What is Mock Drill: देशभर में युद्ध जैसी परिस्थितियों से निपटने की तैयारी के तहत गृह मंत्रालय ने 7 मई को कई राज्यों में मॉक ड्रिल करवाने के निर्देश दिए हैं. इस दौरान छात्रों और सिविल डिफेंस से जुड़े लोगों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा. विशेषज्ञों का कहना है कि मॉक ड्रिल सिर्फ एक अभ्यास नहीं, बल्कि आपात स्थिति में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अहम जरिया है. बता दें कि मॉक ड्रिल युद्ध या आपदा जैसी किसी बड़ी आपात स्थिति से पहले की जाने वाली तैयारी होती है.
"ऑल-आउट वॉर की स्थिति में जरूरी मॉक ड्रिल"
रक्षा विशेषज्ञ और रिटायर्ड मेजर जनरल केके सिन्हा ने कहा कि मॉक ड्रिल आमतौर पर ऑल-आउट वॉर या लंबे समय तक चलने वाले युद्ध की संभावना को ध्यान में रखते हुए की जाती है. उन्होंने कहा "ऐसा अभ्यास 1971 के युद्ध के दौरान हुआ था. कारगिल के दौरान ऐसा कोई मॉक ड्रिल कहीं पर भी नहीं हुआ. क्योंकि हम उसको एक लिमिटेड सेक्टर में ही सिमित रखना चाहते है. इस तरह का मॉक ड्रिल 1999 के युद्ध में भी नहीं हुआ.
विदेशों में भी होती है युद्ध की तैयारी
मेजर जनरल सिन्हा ने बताया कि यूरोपीय देशों में, विशेषकर स्वीडन और फिनलैंड जैसे देशों में जहां युद्ध का खतरा नहीं है, वहां भी नागरिक सुरक्षा के लिए न्यूक्लियर हमले से बचाव की तैयारी की जाती है. लोग अंडरग्राउंड बंकर बना रहे हैं. उन्होंने यह भी बताया कि भारत के कुछ इलाकों जैसे राजस्थान के वॉटर कैनाल्स भी युद्ध के समय में सैनिकों के लिए रणनीतिक रूप से मददगार साबित होते हैं.
मॉक ड्रिल के पांच प्रमुख बिंदु:
1. हवाई हमले के सायरन की जांच और उसके प्रति जागरूकता.
2. हमले की स्थिति में नागरिकों और छात्रों को अलर्ट करना.
3. हवाई हमले के दौरान ब्लैकआउट यानी लाइट बंद करने का अभ्यास.
4. दुश्मन के विमानों से बचाव के लिए संयंत्रों को ढंकने और छुपाने की ट्रेनिंग.
5. हमले के संभावित स्थानों को खाली कराने का रिहर्सल.
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