- चंडीगढ़ के दर्जे को लेकर 131वें संविधान संशोधन विधेयक लाने की चर्चा पर घमासान छिड़ गया है
- गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि संसद के आगामी सेशन में ऐसा विधेयक लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है
- पंजाब सरकार और कई दलों ने इस संशोधन को पंजाब के अधिकारों और पहचान पर हमला बताया है
चंडीगढ़ से संबंधित 131वें संविधान संशोधन विधेयक को लेकर सियासी घमासान जारी है. पंजाब और कई दलों के पुरजोर विरोध के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साफ किया है कि 1 दिसंबर से शुरू होने वाले संसद के विंटर सेशन में इस तरह का कोई बिल लाने की केंद्र सरकार की मंशा नहीं है. आइए बताते हैं कि इस विधेयक को लेकर दलों की क्या आपत्तियां हैं, किस दल ने क्या कहा है.
चंडीगढ़ बिल में आखिर ऐसा है क्या?
राज्यसभा के बुलेटिन के हवाले से बताया जा रहा है कि 131वें संविधान संशोधन विधेयक 2005 का मकसद केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को संविधान के आर्टिकल 240 के अंतर्गत लाना है. दूसरे शब्दों में कहें तो इसके जरिए चंडीगढ़ को भी अंडमान निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दादरा नागर हवेली, दमन दीव व पुड्डुचेरी (जब विधानसभा भंग हो या निलंबित हो) की तरह विशेष कैटिगरी में लाने का प्रस्ताव है. इन प्रदेशों में राष्ट्रपति को नियम बनाने का अधिकार है. चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी है. फिलहाल पंजाब के गवर्नर चंडीगढ़ के प्रशासक का काम संभालते हैं. अगर कानून पास हुआ तो चंडीगढ़ में भी ऐसा अधिकार राष्ट्रपति को मिल जाएगा.
होम मिनिस्ट्री ने क्या सफाई दी है?
गृह मंत्रालय ने हालांकि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में साफ किया है कि इस प्रस्ताव में किसी भी तरह से चंडीगढ़ की शासन-प्रशासन की व्यवस्था या चंडीगढ़ के साथ पंजाब या हरियाणा के परंपरागत संबंधों को बदलने की कोई बात नहीं है. चंडीगढ़ के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी हितधारकों से पर्याप्त चर्चा के बाद ही उचित निर्णय लिया जाएगा.
होम मिनिस्ट्री का कहना है कि संघ राज्य क्षेत्र चंडीगढ़ के लिए सिर्फ केंद्र सरकार द्वारा कानून बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रस्ताव अभी केंद्र सरकार के स्तर पर विचाराधीन है. इस प्रस्ताव पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. यह भी कहा कि संसद के आगामी शीत सत्र में इस तरह का कोई बिल पेश करने की केंद्र की मंशा नहीं है. इस विषय पर चिंता की जरूरत नहीं है.
विधेयक पर किस नेता ने क्या कहा?
'पहले घोषणा करो, फिर विचार करो' वाला रवैयाः रमेश
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि एक दिन पहले ही संसद बुलेटिन में चंडीगढ़ के लिए पूर्णकालिक उपराज्यपाल की नियुक्ति से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक पेश करने की बात कही गई थी. कांग्रेस और पंजाब के अन्य दलों के आक्रामक विरोध के बाद... अब केंद्रीय गृह मंत्रालय कह रहा है कि उसका विंटर सेशन में विधेयक पेश करने का इरादा नहीं है... यह मोदी सरकार के ‘पहले घोषणा करो, फिर विचार करो' वाले दृष्टिकोण का एक और उदाहरण है.
पंजाब बीजेपी राज्य के हितों के साथ हैः सुनील जाखड़
पंजाब के बीजेपी प्रमुख सुनील जाखड़ का कहना है कि चंडीगढ़ पंजाब का अभिन्न अंग है और पंजाब बीजेपी राज्य के हितों के साथ मजबूती से खड़ी है, चाहे वह चंडीगढ़ का मुद्दा हो या पंजाब का पानी. चंडीगढ़ को लेकर जो भी भ्रम पैदा हुआ है, उसे सरकार से चर्चा करके दूर किया जाएगा एक पंजाबी होने के नाते मैं विश्वास दिलाता हूं कि हमारे लिए पंजाब हमेशा पहले आता है.
चंडीगढ़ पर सिर्फ पंजाब का हकः सीएम भगवंत मान
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसे विधेयक को पंजाब के हितों के खिलाफ बताया. एक्स पर पोस्ट में उन्होंने लिखा, "केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित संविधान (131वां संशोधन विधेयक) बिल का हम कड़ा विरोध करते हैं. यह संशोधन पंजाब के हितों के खिलाफ है. हम केंद्र सरकार द्वारा पंजाब के खिलाफ रची जा रही साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे. हमारे पंजाब के गांवों को उजाड़कर बने चंडीगढ़ पर सिर्फ पंजाब का हक है. हम अपना हक यूं ही जाने नहीं देंगे. इसके लिए जो भी कदम उठाने पड़ेंगे, हम उठाएंगे.
