'ट्रैक्टर रैली हिंसा' और 'लाल किला पर झंडा फहराने' की कहानी, जानिए- घायल पुलिस वालों की जुबानी

दिल्ली पुलिस ने मामले में कुल 22 FIR दर्ज की है, जिनमें कई किसान नेताओं को नामजद किया गया है. कल की हिंसा में दिल्ली पुलिस के 300 जवान घायल हुए हैं जो अलग-अलग अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं. किसी का हाथ टूटा है तो किसी का सिर फूटा है. किसी के सीने पर गंभीर चोट आई है.

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लाल किले पर सबसे ज्यादा हिंसा हुई , जहां उपद्रवियों ने न सिर्फ पुलिस पर हमला बोल दिया बल्कि लाल किले की ऐतिहासिक प्राचीर पर चढ़कर धार्मिक झंडा लहरा दिया.

नई दिल्ली:

गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर राजधानी दिल्ली में किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली. इस दौरान दिल्ली के कई इलाकों में हिंसा भड़क उठी. लाल किले पर सबसे ज्यादा हिंसा हुई , जहां उपद्रवियों ने न सिर्फ पुलिस पर हमला बोल दिया बल्कि लाल किले की ऐतिहासिक प्राचीर पर चढ़कर धार्मिक झंडा लहरा दिया. सैकड़ों की संख्या में पहुंचे उपद्रवियों से बचने के लिए कई पुलिस वाले दीवार फांदकर गड्ढे में कूदते नजर आए. 

दिल्ली पुलिस ने मामले में कुल 22 FIR दर्ज की है, जिनमें कई किसान नेताओं को नामजद किया गया है. कल की हिंसा में दिल्ली पुलिस के 300 जवान घायल हुए हैं जो अलग-अलग अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं. किसी का हाथ टूटा है तो किसी का सिर फूटा है. किसी के सीने पर गंभीर चोट आई है. NDTV संवाददाता ने उनसे बात की और घटना का पूरा मंजर जाना.

तीरथराम अस्पताल में भर्ती दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल, पंजाब सिंह ने बताया, "कल लाल किला में लॉ एंड ड्यूटी की ड्यूटी पर था. तभी ऊपर से आदेश आया कि प्रदर्शनकारी किसानों को वहां से हटाओ. हमने उन्हें हटाने की कोशिश की तो उनलोगों ने हमें चारों ओर से घेर लिया और हम पर लाठी-डंडे बरसाने लगे. हमने बचने की कोशिश की लेकिन इसी बीच एक शख्स ने मुझ पर लाठी चला दी, जिससे मेरी छाती की हड्डी टूट गई और मैं वहीं दर्द से कराह उठा."

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दिल्ली पुलिस के ASI प्रदीप कुमार ने कहा, "लाल किला पर ड्यूटी पर तैनात था, तभी अचानक वहां पहुंची भीड़ आपा खो बैठी. हम उन्हें समझा रहे थे लेकिन वे सभी तलवार, भाला, लाठी, डंडा लिए हम पर टूट पड़े. ऐसा लग रहा था कि ये किसान नहीं जैसे नशे की हालत में आए गुंडे हों, जो घेरकर हमलोगों पर हमला करने लगे." प्रदीप कुमार को छाती, कंधों, कमर और पीठ पर चोट लगी है.

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संदीप कुमार ने कहा, "उनके पास बहुत हथियार थे. हमलोगों ने उन्हें सआराम से सनझाने की कोशिश की लेकिन वो समझने को तैयार नहीं थे. उनका कोई लीडर नहीं था. भीड़ उन्मादी थी और हमलोगों पर अचानक टूट पड़ी." कुमार ने कहा कि हमें हमेशा समझाया जाता है कि हमलोग सुरक्षा में तैनात थे, हमें नागरिकों को बचाना होता है. संदीप ने कहा कि वे किसान नहीं बल्कि गुंडे थे जो हम पर टूट पड़े थे.