क्या होती है ई-जनगणना? NRC से क्या है कनेक्शन?

ई-सेंसेस का आसान शब्दों में मतलब है इलेक्ट्रॉनिक जनगणना. अब तक जनगणना की प्रक्रिया में सरकारी अधिकारी घर-घर जाकर फार्म भरते थे, लेकिन अब घर-घर जाकर काम करने वालों के पास टैबलेट या स्मार्टफोन होगा. जिसके जरिये डिजिटल रूप से जानकारी दर्ज कर सकेंगे.

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नई दिल्ली:

भारत में जनगणना (Census) का इतिहास करीब 150 साल पुराना है. देश में पहली आंशिक जनगणना 1872 में हुई थी. इसके बाद 1881 में पहली बार अधिकृत तौर पर जनगणना हुई. अब तक हर 10 साल के अंतराल पर देश में कुल 15 जनगणना हो चुकी है. 16वीं जनगणना 2021 में होनी थी लेकिन कोविड के कारण इसमें देरी हुई है. देश के गृह मंत्री अमित शाह ने अब कहा है कि अगली जनगणना ई-जनगणना होगी, जो 100 प्रतिशत पूर्ण जनगणना होगी. इसके आधार पर अगले 25 वर्षों के लिए देश का रोडमैप बनाया जाएगा.

जनगणना न सिर्फ आबादी की संख्या और जन्म-मृत्यु के आंकड़ों की जानकारी देता है बल्कि यह आर्थिक गतिविधि, साक्षरता और शिक्षा, आवास, शहरीकरण, जन्‍म दर और मृत्‍यु दर और घरेलू सुख सुविधाओं, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों, भाषा, धर्म, विकलांगता और अन्‍य सामाजिक-सांस्‍कृतिक-आर्थिक आंकड़ों के बारे में सांख्यिकीय जानकारी जुटाने का सबसे विश्‍वसनीय स्‍त्रोत है. अब तक जनगणना का कार्य लिखित रूप में होता रहा है. इसमें सरकारी विभागों के कर्मचारी-अधिकारी लोगों के घर-घर जाकर ऐसे आंकड़े इकट्ठे करते थे और बाद में उसका सारणीकरण कर भारत के महापंजीयक कार्यालय द्वारा जनगणना रिपोर्ट जारी किया जाता था. इसमें अमूमन दो साल लग जाया करते थे. अब ये सारे काम तकनीक की सहायता से डिजिटली होंगे, जिसे ई-जनगणना कहा गया है. 

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ई-जनगणना क्या है?

ई-जनगणना यानी ई-सेंसेस (E-Census) का आसान शब्दों में मतलब है इलेक्ट्रॉनिक जनगणना. अब तक जनगणना की प्रक्रिया में सरकारी अधिकारी घर-घर जाकर फार्म भरते थे, लेकिन अब घर-घर जाकर काम करने वालों के पास टैबलेट या स्मार्टफोन होगा.  इसके माध्यम से वे डिजिटल रूप से जानकारी दर्ज कर सकेंगे. इसके लिए हाई-टेक, मल्टीपर्पज़ जनगणना ऐप का उपयोग किया जाएगा. नीति निर्माण में जनगणना की बहुत अहम भूमिका होती है. यही वजह है कि अब जन्म और मृत्यु रजिस्टर को भी जनगणना से  जोड़ दिया जाएगा.

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ये जनगणना आधुनिक तकनीकों की मदद से अधिक वैज्ञानिक, सटीक और बहुआयामी होगी. ई-जनगणना की शुरुआत के साथ, देश की 50 प्रतिशत आबादी अपने फोन पर डाउनलोड किए गए मोबाइल एप्लिकेशन पर अपना डेटा फीड कर सकेगी. सरकार ई-जनगणना के लिए नया सॉफ्टवेयर तैयार कर रही है. हाल ही में देश के गृह मंत्री ने बताया कि जनगणना के आंकड़े डेमोग्राफिक चेंजेस, इकोनॉमिक मैपिंग, विकास मानकों में पीछे छूटे क्षेत्रों और सांस्कृतिक, भाषाई और सामाजिक परिवर्तनों को प्रतिबिंबित कर सकते हैं.

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अगली जनगणना कब होगी?

जनगणना मार्च 2020 में हाउस-लिस्टिंग फेज़ और एनपीआर सेंसेस के साथ शुरू होने वाली थी, इसके बाद जनसंख्या जनगणना होनी थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण अनिश्चित काल के लिए इसे स्थगित कर दी गई थी. भारत के इतिहास में पहली बार इसमें देरी हुई है. अब  जनगणना कब शुरू होगी, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है. केंद्र सरकार ने राज्यों को निर्देश दिया है कि जून 2022 तक जिलों और अन्य नागरिक और पुलिस इकाइयों की सीमाओं में बदलाव न करें, गणना कराने से तीन महीने पहले एक कम्पल्सरी जरूरत होती है. 

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क्या है NRC? 

एनआरसी का मतलब है नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन. भारत सरकार की प्लानिंग है कि इस रजिस्टर में देश में रह रहे सभी वैध नागरिकों का रिकॉर्ड रखा जाए. अभी एनआरसी सिर्फ असम में लागू है लेकिन देश के गृहमंत्री अमित शाह चाहते हैं कि इसे पूरे देश में लागू किया जाये. ये बात ध्यान रखना जरूरी है कि एनआरसी में सिर्फ देश के वैध नागरिकों का ही रिकॉर्ड रखा जाएगा.

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 ई सेंसस का एनआरसी से क्या है कनेक्शन

 ई जनगणना पूरी तरह से डिजिटल होगी. इसके रिकॉर्ड ई जनगणना के जरिए बनने वाले रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा. बच्चे के पैदा होने के साथ ही उसकी सूचना जनगणना रजिस्टर में दर्ज हो जाएगी और ये बच्चा का 18 साल होते ही उसका रिकॉर्ड जनगणना विभाग से चुनाव आयोग भेजने का प्रोसेस किया जाएगा. ई जनगणना जैसे ही डिजिटलाइज्ड होगी एनआरसी रजिस्टर को अपडेट करने में इससे मदद मिलेगी. केंद्र सरकार का दावा है कि 2024 तक जनगणना का रजिस्टर तैयार हो जाएगा जिसके बाद भारत सरकार को देश में रह रहे वैध नागरिकों की एक ऐसी सूची मिल जाएगी जो कि अपडेटेड और त्रुटि हीन होगी. ये जनगणना रजिस्टर NRC को तैयार करने के लिए ब्लूप्रिंट कि तरह काम करेगा. 

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