क्या है 2 करोड़ की कीमत वाला ई-हंसा, इस ट्रेनर एयरक्राफ्ट के बारे में डिटेल में जानें

भारत सरकार पायलट ट्रेनिंग को सस्ता और ज्यादा बेहतर बनाने के लिए ई-हंसा एयरक्राफ्ट (E Hansa Aircraft) बनाने जा रही है. फिलहाल सरकार को एक एयरफ्राफ्ट के लिए 2 करोड़ रुपए ज्यादा खर्च करने पड़ते हैं.

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देश में बनने जा रहा पायलट ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट (सांकेतिक तस्वीर)
नई दिल्ली:

देश में पायलटों की ट्रेनिंग के लिए एयरक्राफ्ट फिलहाल विदेशों से खरीदे जाते हैं. जिनकी कीमत बहुत ज्यादा होती है. लेकिन अब पायलटों की ट्रेनिंग के लिए स्वदेशी तकनीक वाले इलेक्ट्रिक एयरक्राफ्ट विकसित किए जाएंगे, जो कि न सिर्फ सस्ते होंगे बल्कि देश में ही बनेंगे. भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक एयरक्राफ्ट (E Hansa Trainer Aircraft) बनाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है. ई-हंसा नाम के टू-सीटर इलेक्ट्रिक ट्रेनर विमान बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. खास बात ये है कि इस ट्रेनर विमान की कीमत विदेशी विमानों की तुलना में काफी कम होने की उम्मीद है. इस एयरक्राफ्ट को बनाने के पीछे का मकसद आखिर है क्या, इसके बारे में डिटेल में जानें.  

कितनी होगी ई-हंसा की कीमत?

केंद्रीय विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक बैठक में ई-हिंसा की कीमतों को लेकर बताया कि विदेशी विकल्पों की तुलना में इसकी कीमत काफी कम होगी.  इस टू-सीटर इलेक्ट्रिक ट्रेनर विमान की कीमत करीब 2 करोड़ रुपये होगी. विदेशों से आने वाले ट्रेनर विमान की कीमत की तुलना में यह करीब आधी है. जानकारी के मुताबिक भारत में विदेशों से लाए जाने वाले ट्रेनर एयरक्राफ्ट की कीमत 4 करोड़ रुपए के करीब होती है.  

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कौन सी तकनीक से बनेगा ई-हंसा एयरक्राफ्ट ?

ई-हंसा ट्रेनर एयरक्राफ्ट का निर्माण स्वदेशी तकनीक से किया जाएगा. इसे बेंगलुरु की CSIR -नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेट्रीज में विकसित किया जाएगा. अगली पीढ़ी के दू-सीटर इलेक्ट्रिक ट्रेनर विमान को विकसित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, ये जानकारी विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को दी. उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि नए विमान को बेंगलुरु में स्वदेशी तकनीक से विकसित किया जा रहा है.

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ई-हंसा को क्यों बनाया जा रहा?

भारत सरकार पायलट ट्रेनिंग को सस्ता और ज्यादा बेहतर बनाने के लिए ई-हंसा एयरक्राफ्ट बनाने जा रही है. ई-हंसा प्रशिक्षक विमान कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसे भारत में पायलट प्रशिक्षण के लिए किफायती और स्वदेशी विकल्प के रूप में डिजाइन किया गया है. इस एयरक्राफ्ट में ग्रीन एनर्जी का इस्तेमाल होगा. यह ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में भारत की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित कर रहा है.

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