पंजाब की पहचान और अधिकारों पर हमलाः केजरीवाल
AAP नेता अरविंद केजरीवाल ने 131वें संविधान संशोधन विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए इसे पंजाब की पहचान और संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला करार दिया. उन्होंने कहा कि केंद्र की बीजेपी सरकार द्वारा चंडीगढ़ पर पंजाब के अधिकार को खत्म करने की कोशिश कोई साधारण कदम नहीं, बल्कि पंजाब की पहचान और संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला है. संघीय ढांचे की धज्जियां उड़ाकर पंजाबियों के हक छीनने की यह मानसिकता बेहद खतरनाक है... यह पंजाब की आत्मा को चोट पहुंचाने जैसा है. चंडीगढ़ पंजाब का है और पंजाब का रहेगा.
यह बिल पंजाब के अधिकारों की लूटः हरसिमरत कौर
शिरोमणि अकाली दल सांसद हरसिमरत कौर बादल ने दावा किया कि इस संशोधन से चंडीगढ़ एक राज्य बन जाएगा और पंजाब चंडीगढ़ पर अपना अधिकार पूरी तरह से खो देगा. हम इसका कड़ा विरोध करते हैं. चंडीगढ़ को अलग राज्य बनाने का फैसला कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह संशोधन विधेयक पंजाब के अधिकारों की लूट है और संघीय ढांचे के सिद्धांतों का भी उल्लंघन है. शिरोमणि अकाली दल ऐसा नहीं होने देगा. शिअद ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए 24 नवंबर को कोर कमेटी की इमरजेंसी बैठक बुलाई है.
संसद से सड़क तक विरोध करेंगेः पंजाब कांग्रेस चीफ
पंजाब कांग्रेस के प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस विधेयक के जरिए चंडीगढ़ को यूटी का दर्जा देकर पंजाब के सारे हक और अधिकार छीनना चाहती है. हम इसका संसद और सड़कों दोनों जगह पर विरोध करेंगे. उन्होंने कहा कि हम इस मामले पर पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी में चर्चा करेंगे, फिर रणनीति बनाएंगे. उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ पर पंजाब का मूल अधिकार है. यह पंजाब के गांव उजाड़कर राज्य की जमीन पर बनाया गया है. यह हमारा हक और अधिकार है. हम इसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे.
पंजाब में अस्थिरता पैदा करने की कोशिशः प्रताप बाजवा
कांग्रेस पार्टी के नेता प्रताप बाजवा ने आरोप लगाया कि बीजेपी लगातार राजनीतिक माहौल को परखने की कोशिश कर रही है. नए संविधान संशोधन विधेयक को ‘अस्थिरता पैदा करने की एक और कोशिश' करार दिया. बाजवा ने कहा कि पंजाबी अपने अधिकारों पर ऐसे हमले का पूरी ताकत से विरोध करेंगे. इसके बाद होने वाला टकराव बीजेपी को राज्य में राज्यपाल शासन लगाने का बहाना दे देगा. बीजेपी पंजाब में फूट डालने की कोशिश बंद करे और हमारे राज्य की शांति एवं संघीय संतुलन को न छेड़े.
यह चंडीगढ़ को छीनने की कोशिशः हरपाल चीमा
पंजाब सरकार में मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी ने पहले हमारे पानी के रिसोर्स को छीनने की कोशिश की. उन्होंने बीबीएमबी पर कब्जा करने की कोशिश की और उसके बाद, उन्होंने चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के साथ-साथ पंजाब के 200 कॉलेजों पर भी कब्जा करने की कोशिश की. इस बार अब चंडीगढ़ को छीनने की कोशिश की जा रही है... केंद्र का यह कदम पंजाब को कमजोर करने या खत्म करने की कोशिश है. पंजाब की जनता इसका करारा जवाब देगी.
यह कदम पंजाब कभी स्वीकार नहीं करेगाः परगट सिंह
कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने कहा कि केंद्र की नई कोशिश का मकसद चंडीगढ़ को पंजाब से पूरी तरह छीनना और इसे एक अलग केंद्र-शासित प्रदेश में बदलना है. यह कदम पूरी तरह से आक्रामक है, जिसे पंजाब कभी स्वीकार नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि मेरा पंजाब के सीएम भगवंत मान से अनुरोध है कि विधानसभा सत्र में इस पंजाब विरोधी कदम के खिलाफ प्रस्ताव पारित करें. सर्वदलील बैठक बुलाएं ताकि पंजाब एकजुट होकर इस हमले का विरोध कर सके. उन्होंने कहा कि पंजाब की औपचारिक रूप से अपनी आपत्ति दर्ज कराने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के रूप में राष्ट्रपति से मुलाकात करनी चाहिए.













