काबुल एयरपोर्ट ब्लास्ट की जिम्मेदारी लेनेवाला ISIS-K क्या है? तालिबान से क्या है नाता?

ISIS-K और तालिबान के बीच कट्टर दुश्मनी का रिश्ता है. पिछले ही हफ्ते तालिबान ने ISIS-K के एक कमांडर, जिसे जेल में बंद रखा गया था, को काबुल में ढेर कर दिया है. इस समूह के बारे में कहा जाता है कि यह तालिबान की तरह कट्टरपंथी नहीं है. दोनों विद्रोही समूह अफगानिस्तान में इलाके को कब्जा करने के दौरान कई बार आपस में भिड़ चुके हैं.

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

अफगानिस्तान (Afghanistan) की राजधानी काबुल (Kabul) में एयरपोर्ट के पास गुरुवार को हुए आत्मघाती डबल धमाकों की जिम्मेदारी आतंकी संगठन ISIS-K ने ली है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन धमाकों में 60 लोगों और कम से कम 13 अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई है, जबकि 150 लोग जख्मी हुए हैं.

ऐसे में सवाल उठता है कि पहले से ही एक खूनी विद्रोह से जूझ रहे अफगानिस्तान में दूसरे आतंकी संगठन ने हमला क्यों किया, जब अफगान खुद युद्धग्रस्त देश से बाहर निकलने की कोशिशों में जुटे हैं.  

क्या है ISIS-K?
यह आतंकवादी समूह ISIS का एक सहयोगी संगठन है. इस संगठन की स्थापना 2015 में हुई थी.  ISIS से अलग हुआ ये समूह ज्यादातर पूर्वी अफगानिस्तान, जो खुरासान प्रांत के रूप में जाना जाता है, में फैला है. इसी वजह से इसका नाम भी ISIS-K यानी ;ISIS-खुरासान पड़ा है. खुरासान शब्द एक प्राचीन इलाके के नाम पर आधारित है, जिसमें कभी उज्बेकिस्तान, अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ईराक का हिस्सा शामिल था. फिलहाल यह अफगानिस्तान और सीरिया के बीच का हिस्सा है. ISIS-K ने एक बार उत्तरी सीरिया और इराक में बड़े क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था.

Advertisement

काबुल धमाकों में 60 नागरिकों, 13 अमेरिकी सैनिकों की मौत, ISIS ने ली हमले की जिम्मेदारी

अमेरिकी सैनिकों पर कर चुका है कई हमले
सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के अनुसार, ISIS-K ने 2015 से 2017 के बीच अफगानिस्तान और पाकिस्तान में नागरिकों पर 100 से ज्यादा हमले किए हैं. इसी अवधि के दौरान उसने अमेरिकी, पाकिस्तानी और अफगान सैनिकों पर लगभग 250 हमले किए हैं; अब ये संख्या बढ़ने की आशंका है.

Advertisement

2017 में अमेरिका ने चेतावनी देते हुए ISIS-K के प्रभुत्व वाले इलाके में एक बड़ा बम (जिसे सभी बमों की मां के रूप में जाना जाता है) गिराया था लेकिन इसके मंसूबे कम नहीं हुए. ISIS-K के पास करीब 2200 लड़ाके हैं, अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद इसकी संख्या लगातार बढ़ रही है.

Advertisement

हम माफ नहीं करेंगे, भूलेंगे नहीं, चुन-चुनकर तुम्हारा शिकार करेंगे : काबुल हमले पर गुस्साये जो बाइडेन की चेतावनी

तालिबान से क्या रिश्ता?
ISIS-K और तालिबान के बीच कट्टर दुश्मनी का रिश्ता है. पिछले ही हफ्ते तालिबान ने ISIS-K के एक कमांडर, जिसे जेल में बंद रखा गया था, को काबुल में ढेर कर दिया है. इस समूह के बारे में कहा जाता है कि यह तालिबान की तरह कट्टरपंथी नहीं है. दोनों विद्रोही समूह अफगानिस्तान में इलाके को कब्जा करने के दौरान कई बार आपस में भिड़ चुके हैं.

Advertisement

इस संगठन में जुड़े लोग आतंकी संगठन अलकायदा की विचारधारी रखते हैं. इसे सीरिया से संचालित किया जाता है. तालिबान को सबसे ज्यादा खतरा ISIS-K से ही है. IS-K तालिबान को खदेड़कर अफगानिस्तान पर अपना प्रभुत्व चाहता है. काबुल में धमाका कर वह तालिबान का डर भी खत्म करने का संदेश देना चाहता है, ताकि उसका प्रसार हो सके.

वीडियो- काबुल एयरपोर्ट पर धमाका

Featured Video Of The Day
Shiv Sena Leader Murder Case: मुठभेड़ के बाद शिवसेना नेता की हत्या के 3 आरोपी गिरफ्तार | BREAKING