पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने रवींद्र भारती विश्वविद्यालय (आरबीयू) के नए कुलपति की नियुक्ति कर एक और विवाद को जन्म दे दिया है. वहीं, राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के तौर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) को नामित करने संबंधी विधेयक राज्यपाल की मंजूरी का इंतजार कर रहा है. राज्यपाल मौजूदा समय में राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों के पदेन कुलाधिपति हैं और आरबीयू के मौजूदा कुलपति सब्यसाची बासु रॉय चौधरी का कार्यकाल जल्द ही खत्म होने वाला है.
विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने राज्यपाल के कदम को दुर्भाग्यपूर्ण बताया, वहीं सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने आरोप लगाया कि धनखड़ ने साबित कर दिया कि वह लोकतांत्रिक सिद्धांतों में विश्वास नहीं करते हैं. धनखड़ ने आरबीयू के नृत्य विभाग में प्रोफेसर महुआ मुखर्जी को अगले कुलपति के तौर पर नियुक्त किया है. राज्यपाल ने बृहस्पतिवार को ट्वीट किया कि उन्होंने रवींद्र भारती कानून, 1981 की धारा 9(1)(बी) के तहत अगले कुलपति के तौर पर मुखर्जी को नियुक्त किया है.
राज्यपाल ने पद के लिए सरकार की एक समिति की सिफारिश भी संलग्न की और कहा कि वह मुखर्जी का चयन कर रहे हैं, जिनका नाम सूची में शीर्ष पर है. टीएमसी के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘‘राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति पद पर मुख्यमंत्री को नियुक्त करने के लिए पश्चिम बंगाल विधानसभा से पारित विधेयक को उनकी (राज्यपाल) मंजूरी का इंतजार है. इस बीच माननीय राज्यपाल ने आरबीयू के कुलपति के तौर पर एक नाम की घोषणा कर दी है. उन्होंने इस घोषणा से पहले शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री को विश्वास में लेना भी जरूरी नहीं समझा.''
बिमान बनर्जी ने कहा, ‘‘उन्हें (धनखड़) ऐसा नहीं करना चाहिए था. वह एकतरफा तरीके से इस तरह कदम नहीं उठा सकते. इस सदन ने मुख्यमंत्री को राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति के रूप में नियुक्त करने वाले विधेयक को पारित किया. सदन में बहुमत से विधेयक को पारित किए जाने के बाद उन्हें कुलपति नियुक्त करने की घोषणा नहीं करनी चाहिए.''