- AMSS सिस्टम ATC के साथ मिलकर विमानों की लोकेशन, ऊंचाई और रूट की जानकारी कंट्रोल रूम तक पहुंचाता है
- अगर AMSS सिस्टम बंद हो जाता है तो पायलट को मैन्युअल तरीके से सभी निर्देश देने पड़ते हैं
- दिल्ली एयरपोर्ट पर AMSS में आई दिक्कतों का असर कई अन्य हवाई अड्डों पर भी पड़ा
AMSS एक ऐसा सिस्टम है, जो एयर ट्रैफिक कंट्रोल के साथ मिलकर काम करता है. जब कोई विमान उड़ान भरता है, लैंड करता है या हवा में आगे बढ़ रहा होता है, तो उससे जुड़ी जरूरी जानकारी जैसे उसकी लोकेशन, ऊंचाई, रूट आदि इसी सिस्टम के जरिए कंट्रोल रूम तक पहुंचती है. यह कहना गलत नहीं होगा कि विमान हवा में किस स्थिति में है, यह AMSS लगातार बताता रहता है. ये जानकारी फेडरेशन ऑफ एविएशन इंडस्ट्रीज़ इन इंडिया की अध्यक्ष डॉ. वंदना सिंह ने दी.
सिस्टम बंद तो विमान फेल
दिल्ली एयरपोर्ट पर लगातार विमानों के देरी से उड़ने की खबरों के कारण एनडीटीवी ने उनसे बात की और ये समझने की कोशिश की कि आखिर विमानों की उड़ाने की देरी का कारण बताया जाने वाले AMSS है क्या? डॉ. वंदना सिंह ने बताया कि ATC का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा AMSS है. अगर यह सिस्टम बंद हो जाए, तो विमान को टेकऑफ या लैंड कराना जोखिम भरा हो जाता है. तब कंट्रोलर को पायलट को सारी जानकारी मैन्युअल तरीके से देनी पड़ती है, जैसे कहां जाना है, कितनी ऊंचाई रखनी है या कौन सा रूट लेना है.
आजकल साइबर अटैक और जीपीएस स्पूफिंग बहुत आम हो गए हैं. दिल्ली एयरपोर्ट पर जो AMSS में दिक्कत आई, उसका असर कई अन्य हवाई अड्डों पर भी दिखा. इससे साफ है कि हमें अपने सिस्टम को और मजबूत बनाने की जरूरत है.
इसके लिए जरूरी है कि नियमित तकनीकी जांच, स्टाफ को मैन्युअल ऑपरेशन की ट्रेनिंग और सबसे महत्वपूर्ण, हर सिस्टम का मजबूत बैकअप हो, क्योंकि अगर ऐसा सिस्टम फेल हो जाए, तो उड़ानों की सुरक्षा पर सीधा खतरा पैदा हो सकता है. यहां तक कि हवा में दो विमानों के टकराने जैसी स्थिति भी बन सकती है.
चिंता बढ़ाने वाली है ये घटना
वंदना सिंह ने बताया कि कुछ दिन पहले भी दिल्ली एयरपोर्ट के आसपास 60 Nautical Miles तक GPS सिग्नल कमजोर हुआ था. अगर उस समय विमान लैंडिंग फेज़ में होता, तो बड़ी दुर्घटना हो सकती थी. इसलिए, जब हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की बात करते हैं, तो हमारे पास मजबूत और तुरंत काम करने वाला बैकअप भी होना चाहिए.
एएआई और डीजीसीए ने अभी साइबर हमले की संभावना से इनकार किया है, लेकिन मेरी राय में किसी भी संभावना को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. सिस्टम जितना बड़ा होता है, उतना ही उसे सुरक्षित भी रखना पड़ता है. DGCA और AAI को अचानक ऑडिट करने चाहिए, ताकि पता चले कि एयर ट्रैफिक कंट्रोल और स्टाफ की ट्रेनिंग वास्तविक परिस्थितियों में कितनी प्रभावी है.
कल की घटना वाकई चिंता बढ़ाने वाली है. और ऐसे समय में जब हाल ही में देश में विमान हादसा हुआ है, हम इस तरह की तकनीकी कमजोरियों को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते. 800 से ज्यादा उड़ानों पर इसका असर पड़ा, यह छोटी बात नहीं है.














