भारतीय होना किसी भी बात से ज्‍यादा जरूरी...भाषा विवाद पर स्‍मृति ईरानी की बड़ी टिप्‍पणी

महाराष्‍ट्र से लेकर तमिलनाडु तक पूरे देश में जारी भाषा विवाद पर बीजेपी लीडर स्‍मृति ईरानी ने भी टिप्‍पणी की है. उन्‍होंने देशभर में भाषा को लेकर विवाद पैदा करने वालों को खास संदेश दिया है.

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  • स्मृति ईरानी ने भाषा विवादों पर कहा कि भारतीय होना किसी और पहचान से ज्‍यादा महत्वपूर्ण है और जटिलताओं का जश्न मनाना चाहिए.
  • महाराष्‍ट्र में मराठी भाषा को लेकर विवाद बढ़ा है, जहां कुछ समूह उन लोगों पर हमला कर रहे हैं जो मराठी नहीं बोलते.
  • कर्नाटक में स्थानीय कार्यकर्ताओं ने कन्नड़ भाषा को प्राथमिकता न देने पर हिंदी भाषी राज्यों के लोगों पर हमले किए हैं.
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नई दिल्‍ली:

महाराष्‍ट्र से लेकर तमिलनाडु तक पूरे देश में जारी भाषा विवाद पर बीजेपी लीडर स्‍मृति ईरानी ने भी टिप्‍पणी की है. उन्‍होंने देशभर में भाषा को लेकर विवाद पैदा करने वालों को संदेश दिया है, 'जटिलताओं का जश्न मनाएं'. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने NDTV को दिए एक खास इंटरव्‍यू में कहा कि भारतीय होना किसी भी और चीज से कहीं ज्‍यादा अहमियत रखता है. पिछले कुछ दिनों देश के कुछ हिस्‍सों खासकर महाराष्‍ट्र में हिंदी भाषा को लेकर विवाद जारी है. 

जटिलताओं का जश्‍न मनाइए 

स्‍मृति ईरानी से क्षेत्रीय भाषा विवाद से जुड़ा एक सवाल पूछा गया था. इसका जवाब देते हुए उन्‍होंने कहा, 'हम जटिलताओं का जश्न मनाते हैं. एक भारतीय के तौर पर न कि एक राजनेता के तौर, जब दुनिया आपके खिलाफ हो जाती है तो आप जिस इकलौते शख्‍स पर भरोसा कर सकते हैं, वह एक भारतीय है.' उन्होंने कहा, 'वर्तमान सरकार उस सांस्कृतिक विरासत के प्रति सजग है जिसका हम जश्न मनाते हैं.' 

हर तरफ जारी है भाषा विवाद 

स्‍मृति ईरानी की 'अनेकता में एकता' वाले भारत देश में अखंडता के महत्व को बताने वाली उनकी बात काफी जरूरी हो जाती है. भारत, जहां कई संस्कृतियां और भाषाएं मौजूद हैं, महाराष्‍ट्र में मराठी भाषा को लेकर एक बड़े विवाद के बीच स्‍मृति का यह बयान काफी महत्‍वपूर्ण हो जाता है. महाराष्‍ट्र में महाराष्‍ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के सदस्य उन लोगों के साथ मारपीट कर रहे हैं जो मराठी नहीं बोल सकते हैं. पड़ोसी राज्य कर्नाटक में, स्थानीय कार्यकर्ताओं ने अक्सर कन्‍नड़ भाषा को प्राथमिकता न देने पर हिंदी भाषी राज्‍यों के लोगों पर हमला किया है. 

वहीं तमिलनाडु में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अगुआई वाली डीएमके सरकार ने त्रिभाषा नीति को लागू करने के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है. तमिलनाडु सरकार ने आरोप लगाया है कि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार दक्षिणी राज्य पर हिंदी भाषा थोपना चाहती है. 
 

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