यूरिया की बिक्री को लेकर शिकायतें की थी.

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कृषि मंत्रालय की तरफ से जारी नोट के मुताबिक कि शिवराज सिंह ने बैठक में अधिकारियों से कहा कि देश में बायोस्टिमुलेंट कई सालों से बिक रहा है और एक-एक साल करके इसकी बिक्री की अनुमति की अवधि बढ़ाई जाती रही है, लेकिन फील्ड से कई बार शिकायतें आती है कि इससे कोई फायदा नहीं है, फिर भी ये बिक रहा है. चौहान ने कहा कि इसकी पूरी समीक्षा करना आवश्यक है कि इससे कितना फायदा किसानों को हो रहा है, यदि नहीं तो बेचने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. बिना अर्थ के हजारों कंपनियां इसकी बिक्री करने लग गई.

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